किसी पुरानी फिल्म का क्लाइमेक्स याद कीजिए — खूबसूरत और फूलसी कोमल नायिका को खलनायक ने रस्सी से बांध रखा है। वो सुपर हीरो का इंतजार कर रही है, जो उसे छुड़ाकर ले जाएगा। हीरो आता है और खलनायक की पिटाई करता है। इसके बाद नायक-नायिका की शादी होती और फिल्म का होता — हैप्पी द एंड। गुजरे जमाने में ऐसी फिल्मों से बाजार गर्म रहता था, लेकिन ऐसा कब तक होता? 20वीं सदी में फिल्मों में नए-नए बदलाव हुए। महिलाओं की छवि सशक्त तरीके से प्रस्तुत करने के प्रयोग किए गए।
नायिका को खूबसूरत अंदाज में पेश करने के साथ शक्तिशाली और मानसिक तौर पर असाधारण शक्ति से सराबोर भी दिखाया जाने लगा। हैल वॉय फिल्म में शैरमेन और स्टार वार्स में प्रिंसेस लिया जैसा मजबूत किरदार पेश किया गया। चार्ली एंजेल की तीन तितलियां (नायिकाएं) जासूसी कंपनी चलाते हुए बड़े से बड़ा स्टंट करने से भी नहीं डरतीं। शुरुआती सफलताओं के बाद अभिनेत्रियों में स्टंट करने की इच्छा जोर पकड़ने लगी। करीब-करीब सभी फिल्मों में नायिकाओं पर कम से कम एक स्टंट दृश्य फिल्माया जाने लगा। जेम्स बॉन्ड की फिल्म — डाई ऐनदर डे में हैलीबेरी और मिशेल येहो, द वर्ल्ड इज नॉट एनफ में डेनिस रिचर्डस, लिव एंड लेट डाई में जेन सिमोर को साहसी दिखाया गया। शुरुआती कोशिशों के बाद स्टंट दृश्य ट्रेंड ही बन गए। एक इंटरव्यू से खुलासा हुआ कि बहुत सी फिल्मों में एक्शन दृश्य करने वाली एंजेलिना जोली को नए-नए स्टंट करने की प्रेरणा अपने बच्चों से मिलती है, क्योंकि उनको स्टंट दृश्य देखना अच्छा लगता है। बात हॉलीवुड की या फिल्मों की ही नहीं, अभिनेत्रियों के स्टंट का जादू छोटे परदे पर भी चलने लगा है। टेलीविजन पर साहस की थीम के इर्द-गिर्द कई धारावाहिक बनाए गए हैं, जिनमें हिस्सा लेने वाली युवतियों का उत्साह युवकों से किसी मायने में कमतर नहीं है। आधुनिकीकरण के इस प्रभाव से भारतीय सिनेमा भी अछूता नहीं रहा। 1935 में वाडिया बंधु की हंटरवाली की नायिका का सुनहरे परदे पर खूबसूरती का दम साहस देखकर लोगों ने दांतों तले अंगुलियां दबा लीं। ऊंची-ऊंची इमारतों पर एक से दूसरी जगह कूदती, घोड़े को बिजली की गति दौड़ाती, जोखिम भरे स्टंट करने वाली अभिनेत्री नाडिया के एक-एक दृश्य पर लोग तालियां बजाए बगैर रह नहीं पाते। यह वह दौर था, जब घरेलू महिलाएं परदे की ओट में रहती थीं।
ऐसे समय में सुनहरी जुल्फों वाली विदेशी महिला नाडिया के साहस को लोगों ने खूब सराहा। दस-दस गुंडों पर घूंसे और चाबुक बरसाती नाडिया उस दौर में नारी शक्ति का प्रतीक बन गई। इन्हीं बेखौफ अदाओं के चलते उसका नाम ही पड़ गया फीयरलेस नाडिया। इस फिल्म से वह सिल्वर स्क्रीन की स्टंट क्वीन बन गई। भारतीय सिनेमा में हम महिलाओं की अनेक छवियां देखते हैं। ये छवियां समय-समय पर बदली हैं। समाज में स्त्री की स्थिति में जिस गति से बदलाव आ रहा है, उसी तेजी से सिनेमा के परदे पर भी उसकी भूमिकाएं बदल रही हैं। हिंदी सिनेमा में महिलाओं की भूमिका को मजबूत बनाने का श्रेय देविका रानी को भी जाता है। जिस समय में फिल्मों में काम करना अच्छा नहीं माना जाता था, उस दौर में देविका रानी ने महिलाओं को फिल्मों में प्रमुख स्थान दिलाया। जिस तरह नाडिया ने अपने स्टंट से लोगों को आश्चर्यचकित कर दिया था, ठीक उसी तरह हेमामालिनी ने सीता और गीता में खलनायक को मारकर दर्शकों की तालियां बटोरीं। यह सिलसिला यहीं खत्म नहीं होता। खून भरी मांग की ज्योति तो कभी फूल बने अंगारे की नम्रता बनकर एक्ट्रेस रेखा तलवार की नोक पर खलनायक को परास्त कर वाह-वाही लूटती रहीं। फिल्म चालबाज में चुलबुली श्रीदेवी ने भी इस तरह के कारनामों की फेहरिस्त में अपना नाम दर्ज कराया। दक्षिण भारतीय अभिनेत्री विजया शांति तेजस्विनी में मजबूत इरादों वाली पुलिस अफसर की भूमिका निभाकर चर्चित हुईं। फिल्म दस में शिल्पा शेट्टी ने पुलिस अफसर की भूमिका निभाई।
पुरानी फिल्म डॉन में जीनत अमान के स्टंट से प्रेरित होकर प्रियंका चोपड़ा ने नई फिल्म डॉन में भी स्टंट के नए प्रयोग किए। इन प्रयोगों के जरिए प्रियंका के मन में स्टंट के प्रति रुझान पैदा हुआ और उन्होंने खतरों के खिलाड़ी रिएलिटी शो में खतरनाक स्टंट करने से गुरेज नहीं किया। करीना कपूर ने भी फिल्म गोलमाल 3 में अनूठा स्टंट किया। कार के बोनट पर खड़े होकर उन्होंने संतुलन बनाए रखा। धूम में ईशा देओल, धूम २ में ऐश्वर्या राय और चांदनी चौक टू चाइना में दीपिका पादुकोण ने ऐसी ही भूमिका निभाई है। चर्चा है कि शांत और घरेलू छवि से बाहर आने के लिए आतुर दीया मिर्जा ने आने वाली फिल्म एसिड फैक्टरी में खतरों से खेलने का जोखिम उठाया है। स्टंट करने वाली अभिनेत्रियों की फेहरिस्त में एक और नाम जुड़ता है पूर्व मिस यूनिवर्स लारा दत्ता का। उन्होंने फिल्म ब्लू में समुद्र के अंदर बहुत से स्टंट खुद ही किए हैं। सच तो ये है कि सुंदर नायिकाएं ‘साहस’ को मसाले की तरह इस्तेमाल करती हैं और सफलता के लिए सीढ़ी बनाने से भी बाज नहीं आतीं। ग्लैमर और साहस का घालमेल ऐसा ही है! सुंदर नायिकाएं ‘साहस’ को मसाले की तरह इस्तेमाल करती हैं और सफलता के लिए सीढ़ी बनाने से भी बाज नहीं आतीं। ग्लैमर और साहस का घालमेल ऐसा ही है!
(कोषा गुरुंग,अहा! ज़िंदगी,2.2.12)