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Friday, April 29, 2011

दो-दो संथाली फिल्मोत्सव

संथाली फिल्म इतिहास में यह पहला मौका है जब एक साथ दो-दो संथाली फिल्म महोत्सव होने जा रहे हैं। ये महोत्सव भले ही संथाली फिल्म जगत के भीतरी विवाद की उपज हों, लेकिन इससे वर्षो से बीमार संथाली फिल्म उद्यम के साथ एक बार फिर ग्लैमर की चकाचौंध जुड़ गई है। एक तरफ झारखंड मुक्ति मोर्चा के सांस्कृतिक कला मंच के प्रदेश अध्यक्ष रमेश हांसदा ने ऑल इंडिया संथाली फिल्म एसोसिएशन का झंडा बुलंद किया हुआ है तो वहीं दूसरी ओर पूर्व विधायक व झारखंड पीपुल्स पार्टी के मुखिया सूर्य सिंह बेसरा ने पंडित रघुनाथ मुर्मू एसोसिएशन ऑफ संथाली सिनेमा एंड आर्ट (रास्का) के बैनर तले मोर्चा संभाला है। दोनों गुट पांच मई को दम दिखाएंगे।

होगा आदिवासी 'टैलेंट हंट'
पंडित रघुनाथ मुर्मू अकादमी फॉर संथाली सिनेमा एंड आर्ट (रास्का) पांच मई को होने वाले फिल्म समारोह व रास्का अवार्ड समारोह की तैयारी कर चुका है। इससे साहित्य अकादमी अवार्ड विजेता भोगला सोरेन सरीखे दिग्गज जुड़े हैं तो संथाली फिल्म जगत (बड़े पर्दे) के सर्वप्रथम अभिनेता प्रेम मार्डी जैसी शख्सियत भी संबद्ध है। संथाली सिनेमा अवार्ड देने की शुरुआत 2008 में उस समय शुरू हुई, जब सूर्य सिंह बेसरा ने अपनी वर्षो पुरानी परिकल्पना को पूरा किया। इस बार यह महोत्सव माइकल जॉन प्रेक्षागृह में आयोजित होगा।

रास्का के ज्यूरी मेंबर
भोगला सोरेन, सीआर माझी, मेघराय टुडू, प्रो. लखाई बास्के व प्रो. दिगंबर हांसदा।
रास्का की निदेशक मंडली
सूर्य सिंह बेसरा, डा. शीला बेसरा, रतन कुमार बेसरा व जोबारानी बास्के।
रास्का की राज्य स्तरीय संयोजक मंडली
प्रेमचंद किस्कू (झारखंड), प्रेम मार्डी (पश्चिम बंगाल), शायबा सुशील कुमार हांसदा (उड़ीसा) व अनिल मरांडी (असम)।

किसको क्या जिम्मेदारी
स्मारिका प्रकाशन के लिए सूर्य सिंह बेसरा। रतन कुमार बेसरा को फीचर फिल्म संग्रह। चंदन किस्कू को वीडियो फिल्म संग्रह। फातु मुर्मू को प्रकाशन एवं प्रचार-प्रसार। जोबा बास्के को अतिथि स्वागत। धानु टुडू को आदिवासी टैलेंट हंट। लखाई बास्के को जूरी टीम में समन्वय। कुशल हांसदा को सांस्कृतिक कार्यक्रम। रवींद्रनाथ मुर्मू को कार्यक्रम संयोजन। जयपाल मुर्मू को स्टेज सजावट। विनय टुडू को विडियो व फोटोग्राफी का प्रभार। महात्मा टुडू को जनसंपर्क प्रभारी। डा. पिंकू बास्को को मंच संचालन।

संथाली फिल्म का विकास
ऑल इंडिया संथाली फिल्म एसोसिएशन द्वारा आयोजित द्वितीय संथाली एवं क्षेत्रीय फिल्म महोत्सव का आगाज शुक्रवार को कर दिया जाएगा। पहले दिन हेमंत सोरेन को बतौर मुख्य अतिथि आमंत्रित किया गया है। यह महोत्सव 29 अप्रैल से शुरू होकर लगातार पांच मई तक चलेगा। पंडित रघुनाथ मुर्मू जयंती के उपलक्ष्य पर पांच मई को गोपाल मैदान में झारखंड सिने अवार्ड समारोह का आयोजन होगा। इस बार कार्यक्रम के सफल आयोजन की जिम्मेदारी रमेश हांसदा ने उठा रखी है। वे अकेले ही इसके सफल आयोजन को दिन-रात एक किए हुए हैं। इस बार आयोजन पर करीब 20 लाख रुपए खर्च करने का अनुमान है।

आइसफा के ज्यूरी मेंबर
सीआर माझी, शिवलाल सागर, रविलाल टुडू, रामचंद्र हेम्ब्रम व दिगंबर हांसदा।
कहां-कहां दिखाई जाएगी फिल्म

तिथि-फिल्म-स्थान
29 अप्रैल : धूल व बिदलई , एक्सएलआरआई
30 अप्रैल जनुम पीड, जनुम दादा, - माइकल जॉन बिष्टुपुर
30 अप्रैल निसार्थी (संथाली), - करनडीह जाहेरथान
01 मई प्यार कर मेहंदी रचाई लेलो रे, करनडीह जाहेरथान
01 मई तोर आशिक मोर, माइकल जॉन बिष्टुपुर
01 मई तेतांग जिवी, (संथाली) करनडीह जाहेरथान
01 मई जुवन मोन, (संथाली) राजनगर
02 मई लावड़िया व कथांतर, माइकल जॉन बिष्टुपुर
02 मई तेतांग जिवी (संथाली), करनडीह जाहेरथान
02 मई आस (संथाली) जादूगोड़ा कॉलोनी
03 मई बिस्किल (संथाली) जादूगोड़ा कॉलोनी
03 मई अंगिर (संथाली) गम्हरिया
03 मई करमा (नागपुरी) माइकल जॉन बिष्टुपुर

सक्रिय सदस्य : रमेश हांसदा, अर्जुन टुडू, पीतांबर हांसदा, दशरथ हांसदा, जॉन दास, रमेश मार्डी, विनोद सोरेन, होंदा टुडू, दिनेश हांसदा, विक्रम सोरेन व बिंदे सोरेन(भादो माझी,दैनिक जागरण,जमशेदपुर,29.4.11)।

Friday, April 22, 2011

राज ठाकरे के करीबी की पत्नी बना रहीं भोजपुरी फिल्म

एक समय मुंबई में भोजपुरी फिल्म दिखाने वाले सिनेमाघरों में तोड़फोड़ करने वाली राज ठाकरे की पार्टी महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के एक नेता अब खुद ही भोजपुरी फिल्मों का निर्माण कर रहे हैं और पार्टी को इससे कोई आपत्ति नहीं है। मनसे के उपाध्यक्ष (चित्रपट कामाचार सेना) सतीश बाविस्कर की पत्नी नंदा बाविस्कर नी शेलर भोजपुरी फिल्म त्रिदेव का निर्माण कर कर रही हैं। फिल्म को छठ पूजा के मौके पर प्रदर्शित किया जाएगा। सतीश ने भोजपुरी फिल्म निर्माण को महज व्यवसाय एक व्यवसाय बताया है। पार्टी भी एक सुर में इसे केवल व्यवसाय ही मान रही है। भोजपुरी फिल्मों से मुनाफा कमाने पर मनसे का नरम रवैया इसलिए सवाल खड़े करता है, क्योंकि वह भाषा के नाम पर महाराष्ट्र में लगातार उत्पात मचाती रही है। मनसे कार्यकर्ता शहर के कई सिनेमाघरों में भोजपुरी फिल्म प्रदर्शित करने पर हमले कर चुके है। दिलचस्प यह है कि सतीश को यह काम पार्टी की उत्तर भारतीय भगाओ वाली विचारधारा के खिलाफ नहीं लगता। उन्होंने सफाई देते हुए कहा, भोजपुरी फिल्म निर्माण में क्या बुराई है? जब कोई दुबे, चौबे या मिश्रा मराठी फिल्म बना कर कमाई कर सकता है तो मराठी लोग ऐसा क्यों नहीं कर सकते? वे यहां से धन कमा कर अपने राज्य भेज देते हैं जबकि मराठी लोग कमाई को अपने ही राज्य में रख सकते हैं। मैने यह बात पार्टी के वरिष्ठ अधिकारियों को भी बता दी है। उल्लेखनीय है कि फरवरी 2008 में थाणे के प्रताप टाकिज और जुलाई 2008 में लोअर परेल के दीपक टाकीज पर मनसे कार्यकर्ताओं ने भोजपुरी फिल्म प्रदर्शित करने पर जमकर तोड़फोड़ की थी। मनसे उपाध्यक्ष वागेश सरास्वत ने कहा, यह सिर्फ व्यवसाय है(दैनिक जागरण,राष्ट्रीय संस्करण,22.4.11 में मुंबई से संजीव देवासिया की रिपोर्ट)।

Sunday, April 17, 2011

गीतों के राजकुमार थे गोपाल सिंह नेपाली

भारतीय सिनेमा जगत में गीतों के राजकुमार के नाम से मशहूर गोपाल सिंह नेपाली का नाम एक ऐसे गीतकार के रूप में याद किया जाता है जिन्होंने लगभग दो दशक तक प्रेम, विरह, प्रकृति और देश प्रेम की भावना से ओतप्रोत गीतों की रचना करके श्रोताओं के दिल पर राज किया। बिहार के पश्चिम चम्पारण जिले के बेतिया में 11 अगस्त 1911को जन्मे इस गीत सम्राट के पिता रेलबहादुर सिंह फौज में हवलदार थे। उनके पिता मूल रूप से नेपाल के रहने वाले थे लेकिन नौकरी के लिए भारत और फिर बेतिया में ही बस गए। विषमताओं, अभावों और संघर्षो में पले-बढ़े नेपाली अपनी स्कूल की पढ़ाई पूरी नहीं कर पाए लेकिन संघर्षो के मध्य जीवन की पाठशाला में आम लोगों की भावनाओं को उन्होंने नजदीक से जाना-समझा और उनकी अपेक्षा तथा आकांक्षाओं को अपनी कविताओं और गीतों में वाणी दी। नेपाली जी ने जब होश संभाला तब चंपारण में महात्मा गांधी का असहयोग आंदोलन चरम पर था। उन दिनों पंडित कमलनाथ तिवारी, पंडित केदारमणि शुक्ल और पंडित राम ऋषिदेव तिवारी के नेतृत्व में भी इस आंदोलन के समानान्तर एक आंदोलन चल रहा था। नेपाली जी इस दूसरी धारा के ज्यादा करीब थे। साहित्य की लगभग सभी विधाओं में पारंगत नेपाली जी की पहली कविता 'भारत गगन के जगमग सितारे' 1930 में रामवृक्ष बेनीपुरी द्वारा सम्पादित बाल पत्रिका में प्रकाशित हुई थी। इसके बाद उनके कई काव्य संग्रह प्रकाशित हुए। पत्रकार के रूप में उन्होंने कम से कम चार हिन्दी पत्रिकाओं, रतलाम टाइम्स, चित्रपट, सुधा और योगी का सम्पादन किया। युवावस्था में नेपाली जी के गीतों की लोकप्रियता से प्रभावित होकर उन्हें कवि सम्मेलनों में आमंत्रित किया जाने लगा। उस दौरान एक कवि सम्मेलन में राष्ट्रकवि रामधारी सिंह 'दिनकर' उनके एक गीत को सुनकर गद्गद हो गए थे। उस दौर में नेपाली जी के गीतों की धूम मची हुई थी लेकिन उनकी आर्थिक हालत खराब थी और कवि सम्मेलनों से मिलने वाली रकम से परिवार का गुजारा चलाना मुश्किल हो रहा था। वर्ष 1944 में वह अखिल भारतीय कवि सम्मेलन में भाग लेने के लिए मुंबई आए थे। उस कवि सम्मेलन में फिल्म निर्माता शशिधर मुखर्जी भी मौजूद थे, जो उनकी कविता सुनकर बेहद प्रभावित हुए। उसी दौरान उनकी ख्याति से प्रभावित होकर फिल्मिस्तान के मालिक सेठ तुलाराम जालान ने उन्हें दो सौ रुपए प्रतिमाह पर गीतकार के रूप में चार साल के लिए अनुबंधित कर लिया। नेपाली जी ने सबसे पहले 1944 में फिल्मिस्तान के बैनर तले बनी ऐतिहासिक फिल्म 'मजदूर' के लिए गीत लिखे। कथा सम्राट मुंशी प्रेमचंद की कहानी पर आधारित इस फिल्म का संवाद लेखन प्रसिद्ध साहित्यकार उपेन्द्रनाथ अश्क ने किया था। इस फिल्म के गीत इतने लोकप्रिय हुए कि बंगाल फिल्म जर्नलिस्ट एसोसिएशन की ओर से नेपालीजी को 1945 का सर्वश्रेष्ठ गीतकार का पुरस्कार दिया गया। फिल्मी गीतकार के तौर पर अपनी कामयाबी से उत्साहित होकर नेपाली जी फिल्म इंडस्ट्री में ही जम गए और लगभग दो दशक 1944 से 1962 तक गीत लेखन करते रहे। इस दौरान उन्होंने 60 से अधिक फिल्मों के लिए लगभग 400 से अधिक गीत लिखे। फिल्म इंडस्ट्री में नेपाली की भूमिका गीतकार तक ही सीमित नहीं रही। उन्होंने गीतकार के रूप में स्थापित होने के बाद फिल्म निर्माण के क्षेत्र में भी कदम रखा और हिमालय फिल्म्स और नेपाली पिक्र्चस फिल्म कंपनी की स्थापना करके उसके बैनर तले तीन फिल्मों का निर्माण किया(राष्ट्रीय सहारा,मुंबई,17.4.11)।

Friday, April 15, 2011

फर्स्ट डे फर्स्ट शो अब आपके घर पर

तकनीक का चमत्कार यूं ही जारी रहा तो वो दिन दूर नहीं जब अपने पसंदीदा सितारे की ताजातरीन फिल्म देखने के लिए फिल्म की रिलीज के दिन आप अपने घर के भीतर बाहर से ताला लगाकर बैठें। क्योंकि, आप नहीं चाहेंगे कि आपकी ये पसंदीदा फिल्म बजाय सिनेमाघर के जब आप अपने घर में अपने खास दोस्तों के साथ देख रहे हों तो कोई आपको डिस्टर्ब करे। उपग्रहों से सीधे आपके टेलीविजन के लिए तमाम चैनल पकड़ने वाले छोटी सी छतरी का दिमाग बड़ा हो रहा है और इसके जरिए आपकी जेब से पैसा निकालने की एक चुपचाप लेकिन चौंकाने वाली कोशिश शुरू हो गई है।

देश में फिल्मों को थिएटरों तक पहुंचाने के तरीकों में पिछले तीन-चार साल में क्रांतिकारी परिवर्तन हो चुका है। अब तमाम सिनेमाघरों के मालिक वितरकों के पास फिल्म के प्रिंट लेने के ना तो अपने कर्मचारी भेजते हैं और ना ही शुक्रवार की दोपहर तक ट्रेन लेट होने या रास्ते में ट्रैफिक जाम लग जाने के चलते प्रिंट न आने पर उनकी सांसें ही फूलती हैं। कभी जी समूह के लिए देश में पहली ऑन लाइन लॉटरी प्लेविन की परिकल्पना सोचने और उसे अमली जामा पहनाने वाले और पेशे से इंजीनियर संजय गायकवाड़ ने छह साल पहले एक ऐसी तकनीक की परिकल्पना की जिसके जरिए फिल्मों का सिनेमाघरों में प्रदर्शन और वितरण एक जगह से नियंत्रित किया जा सके। पूरे देश में करीब ढाई हजार सिनेमाघर अब इसी तकनीक से सैटेलाइज के जरिए फिल्में दिखाते हैं।

सैटेलाइट के जरिए एमपीईजी ४ स्तर का डिजिटल प्रसारण मुहैया कराने वाली दुनिया की इकलौती कंपनी यूएफओ मूवीज को चलाने वाले वैल्यूएबल ग्रुप के भीतर अब एक और क्रांतिकारी काम चल रहा है। ये कदम है देश में सिनेमा के शौकीनों का एक ऐसा क्लब तैयार करने का, जो नई फिल्में देखने के लिए ५० हजार से लेकर एक लाख रुपए प्रति फिल्म तक खर्च करने का माद्दा रखते हों। ये कीमत सदस्यों की संख्या बढ़ने पर आगे कम भी हो सकती है। क्लब एक्स नाम के इस समूह में अब तक हर्ष गोयनका, अमित बर्मन और छगन भुजबल के अलावा शाहरूख खान,अजय देवगन और सचिन तेंदुलकर शामिल हो चुके हैं। क्लब की सदस्यता फिलहाल केवल आमंत्रण से है और जाहिर है,इसका सदस्य बनने से पहले आपकी कोठी में दस-बारह लोगों के एक साथ बैठने लायक छोटा सा थिएटर भी होना चाहिए(पंकज शुक्ल,नई दुनिया,दिल्ली,15.4.11)

Wednesday, April 6, 2011

भोजपुरी फिल्मों पर बड़ी कंपनियों की नजर

कार्पोरेट कंपनियां अब सिर्फ बड़े शहरों पर ही नहीं बल्कि छोटे शहरों में भी पहुंचना चाहती हैं और इसके लिए वह फिल्मों का सहारा ले रही हैं। इमामी कंपनी ने अपने तेल की ब्रान्डिंग के लिए भोजपुरी फिल्म की मदद लेते हुए फिल्म का एक पूरा गाना स्पॉन्सर किया हैं। जंग नाम की फिल्म में नजर आने वाले इस गाने का रिकार्डिंग तक का पूरा खर्च इमामी ने किया है। फिल्मों के इतिहास में यह पहली बार हो रहा है। झंडू बाम गाने की सफलता से कंपनियों को यह अनोखी कल्पना सूझी है। इमामी कंपनी का हिमानी नवरत्न एक्स्ट्रा ठंडा ऑयल के प्रमोशन के लिए कंपनी ने यह अनोखा कदम उठाया हैं।

हालांकि, कंपनी के तेल का विज्ञापन शाहरुख खान और अमिताभ बच्चन कर ही रहे हैं, बावजूद इसके उत्तर प्रदेश में अपनी पैठ बनाने के लिए कंपनी ने गाना स्पॉन्सर किया है। सूत्रों के मुताबिक, भोजपुरी में बनने वाली फिल्म जंग में संभावना सेठ पर यह गाना फिल्माया गया है।मुंबई (ब्यूरो)। कार्पोरेट कंपनियां अब सिर्फ बड़े शहरों पर ही नहीं बल्कि छोटे शहरों में भी पहुंचना चाहती हैं और इसके लिए वह फिल्मों का सहारा ले रही हैं। इमामी कंपनी ने अपने तेल की ब्रान्डिंग के लिए भोजपुरी फिल्म की मदद लेते हुए फिल्म का एक पूरा गाना स्पॉन्सर किया हैं। जंग नाम की फिल्म में नजर आने वाले इस गाने का रिकार्डिंग तक का पूरा खर्च इमामी ने किया है। फिल्मों के इतिहास में यह पहली बार हो रहा है। झंडू बाम गाने की सफलता से कंपनियों को यह अनोखी कल्पना सूझी है। इमामी कंपनी का हिमानी नवरत्न एक्स्ट्रा ठंडा ऑयल के प्रमोशन के लिए कंपनी ने यह अनोखा कदम उठाया है(नई दुनिया,दिल्ली,6.4.11)।