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Monday, July 4, 2011

सेंसर बोर्ड को सुनाई नहीं देते अश्लील गाने

हाल ही में आमिर खान की फिल्म "डेल्ही बेली" के गाने "डी के बोस भाग रहा है" के बोल भद्दे और अश्लील होने के बावजूद बेहद चर्चित हो रहे हैं। डेल्ही बेली का यह गाना पिछले एक महीने से भाग रहा है और अब इतना भाग चुका है कि उसकी रफ्तार को अब यदि थाम भी लिया जाए तो कुछ होने वाला नहीं है। सीधे-सीधे कहें तो गाली के बोल जैसी प्रतिध्वनि वाले डीके बोस गीत पर अब हो-हल्ला मचाने का कोई औचित्य नहीं रह गया है क्योंकि यह गाना न केवल टेलीविजन चैनलों और एफएम रेडियो के जरिए जबर्दस्त हिट हो चुका है बल्कि इसकी अच्छी- खासी चर्चा मीडिया में भी हो रही है। वैसे देर-सवेर जागे सूचना मंत्रालय ने सेंसर बोर्ड को इस गीत को पास करने की बाबत जवाब तलब किया है।

सूचना मंत्रालय ने सेंसर बोर्ड से पूछा है कि आखिर कैसे इस गाने को पास कर दिया गया जबकि इस गाने में साफ तौर पर गालियों की भरमार है। बेशक, किसी को ये गालियां भले ही न पसंद आई हों पर आमिर खान को खूब पसंद आई हैं। तभी तो आमिर इस गाने को और लोकप्रिय बनाने के लिए एक पार्टी का आयोजन करने जा रहे हैं। सवाल उठता है कि आमिर खान इस भोंडे गाने को जनता के सामने पेश कर क्या सिद्ध करना चाहते हैं। "डेल्ही बेली" में अब इस गीत के बोल कुछ बदल भी दिए जाएं तब भी कुछ होने वाला नहीं है क्योंकि इस गाने की बदौलत फिल्म को जितनी पब्लिसिटी मिलनी थी, वह मिल चुकी है। सूचना मंत्रालय भी हमेशा की तरह तब लाठी चलाता है जब सांप बिल में घुस चुका होता है।

हैरानी की बात तो यह है कि इस तरह के अश्लील गाने का यह अकेला मामला नहीं है, इससे पहले भी कई गाने बाजार में आ चुके हैं जिन्हें सेंसर बोर्ड बड़ी आसानी से पास कर चुका है। इसके बावजूद सूचना मंत्रालय तमाशबीन बनकर देखता रहा है। तीसमार खां के गाने को लेकर भी काफी विवाद हुआ था। शीला की जवानी गाना फिल्म के आने से पहले ही काफी हिट हो चुका था, जिसके चलते देश में शीला नाम की युवतियों को शर्मिंदा होना पड़ा था। शर्मिंदा होने का कारण था नाम को गलत तरीके से पेश करना। शीला नाम की युवतियों पर युवकों ने गाने के बहाने फब्तियां कसनी शुरू कर दी थीं।

वहीं फिल्म "दबंग" का गाना "मुन्नी बदनाम हुई" भी विवादों के साए में चर्चित हो गया। हमारे देश के अलावा पड़ोसी देश पाकिस्तान में भी मुन्नी नाम की कई महिलाओं ने एतराज जताया। पाकिस्तान की मुन्नी नाम की एक महिला, जो अपने घर में दुकान चलाती थी, को गाने के हिट होने के बाद कई दिनों तक अपनी दुकान बंद करनी पड़ी। फिल्मों में छोटे-छोटे दृश्यों को लेकर हल्ला मचाने वाले सेंसर बोर्ड को इन गानों की भद्दी गाली कैसे सुनाई नहीं दी। वैसे भी सेंसर बोर्ड पिछले कुछ सालों से उदार बना हुआ है(धनीश शर्मा,नई दुनिया,4.7.11)।

4 comments:

  1. अफ़सोस इससे भी ज्यादा अश्लील गाने आ चुके हैं ।
    लेकिन लगता है सब टोलेरेंट हो गए हैं ।

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  2. अब इस तरह की नियंत्रणकारी संस्थाएं अपनी इन नीतियों के कारण ही बिल्कुल बेमानी और अर्थहीन होती जा रही हैं । लेखक ने बिल्कुल सही कहा है

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  3. बाप बड़ा न भैया... सबसे बड़ा रुपैया!!
    अब भैया फ़ोकट के पैसे मिलेंगे तो बोर्ड क्या.. सूचना मंत्रालय भी सब पास करेगा...
    दम-मारो-दम गाना भी बेहद ही फूहड़ था.. पर सब चलता है क्योंकि सेंसर बोर्ड कुछ सेन्स नहीं करता.. बस पैसा!!

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