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Saturday, January 9, 2010
दूल्हा मिल गयाःसमीक्षा
दूल्हा मिल गयाः दूल्हे के इंतजार में शादी ठंडी
दूल्हा मिल गया
कलाकार : फरदीन खान , सुष्मिता सेन , शाहरुख खान
निर्माता : विवेक वासवानी
निर्देशकः मुद्दस्सर अजीज
संगीत : ललित पंडित
सेंसर सर्टिफिकेट : यू
अवधि : 141 मिनट
हमारी रेटिंग : **
इस फिल्म के निर्माता की जितनी तारीफ की जाए कम है। इंडस्ट्री में ऐसे कम ही लोग मिलेंगे , जो अपनी पूरी हो चुकी फिल्म को सिर्फ एक स्टार की वजह से डिब्बे में बंद कर देते हैं। लेकिन शायद बात इंडस्ट्री के किंग खान यानी शाहरुख खान की थी इसलिए इंतजारी ने उन्हें ज्यादा परेशान नहीं किया।
करीब तीन साल पहले विवेक वासवानी ने जब इस दूल्हा मिल गया को शुरू किया , तब उनके खास दोस्त शाहरुख ने वादा किया कि उनकी फिल्म में वह बतौर गेस्ट स्टार काम करेंगे। विवेक ने फिल्म पूरी कर दी , लेकिन उस वक्त शाहरुख अपनी होम प्रॉडक्शन कंपनी की फिल्मों और दूसरे कार्यक्रमों में कुछ ऐसे उलझे कि विवेक की फिल्म लटकती रही। पिछले साल शाहरुख को जब विवेक ने बताया कि करीब डेढ़ साल से फिल्म सिर्फ उनकी वजह से रुकी हुई है , तब शाहरुख ने उन्हें अपनी कीमती डेट्स दे ही डाली। इस फिल्म का सब्जेक्ट दर्शकों को अगर बासी लगे और रफ्तार धीमी तो , इसकी वजह इंतजार का दर्द ही लगता है। वहीं , शाहरुख ने फिल्म लटकाने का खामियाजा अदा करने के लिए अपना रोल बढ़वाया , ताकि बॉक्स ऑफिस पर भीड़ लग सके। लेकिन शायद इसका भी कोई असर फिल्म को संजोने में नहीं हो पाया।
कहानी : फिल्म के हीरो जय ( फरदीन खान ) का मानना है कि जिंदगी को अगर एंजॉय करना चाहते हो , तो शादी के बंधन से दूर रहो। यही वजह है कि वह समरप्रीत ( इशिता शर्मा ) से अपनी शादी को कोई न कोई बहाना बनाकर टालने में लगे हैं। वहीं , ग्लैमर वर्ल्ड की स्टार सिमोन ( सुष्मिता सेन ) को दिल से प्यार करने वाले करोड़पति पवनराज गांधी ( शाहरुख खान ) को इंतजार है उसकी ' हां ' का , जो अपने करियर और कामयाबी की खातिर उसके प्यार को टालने में लगी है। फिल्म की तीसरी जोड़ी तन्नी ( तारा शमा ) और जिगर ( मोहित चड्डा ) एक दूसरे को चाहते तो बहुत हैं , लेकिन न जाने क्या मजबूरी है कि दोनों प्यार का इजहार करने से बचते है। इन तीन जोड़ियों के इर्द - गिर्द घूमती इस कहानी का ' द एंड ' आप फिल्म के पहले सीन से ही समझ जाएंगे।
ऐक्टिंग : शाहरुख खान की एंट्री के बाद ही फिल्म से दर्शक कुछ जुड़ पाते हैं वरना सुष्मिता , तारा शर्मा और न्यूकमर मोहित चड्डा स्क्रीन पर ऐसे नजर आए हैं , जैसे डायरेक्टर इनसे जबरन काम करा हो। पिछली कई फिल्मों में स्क्रीन पर दूल्हा बन रहे फरदीन भी पूरी फिल्म में बुझे - बुझे नजर आते हैं।
म्यूजिक : शाहरुख खान पर फिल्माया आइटम सॉन्ग और टाइटिल सॉन्ग ' दूल्हा मिल गया ' अच्छे बन पड़े हैं। वरना , एक के बाद एक लगातार सात - सात गाने फिल्म को और सुस्त बनाते हैं।
डायरेक्शन : मुद्दस्सर अजीज के सुस्त निर्देशन के अलावा कमजोर संवाद फिल्म को कहीं खड़ा नहीं कर पाते। मूवी देखकर ही लगता है कि डायरेक्टर ने कहानी को बेवजह लंबा करने के लिए लोटस जैसे फिजूल करैक्टर और तारा व मोहित की जोड़ी को जबरन ठूंसा है।
क्यों देखें : अगर आप घर से निकले है और अपनी पसंदीदा फिल्म की टिकट नहीं मिल रही है और टाइम काटना ही है , तो मूवी देख सकते हैं। हां , बी और सी क्लास सेंटरों और सिंगल स्क्रीन थिएटरों में फिल्म एक खास क्लास को पसंद आ सकती है।
(चंद्रमोहन शर्मा,नभाटा,दिल्ली,9 जन.,2010)
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