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Sunday, July 17, 2011

सिनेमाई प्रयोग में खो रहे बॉलीवुड से खलनायक

बॉलीवुड फिल्मों में प्रयोगों के चलते खलनायक खत्म होते जा रहे हैं। नो वन किल्ड जेसिका, यमला पगला दीवाना, धोबी घाट, सात खून माफ, तनु वेड्स मनु, चलो दिल्ली, रागिनी एमएमएस से लेकर डेल्ही बेली और जिंदगी ना मिलेगी दोबारा.. तक ये इस साल की ऐसी चर्चित फिल्में हैं जिनमें खलनायक की जरूरत महसूस ही नहीं होती। जबकि ये फिल्में अपनी कहानी अथवा मेकिंग में किसी न प्रयोग के लिए चर्चा में रही हैं। खलनायक की छवि वाले चेहरे पहले ही गुम हो चुके हैं। हालांकि अमिताभ बच्चन, शाहरुख खान, आमिर खान, अक्षय कुमार, रितिक रोशन, सलमान खान, विवेक ओबराय, संजय दत्त, सैफ अली खान, जॉन अब्राहम जैसे दिग्गज अभिनेताओं ने नकारात्मक भूमिकाओं को निभाने से गुरेज नहीं किया। इसके बावजूद अब ऐसी भूमिकाओं की जरूरत नहीं दिख रही। एक वक्त था जब पटकथा लेखक खास तौर पर विलेन का किरदार लिखते थे। मगर समय के साथ बॉलीवुड की फिल्मों में किरदारों की भूमिका में भी काफी बदलाव आया है। पिछले कुछ वर्षो में थ्री इडियट्स का रैंचो हो या दबंग का चुलबुल पांडे और माइ नेम इज खान का रिजवान खान, असल जिंदगी की हकीकत के ये इतने नजदीक हैं दर्शक को कहानी में अलग से किसी नायक या खलनायक की जरूरत महसूस नहीं होती। जबकि इनसे पहले नायकों को दर्शक खल भूमिकाओं में स्वीकार चुके हैं। धूम 2 में चोर की भूमिका निभाने वाले रितिक दर्शकों का दिल चुराने में कामयाब थे। डर, अंजाम और डॉन में शाहरुख और खाकी, काल, दीवानगी में अजय देवगन खलनायक के किरदारों को निभाने से गुरेज नहीं किया। ओंकारा में लगड़ा त्यागी का किरदार निभाकर सैफ ने खूब वाह-वाह लूटी थी। हीरोइनें भी नकारात्मक भूमिका में वाहवाही लूट चुकी हैं। खाकी में ऐश्र्वर्या राय, गुप्त में काजोल, गॉड मदर में शबाना आजमी, एतराज में प्रियंका चोपड़ा और फिदा में करीना कपूर ने भी इस किरदार में अपने जलवे दिखाए। बैड मैन के नाम से मशहूर गुलशन ग्रोवर कहते हैं फिल्मों से विलेन तो अब गायब ही हो गए हैं। चुनिंदा फिल्मों में ही विलेन के लिए कुछ गुंजाइश बची है। हालिया रिलीज डेल्ही बेली, मर्डर-2 भी प्रयोगात्मक फिल्म हैं। इसमें भी खलनायक की आवश्यकता महसूस नहीं की गई। वैसे रोचक तथ्य यह है कि आमिर धूम 3 वहीं विवेक ओबराय कृष 2 में नकारात्मक भूमिका में नजर आएंगे। वहीं बीते जमाने के खलनायक कादर खान, गुलशन ग्रोवर और शक्ति कपूर कॉमेडी में हाथ आजमा रहे हैं। जब वी मैट के निर्देशक इम्तियाज अली स्वीकार करते हैं कि खलनायक अब गायब होते जा रहे हैं। जैसे-जैसे सिनेमा वास्तविक के करीब होता जाएगा इन किरदारों में निश्चित रूप से परिवर्तन आएगा(दैनिक जागरण,दिल्ली,17.7.11)।

5 comments:

  1. Naye experiments me bahut kuchh badal gaya hai.

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  2. नये प्रयोग सिनेमा जगत के हित में ही है ....

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  3. भारतीय सिनेमा भी बदलाव के दौर से गुजार रहा है ...

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  4. for progress its necessary
    thoughtful article

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  5. हर व्यक्ति के अन्दर नायक और खलनायक दोनों मौजूद रहते हैं ...
    बहरहाल ...क्या होगा खलनायकों का ? शायद शक्ति कपूर और कादिर खान की तरह कामिक रोल करेंगे |

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