सियासत के बॉक्स ऑफिस पर रणछो़ड़दास श्यामलाल चांच़ड़ की बल्ले-बल्ले है। सिल्वर स्क्रीन के रैंचो के जलवे के आगे किंग खान की चमक फीकी प़ड़ गई है। सियासत के सेंसेक्स पर रैंचो का भाव उछाल मार रहा है और वह राजनीतिक गलियारे के मोस्ट वांटेड बन गए हैं। रैंचो को पहचाना नहीं? जी हां, हम थ्री इडियट्स के रैंचो की ही बात कर रहे हैं यानी फिल्म अभिनेता आमिर खान की।
राजनीतिक गलियारों में इन दिनों फिल्म अभिनेता आमिर खान की अदाकारी और उनके सामाजिक सरोकारों की खूब चर्चा है। तो शाहरुख खान लगभग राजनीतिक परिदृश्य से नदारद दिखाई दे रहे हैं। कुछ समय पहले तक राजनीतिक गलियारों में शाहरुख की खूब पूछ हुआ करती थी। पर अपने सामाजिक सरोकारों और उससे जु़ड़ी फिल्मों जैसे रंग दे बंसती, तारे जमीं पर, थ्री इडियट्स और पीपली लाइव जैसी फिल्में बनाकर आमिर ने अब उनकी जगह ले ली है। कांग्रेस हो या भाजपा, शाहरुख ने भविष्य की संभावनाओं को तलाशते हुए दोनों दलों के साथ बेहतर तालमेल बनाए रखने की कोशिश की थी। कांग्रेस के कुछ वरिष्ठ नेताओं के साथ उनके नजदीकी रिश्ते रहे। उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की कविताओं पर बनाए गए वीडियो में भी कुछ कविताएं गाईं। राजनीति के जानकारों के मुताबिक कुछ इसी तर्ज पर आमिर खान भी कांग्रेस और भाजपा में समान तौर पर पैठ बनाने की कोशिश कर रहे हैं। एक राष्ट्रीय पार्टी के प्रमुख नेता का कहना है कि जिस तरह आमिर कांग्रेस और भाजपा दोनों के बीच तालमेल बैठा कर चल रहे हैं इससे वह न केवल अपनी धर्मनिरपेक्ष छवि पेश कर रहे हैं बल्कि कुछ समय बाद उनके राजनीति में आने की संभावना को भी नहीं नकारा जा सकता। आमिर एक तरफ फिल्म इंड्रस्ट्री में ऐसे सिनेमा के पैरोकार दिखाई देते हैं जिससे समाज को एक संदेश मिल सके और दूसरी तरफ सरकार को अपने स्टारडम की कुछ सेवाएं दे रहे हैं।
आमिर पर्यटन मंत्रालय के अतुल्य भारत विज्ञापन में पर्यटकों के साथ अच्छे सलूक का संदेश देते दिखाई देते हैं तो दूसरी तरफ २००९ के लोकसभा चुनाव के दौरान उन्होंने एक गैर सरकारी संस्था के जरिए साफ-सुथरे उम्मीदवारों को चुनने के अभियान में अपनी खूब सक्रियता दिखाई। कांग्रेस और सरकार के लिए भी आमिर ऐसे अभिनेता बन गए हैं जिन्हें सिर आंखों पर बिठाया जा रहा है। वह प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के चहेते बने हुए हैं। यही वजह रही कि अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा के भारत दौरे के समय प्रधानमंत्री ने जिन गण्यमान्य लोगों को रात्रिभोज पर आमंत्रित किया था उनमें आमिर को खास तौर पर बुलाया गया था। प्रधानमंत्री कार्यालय के सूत्रों के मुताबिक,यदि शाहरूख को भी इसमें बुलाया जाता,तो आमिर नहीं आते। इसलिए,आमिर को बुलाना मुनासिब समझा गया। हाल में,आमिर बच्चों में कुपोषण की रोकथाम के लिए एक अभियान में शामिल हुए हैं जिसमें लगभग सभी दलों के युवा सांसद शामिल हैं। इसी सिलसिले में,संसद पहुंचे आमिर को प्रधानमंत्री से मिलने के लिए पांच मिनट का वक्त मिला था पर मुलाकात हुई तो बातों का सिलसिला आधे घंटे तक चल पड़ा। सूत्रों का कहना है कि प्रधानमंत्री की ओर से आमिर खान को खूब समर्थन मिल रहा है। वहीं,मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल और शहरी विकास मंत्रालय ने स्कूलों में स्वच्छता कार्यक्रम के लिए आमिर को ब्रांड एंबेसडर बनाया है। आमिर अच्छे फिल्म निर्माता और अभिनेता के अलावा,अच्छे रणनीतिकार माने जाते हैं। यह उनकी रणनीति का ही हिस्सा रहा है कि पीपली लाईव के प्रदर्शन के बाद आमिर ने प्रधानमंत्री के आवास पर उन्हें विशेष तौर पर यह फिल्म दिखाई थी। इसके तुरंत बाद,उन्होंने भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी समेत भाजपा के कई बड़े नेताओं और सांसदों के लिए भी इस फिल्म की स्पेशल स्क्रीनिंग की। पिछले सप्ताह संसद पहुंचने पर आमिर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी से तो मिले ही,साथ में लालकृष्ण आडवाणी और लोकसभा में विपक्ष के नेता सुषमा स्वराज औऱ लोकसभाध्यक्ष मीरा कुमार से भी मुलाकात की(प्रतिभा ज्योति,नई दुनिया,दिल्ली,12.12.2010)।
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