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Wednesday, December 12, 2012

नीला आसमां सो गया....



 " है रूप में वो खटक, वो रस, वो झंकार
                 कलियों के चटकते वक्त जैसे गुलजार
या नूर की उंगलियों से देवी कोई
   जैसे शबे-माह में बजाती हो सितार "
                                
                                       - फ़िराक़

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