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Thursday, June 30, 2011

एक बातचीत आमिर से

(संडे नई दुनिया,26 जून से 2 जुलाई,2011)

Saturday, June 18, 2011

अब लीजिये भोजपुरी में 'देवदास' का मज़ा

अब भोजपुरी भाषा में भी जल्द 'देवदास' फिल्म रिलीज़ होने जा रही है। शुक्रवार को इस फिल्म का संगीत भी लांच कर दिया गया। यह फिल्म दो घंटे सत्रह मिनट की है।

12 अगस्त को यह फिल्म एक साथ बिहार, उत्तरप्रदेश, महाराष्ट्र और पडो़सी देश नेपाल में रिलीज़ होगी। फिल्म के निर्देशक किरणकान्त वर्मा ने बताया कि इस पूरी फिल्म को एक महीने में ही शूट किया गया है। यह फिल्म पूरी तरह से शरतचंद के उपन्यास देवदास पर आधारित है। जैसा उपन्यास में लिखा गया है वैसा ही फिल्म में देखा जा सकेगा।

पटना, गुजरात व मुम्बई में हुई है शूट

फिल्म की शूटिंग पटना, गुजरात और मुंबई के कई लोकेशनों पर की गई है। मूल रूप से बिहार के भोजपुर जिले के रहने वाले फिल्म निर्देशक केके वर्मा ने बताया कि अब तक 'देवदास' टाईटल की छह फ़िल्में बन चुकी हैं। ये सभी शरत जी के उपन्यास पर आधारित हैं। जिसमें तीन हिंदी में, दो बंगाली में और एक कन्नड़ में बनी हैं। भोजपुरी में बनी यह फिल्म इस कड़ी में सातवीं होगी। इस फिल्म में पटना की रहने वाली अक्षरा सिंह ने पारो का रोल निभाया है। पटना के कंकड़बाग़ कॉलोनी में रहने वाली अक्षरा की यह दूसरी भोजपुरी फिल्म होगी। बंगाली टर्न्ड भोजपुरी अभिनेत्री मोनालिसा इस देवदास में चंद्रमुखी का किरदार निभा रही हैं।

रविकिशन बने हैं 'देवदास', नहीं होगी फिल्म अश्लील

चर्चित अभिनेता रविकिशन इस भोजपुरी फिल्म के देवदास बने हैं। फिल्म में संगीत दिया है पटना स्थित महेन्द्रू इलाके के निवासी बैजू बंसी ने। उमेश सिंह फिल्म के प्रोडूसर हैं। अवधेश अग्रवाल सह-प्रोडूसर। फिल्म के निर्देशक केके वर्मा ने दावा किया है कि यह फिल्म पूरी तरह से परिवार के संग देखने लायक है, जिसमें कहीं भी कोई अश्लीलता नहीं होगी। फिल्म में करीब 10 गानें हैं, जिन्हें उदित नारायण, साधना सरगम, सपना अवस्थी जैसे चर्चित हस्तियों ने आवाज़ दी है।
(दैनिक भास्कर,18.6.11)

Saturday, June 11, 2011

गूगल से भी तेज सर्च करें एमपी 3 गाने

मनपसंद गाने सुनने के लिए गूगल पर दिखाई देने वाली हजारों वेबसाइट्स में से सिलेक्शन मुश्किल होता है। एनआईटी के विद्यार्थियों ने ऐसा सर्च इंजन बनाया है जहां दुनियाभर की वेबसाइट के गाने एक ही जगह सुने जा सकेंगे।

गूगल पर आने वाली ज्यादातर वेबसाइट पर गाने की जगह विज्ञापन होते हैं। कई वेबसाइट गाना सुनाने के पैसे लेती हैं। नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एनआईटी) सूरत के विद्यार्थियों ने इंदौर एजुकेशन सेंटर सीडेक के प्रोजेक्ट के तहत यह सर्च इंजन बनाया है। इसमें मीडिया प्लेयर भी जोड़ा है। वेबसाइट को रिफ्रेश करने पर बिना रुकावट गाने सुने जा सकते हैं।

स्टूडेंट्स बताते हैं सर्च इंजन पर ऐसी साइट आएंगी ही नहीं, जिन पर गानों के केवल नाम दिए गए हैं। वे बताते हैं एनआईटी सूरत ने इंदौर में ट्रेनिंग के लिए भेजा है। छह महीने की मेहनत से सर्च इंजन बनाया है। प्रोजेक्ट आईआईटी पवई में रिसर्च पेपर के रूप में भेजा है। फैकल्टी एडवाइजर मनीष अरोरा ने बताया इंदौर से शुरू हुआ यह एकमात्र सर्च इंजन होगा जो एमपी3 गाने सर्च करने में गूगल से फास्ट है।

कम्प्यूटर साइंस के विद्यार्थी अली अब्बास मैनेजर, नील जिनवाला और पूरव मास्टर ने www.beta.mgoos.com सर्च इंजन बनाया है। इसमें जावा प्रोग्रामिंग के जरिये ऐसा ऑटोमेटिक सिस्टम बनाया गया है जो दुनियाभर के एमपी3 गानों को एक वेबसाइट से जोड़ता है। वायरस वाली या बिना काम की साइट्स इग्नोर कर दी जाएंगी(दैनिक भास्कर,इन्दौर,11.6.11)।

Wednesday, June 8, 2011

बड़े पर्दे पर चमकेंगे बाबा और अन्ना!

बॉलीवुड अब अपनी फिल्मों के लिए असल जिंदगी की शख्सियतों से पे्ररणा ले रहा है। लोकपाल विधेयक मामले में सरकार को घुटने टेकने पर मजबूर करने समाजसेवी अन्ना हजारे और भ्रष्टाचार तथा कालाधन मामले में सरकार की नाक में दम करने वाले योग गुरु बाबा रामदेव फिल्मकारों के लिए नजीर बन रहे हैं। बाबा के बहुत नजदीकी माने जाने वाले 16 दिसंबर, रुद्राक्ष और नॉक आउट जैसी फिल्मों के निर्देशक मणि शंकर उनके जीवन पर फिल्म बनाने की तैयारी कर रहे हैं। इस फिल्म में वह संजय दत्त को लेंगे। संजू उनके अच्छे मित्र माने जाते हैं। क्या संजय दत्त फिल्म में बाबा की भूमिका निभाएंगे? मणिशंकर कहते हैं कि इस बारे में मैं अभी आपको कुछ नहीं बता सकता। उन्होंने कहा, मैं यह नहीं कह सकता कि वह (संजय दत्त) फिल्म में कौन सी भूमिका निभाएंगे। फिलहाल शंकर बाबा द्वारा चलाए जा रहे अभियान पर पूरी जानकारी इकट्ठा करने में जुटे हैं। फिल्म में शनिवार रात को दिल्ली के रामलीला मैदान में बाबा और उनके समर्थकों के खिलाफ सरकार के बर्बरतापूर्ण रवैये को भी दिखाया जाएगा। अन्ना से प्रेरणा : निर्देशक इशराक शाह इन दिनों एक बुरा आदमी नाम से फिल्म बना रहे हैं। फिल्म में रघुवीर यादव एक समाज सेवी की भूमिका निभा रहे हैं, जो अन्ना हजारे के जीवन से पे्ररित है। हालांकि शाह इस बात से पर्दा उठाने को राजी नहीं हैं कि फिल्म में रघुवीर यादव का किरदार अन्ना हजारे से मिलता है। उन्होंने कहा, रघुवीर जी का किरदार अन्ना हजारे जैसा है या नहीं, यह फिल्म के प्रदर्शन के बाद पता चलेगा। मैं सिर्फ यह कह सकता हूं कि वह (रघुवीर यादव) एक समाजसेवी की भूमिका निभा रहे हैं। फिल्म की शूटिंग उदयपुर में चल रही है। फिल्म से जुड़े सूत्रों की मानें, तो रघुवीर अन्ना हजारे के रोल में ही हैं। यह ऐसे समाजसेवी की कहानी है, जो चुनाव की राजनीति नहीं करता और सरकार के खिलाफ जागो भारत आंदोलन चलाता है। अरुणोदय सिंह फिल्म में रघुवीर के शिष्य की भूमिका में हैं, जो उनके आंदोलन को आगे बढ़ाते हैं। फिल्म में ऐसा मोड़ भी आता है, जब रघुवीर यादव सरकार के खिलाफ आमरण अनशन पर बैठ जाते हैं, ताकि लोग जागें(दैनिक जागरम,दिल्ली,8.6.11)।

Monday, June 6, 2011

कला में कोरा बॉलिवुड

नवभारत टाइम्स का मत
रीजनल सिनेमा से भी छोटा है उसका कद
इस बार के नैशनल फिल्म अवॉर्ड्स में बॉलिवुड की फिल्मों ने तकरीबन दो दशक से कायम सिलसिले को ही दोहराया है। हिंदी की कुछ फिल्मों को पॉपुलर अवॉर्ड तो मिले हैं लेकिन मुख्य पुरस्कारों के मामले में उसकी झोली खाली ही रही है। हर बार की तरह मेन कैटिगरी के पुरस्कारों पर हिंदी के बजाय तमिल, मलयालम, मराठी और बांग्ला भाषा की फिल्मों का दबदबा है। अगर नैशनल फिल्म अवॉर्ड्स को कलात्मकता की एक कसौटी माना जाए तो हिंदी सिनेमा का इस पर खरा नहीं उतरना अफसोसजनक है।

सिनेमा का एक मकसद कई अर्थों में व्यावसायिक होते हुए सामाजिक उद्देश्यों को भी साधना है, लेकिन लगता है कि हिंदी सिनेमा इन्हें पाने में लगातार चूक कर रहा है। वैसे तो हिंदी फिल्में दर्शकों की नब्ज पकड़ने में काफी सफल मानी जाती हैं। हाल के वर्षों में गजनी, थ्री इडियट्स और दबंग जैसी हिंदी फिल्मों ने बॉक्स ऑफिस पर कई रेकॉर्ड खड़े किए हैं। लेकिन जिस मर्म को भाषाई फिल्मकार पकड़ने में सफल रहे हैं, बॉलिवुड के लोग उसके पास भी नहीं फटक पा रहे हैं। मुंबइया मसालों की चाशनी में लपेटकर पेश की गई हिंदी फिल्में भारी कमाई भले ही कर ले रही हैं लेकिन कला की कसौटी पर उनकी नाकामी हॉलिवुड ही नहीं, क्षेत्रीय सिनेमा की चुनौती के आगे भी उन्हें बहुत छोटा साबित कर रही है। सामाजिक सरोकारों के प्रति अपने दायित्व और विषय चयन की अर्थवत्ता के मामले में रीजनल सिनेमा ने जो सतर्कता बरती है, बॉलिवुड अगर उसका दस फीसदी भी अपनी फिल्मों से जोड़ सके तो इससे हिंदी फिल्मों का कद बढ़ेगा।

वरिष्ठ फिल्मकार मुजफ्फर अली का मत
बॉलिवुड नहीं, अब इंडियन सिनेमा की सोचें
रीजनल सिनेमा के मुकाबले बॉलिवुड के पिछड़ेपन की एक अहम वजह यह है कि ज्यादातर हिंदी फिल्में हीरो-ओरिएंटेड होती हैं। विषयवस्तु से लेकर ट्रीटमेंट तक में ये फिल्में उसी ऊंचाई तक जा पाती हैं, जितनी हीरो की खुद की समझ होती है। यह बॉलिवुड की बुनियादी समस्या है और जब तक वह इससे बाहर नहीं निकलेगा, उसका उद्धार नहीं हो सकता। यह कहना सही नहीं है कि बॉलिवुड को नैशनल फिल्म अवॉर्ड की जरूरत नहीं है या वहां के फिल्मकार दर्शकों के मनोरंजनार्थ फिल्में बनाकर भरपूर कमाई करके असली मकसद तो पूरा कर ही रहे हैं।

असल में ऐसे अवॉर्ड्स सभी को चाहिए। इससे उनकी क्रेडिबिलिटी बढ़ती है। नैशनल अवॉर्ड देने वाली जूरी भी ईमानदारी से काम करती है और जो उसके सामने लाया जाता है, उसी में से वह सर्वश्रेष्ठ का चुनाव करती है। पर अब हमें अपनी फिल्म इंडस्ट्री को बॉलिवुड-मॉलिवुड आदि खांचों में बांटने से परहेज करना चाहिए। मुंबइया बनाम रीजनल के बजाय अब हमें इंडियन सिनेमा की बात करनी चाहिए। अब चिंता इस बात की करनी चाहिए कि इंडियन सिनेमा की ग्लोबल प्रेजेंस कैसे बढ़े। इधर हमने स्पेशल इफेक्ट्स के मामले में महारत हासिल की है, पर हम स्क्रिप्ट राइटिंग और डिजाइनिंग आदि के मामले में हॉलिवुड से काफी पीछे हैं। इसमें भी सुधार करना चाहिए(नभाटा,21 मई,2011)।

Wednesday, June 1, 2011

वर्षों से मृत माने जा रहे अभिनेता राज किरण अटलांटा में मिले

फिल्म अभिनेत्री दीप्ति नवल ने पिछले महीने फेसबुक के जरिए अपने सह अभिनेता रहे मशहूर कलाकार राज किरण को खोजने की जो मुहिम शुरू की थी उसे अंजाम तक पहुंचाया है अभिनेता ऋषि कपूर ने। राज जीवित हैं और अमेरिका के अटलांटा में अपना इलाज करा रहे हैं। निर्माता-निर्देशक सुभाष घई की मशहूर फिल्म कर्ज में ऋषि कपूर ने राज किरन के पुनर्जन्म का किरदार निभाया था। राज किरण को हिंदी फिल्म जगत के ज्यादातर लोग मृत मान चुके थे और उनके सही सलामत होने की खबर पर फिल्म उद्योग ने खुशी जताई है।

सत्तर के दशक में कई हिट फिल्मों में काम करने वाले राज किरण के बारे में लोगों को हाल के दिनों तक कुछ पता नहीं था। कुछ अरसा पहले खबर ये भी आई थी कि राज किरण की मौत हो चुकी है। उनकी दिमागी हालत बिगड़ने का पहला किस्सा उनके स्टारडम के दिनों में ही तब सामने आया था, जब पुट्टपर्थी में सत्य साईं बाबा के आश्रम में उन्हें हिरासत में लिया गया था। वह तब बार-बार सत्य साईं के खिलाफ बातें किया करते थे और उन पर साईंबाबा की हत्या की कोशिश करने का आरोप भी लगा। राज किरण ने इसके बाद मुंबई के भायखला स्थित पागलखाने में लंबा वक्त गुजारा।

भायखला पागलखाने में ही हिंदी सिनेमा में उनके चंद शुभचिंतकों ने उनसे आखिरी मुलाकात की थी। बाद में हालत सुधरने के बाद राज किरण अमेरिका चले गए और वहां कुछ लोगों ने उन्हें न्यूयॉर्क में टैक्सी चलाते भी देखा। वहां से भी मे एक दिन एकाएक लापता हो गए। अभिनेता ऋषि कपूर भी दीप्ति नवल की तरह अरसे से राज किरण की तलाश में थे और हाल ही में अमेरिका की अपनी यात्रा के दौरान उन्होंने राज किरण के भाई गोविंद मेहतानी का पता तलाश कर उनसे मुलाकात की।

गोविंद ने ऋषि कपूर को बताया कि राज किरण जीवित हैं और अटलांटा के एक संस्थान में अपना मानसिक इलाज करा रहे हैं। राज किरण अपने इलाज के लिए आवश्यक रकम जुटाने के लिए इस संस्थान में ही काम भी करते हैं। सूत्रों के मुताबिक राज किरण की पत्नी और बेटे ने उन्हें उनके हाल पर बरसों पहले छोड़ दिया था और अपने भाइयों से मदद की आस में ही वह अमेरिका चले गए थे, लेकिन वहां भी उनका साथ किसी ने नहीं दिया।

ऩईदुनिया से बात करते हुए ऋषि कपूर ने कहा कि राज किरण को वह कभी भूल नहीं सकते और उनके बारे में मिली इस जानकारी ने उन्हें काफी परेशान भी किया है। वह राज के शीघ्र स्वास्थ्य लाभ की कामना करते हैं और ये भी चाहते हैं कि वह वापस हिंदी फिल्म जगत में लौटें। फिल्म निर्माता सुभाष घई के मुताबिक राज किरण की ये हालत शायद उन्हें अपेक्षित सफलता न मिल पाने की वजह से हुई। वह कहते हैं कि ग्लैमर जगत के इस पहलू को आमतौर पर नजरअंदाज कर दिया जाता है। राज की हालत के बारे में दुख जताते हुए घई ने उनके शीघ्र स्वास्थ्य लाभ की कामना की है(नई दुनिया,दिल्ली,1.6.11)।

दैनिक जागरण की रिपोर्टः
बॉलीवुड में 70 और 80 के दशक के मशहूर अभिनेता राज किरण इन दिनों अमेरिका के एक पागलखाने में हैं। यह पता लगाया है उनके करीबी दोस्त ऋषि कपूर ने। राज किरण ने ऋषि की सुभाष घई निर्देशित सुपरहिट फिल्म कर्ज में उनके पूर्व जन्म के किरदार को निभाया था। महेश भट्ट की फिल्म अर्थ में शबाना आजमी और उन पर फिल्माया गया गाना, तुम इतना जो मुस्करा रहे हो.. आज भी लोग गुनगुनाते हैं। वह पिछले एक दशक से गायब हैं। ऋषि कपूर और दीप्ति नवल जैसे उनके मित्रों को छोड़कर प्राय: सभी उन्हें मृत मान लिया था। दीप्ति नवल ने पिछले दिनों फेसबुक पर भी राज किरण को खोजने के लिए एक पोस्ट किया था। उन्होंने लिखा, खबर थी कि राज को न्यूयॉर्क में कैब चलाते हुए आखिरी बार देखा गया था। उसके बाद ऋषि कपूर ने अपने दोस्त को खोजने की ठान ली। एक फिल्म की शूटिंग के लिए अमेरिका गए ऋषि कपूर ने वहां राज किरण के भाई गोविंद मेहतानी से मुलाकात की। उन्होंने पूछा कि राज अचानक कहां गायब हो गए? मेहतानी ने ऋषि को बताया कि राज किरण की दिमागी हालत ठीक न होने की वजह से वह अटलांटा के मेंटल हॉस्पिटल में हैं। बताया जाता है कि राज की पत्‍‌नी और बेटा उन्हें छोड़कर चले गए और वह इस सदमे को बर्दाश्त नहीं कर पाए। पारिवारिक जीवन में आए दूसरे संकटों की वजह से भी राज अवसाद से घिर गए। परिवार के बाकी सदस्यों ने भी राज की देखभाल नहीं की, शायद इसकी वजह उनका इलाज महंगा था। ऋषि ने कहा, यह काफी हृदय विदारक है। लेकिन मुझे इस बात की खुशी है कि वह जिंदा हैं। उनके जीवित होने की खबरों के बीच फिल्म इंडस्ट्री में उन्हें वापस लाने की बातें कही जा रही हैं। निर्देशक सुभाष घई और महेश भट्ट ने कहा कि वह राज किरण को वापस लाने की कोशिश का हिस्सा बनने में खुशी महसूस करेंगे। दो दशक तक इस अभिनेता ने कागज की नाव, घर हो तो ऐसा, घर एक मंदिर, कर्ज, वारिस और अर्थ जैसी कई लोकप्रिय फिल्मों में काम किया है।