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Sunday, July 25, 2010

बॉलीवुड के सावन में सब कुछ हरा-हरा

परदे पर हीरोइन को सैक्सी दिखाने के लिए फिल्मकारों के पास बारिश का है सदाबहार बहाना। परदे पर टिप...टिप बरसते पानी में नायिका का तरबतर हो जाना और उसकी झीनी कॉस्ट्यूम में झांकते बदन पर कैमरा घुमाना, हमारे सिनेमा का ट्रेंड है पुराना। फिल्मी बारिश के इस नजारे पर भीगी-भीगी नजर डाली है राजस्थान पत्रिका में राजेन्द्र कांडपाल ने 17 जुलाई के अंक में-
राजकुमार हिरानी की ब्लॉकबस्टर '3 ईडियट्स' में आमिर खान और करीना कपूर पर फिल्माए गीत 'जुबी डूबी' गीत और फिल्म 'दे दना दन' में अक्षय कुमार और कैटरीना कैफ के गीत 'आ गले लग जा' में दो बातें कॉमन हैं। पहली तो यह कि दो अलग-अलग जोडियों पर फिल्माए गए बारिश गीत हैं, जिन्हें फिल्मी भाषा में रेन सॉन्ग कहा जाता है। रेन सॉन्ग में डांस करने का करीना का अनुभव पुराना है, लेकिन कैटरीना 'दे दना दन' में पहली बार फिल्मी बारिश में भीगी थीं। दूसरी समानता यह कि इन दोनों गीतों ने अपनी फिल्म के बिजनैस में कोई इजाफा नहीं किया। कैटरीना के उत्तेजक रेन सॉन्ग के बावजूद 'दे दना दन' सुपर हिट नहीं हो पाई, तो दूसरी तरफ '3 ईडियट्स' की जबरदस्त कामयाबी में 'जुबी डूबी' गीत का कोई योगदान नहीं रहा।
दरअसल बारिश के पानी के जरिए दर्शकों को नायिका की सैक्स अपील की सप्लाई करना और अपनी फिल्म को हिट बनाना बॉलीवुड का पुराना टे्रंड रहा है। यह अलग बात है कि कभी-कभी बारिश के उत्तेजक डांस नंबर के बावजूद फिल्में हिट नहीं हुई। 'यलगार' में संजय दत्त और नगमा के बीच बरसाती गाना 'आखिर तुम्हें आना है जरा देर लगेगी, बारिश का बहाना है जरा देर लगेगी' बारिश और नगमा की उत्तेजक सैक्स अपील से भीगा होने के बावजूद फिल्म को हिट नहीं करवा पाया। पंकज पाराशर की फिल्म 'चालबाज' में सनी देओल के साथ बारिश के पानी में भीगी श्रीदेवी 'किसी के हाथ न आएगी ये लडकी' गाती हुई सफेद टॉप में सैक्स अपील करती नजर आई। फिल्म 'मंजिल' में अमिताभ बच्चन और मौसमी चटर्जी पर फिल्माया गीत 'रिमझिम गिरे सावन' बेहद रोमांटिक होने के बावजूद दर्शकों को सिनेमाघरों तक खींच नहीं पाया था।
हिंदी फिल्मों के ज्यादातर बारिश गीत नायिकाओं पर केंद्रित रहे हैं। 'गुरू' का 'बरसो रे मेघा बरसो' ऎश्वर्या की बारिश में भीगी चंचलता को दिखाता है, तो 'मोहरा' का 'टिप टिप बरसा पानी' रवीना टंडन के बदन का भूगोल दर्शकों के सामने लाने की कोशिश करता है। 'मिस्टर इंडिया' का 'काटे नहीं कटते दिन ये रात' भी श्रीदेवी का मादक चेहरा हमारे सामने लाता है। इसी तरह 'नया जमाना'
का पॉपुलर गाना 'रामा रामा गजब हुई गवा रे' हेमामालिनी की सैक्स अपील को भुनाने के लिए ही रखा गया था। इसी सिलसिले में मनोज कुमार की फिल्म 'रोटी कपडा और मकान' की नायिका जीनत अमान का गीत 'हाय हाय ये मजबूरी ये मौसम ये दूरी' भी याद आता है। मनोज कुमार ने इससे पहले 'शोर' में 'पानी रे पानी तेरा रंग कैसा' गीत जया भादुडी के चारों ओर थिरकती नर्तकियों की सैक्स अपील को उभारने के लिए ही रखा था। 'आराधना' का रोमांटिक गाना 'रूप तेरा मस्ताना प्यार मेरा दीवाना' नायक और नायिका को कामुक बना देता है। राजेश खन्ना और शर्मिला टैगोर बारिश में भीग जाते हैं। बारिश से बचने के लिए दोनों एक होटल मे ठहरते हैं। शर्मिला भीगे कपडे बदलकर तौलिया बांध लेती हैं, उनके इस रूप को देख राजेश खन्ना उत्तेजित हो जाते हैं। बैकग्राउंड में 'रूप तेरा मस्ताना' गीत बजता है और सुलगती आग के साथ दो प्रेमियों के सुलगते बदन एक हो जाते हैं। 'हम तुम' में सैफ अली खान और रानी मुखर्जी पर फिल्माया बारिश गीत 'सांसों को सांसों से' भी दोनों को कामातुर बना देता है।
हिंदी फिल्मों में बारिश सैक्स अपील और रोमांस के अलावा रहस्य और रोमांच भी पैदा करती है । राहुल रवैल की फिल्म 'अर्जुन' का एक एक्शन सीक्वेंस बरसते पानी के बीच फिल्माया गया था। इसी तरह फिल्म 'लगान' में बारिश, सूखे से पीडित गांव वालों के चेहरों पर खुशियों की बरसात ले आती है।
नई फिल्मों की तुलना में पुरानी फिल्मों में बारिश गीत ज्यादा रूमानी होते थे, प्यार के साथ जज्बात की फुहार से भिगोने वाले। खास तौर पर राज कपूर और नर्गिस के बीच खूबसूरत रोमांटिक गीत फिल्माए गए। 1949 में आई 'बरसात' का 'बरसात मे हमसे मिले तुम सजन तुमसे मिले हम' और 1955 में रिलीज हुई 'श्री 420' का 'प्यार हुआ इकरार हुआ' बेहद रूमानी गीतों में शुमार किए जाते हैं। 'काला बाजार' का बारिश गीत 'रिमझिम के तराने ले के आई बरसात' गीत बरसों पहले बिछडे देव आनंद और वहीदा रहमान के मिलन का जरिया बन जाता है। बरसाती गीत मधुबाला पर काफी फिट बैठते थे। मधुबाला की फिल्म 'बरसात की रात' हो या 'चलती का नाम गाडी', बरसात में भीगी उनकी देह दर्शकों को निहाल कर दिया करती थी।

24जुलाई के नई दुनिया के इंद्रधनुष परिशिष्ट में भी कुछ अन्य पहलुओं की चर्चा की गई हैः
मेघों द्वारा प्रेम के संदेश बरसाने से लेकर, टिप-टिप बारिश के शुरू होने और हाल ही में आई फिल्म "वेकअप सिड" में मुंबई की बारिश को खूबसूरती से दर्शाने तक फिल्मों और बारिश में एक गहरा लगाव स्पष्ट दिखाई देता है। आसमान से बरसती (या फिर तकनीकी साधनों द्वारा बरसाई जाती) इस नेमत में फिल्म निर्देशक रोमांस, एक्शन-फाइट सीन, दो भाइयों के बिछुड़ने के सीन और गानों तक कुछ भी क्रिएट कर सकता है। बारिश का ये बहाना कई चीजों को भुनाने का बहाना साबित हो जाता है।
यूं हिन्दी पंचांग में भले ही सावन एक अलग से महीने का नाम है, लेकिन फिल्म वालों के लिए तो हर बारिश सावन ही है। फिर वो चाहे जब भी हो या कराना पड़े। खासतौर पर अगर हीरोइन उस बारिश में भीगती या नाचती नजर आ जाए तो कहने ही क्या। इस एक अदद सीन के लिए निर्देशक कुछ भी करने को तैयार रहते हैं। कई बार तो इसी कारण से बिना कहानी की मांग के भी बारिश के दृश्य फिल्मों में डाले जाते हैं। नब्बे के दशक की ब्लॉकबस्टर हिट फिल्म "दिल वाले दुल्हनिया ले जाएंगे" का गाना "मेरे ख्वाबों में जो आए..." एक ऐसा ही गीत था। इस फिल्म में नायिका यानी काजोल के पिता को काफी सख्त और भारतीय संस्कृति का कट्टर पक्षधर बताया गया है। उनके सामने नायिका आरती भी करती है और सलवार सूट पहनती है, लेकिन बारिश के उक्त गीत में वो अपनी छुटकी-सी ड्रेस में मटकती नजर आती है। इस गीत के बहाने निर्देशक ने काजोल के ग्लैमरस पक्ष को अच्छे से भुना लिया। ठीक इसी तरह कुछ समय पहले आई "थ्री इडियट्स" में एक गाने में बारिश के बहाने हीरोइन को भिगोया गया और रंग-बिरंगे छातों से दृश्य में प्रभाव पैदा किया गया। फिल्म में हीरोइन के ग्लैमर को प्रदर्शित करने का एकमात्र स्कोप इसी गाने में था, वहीं फिल्म का एक सीन तेज बारिश के बीच मददगार बने आमिर खान और उनके मित्रों पर फिल्माया गया और सीन में खासा ड्रामा क्रिएट किया गया। ऐसे कई गाने हिन्दी फिल्मों में मिलेंगे, जिनमें बारिश का प्रयोग "बस यूंही" लेकिन इरादतन कर लिया गया है। ऐसे गानों को अधिकांशतः बिना कहानी की मांग केवल दर्शकों को रिझाने के लिहाज से फिल्म में फिट किया जाता है। वैसे अगर बात कहानी की मांग पर आकर रुके तो बॉलीवुड में कई निर्देशकों को बारिश या पानी के सीन या गाने शूट करने में माहिर माना जा सकता है। वे अपनी फिल्म में बारिश के जरिए चार चांद लगा डालते हैं। इनमें एक प्रमुख नाम है "मणिरत्नम" या मणि सर का। दक्षिण के अनछुए और बेहद खूबसूरत इलाकों को वे इतने कलापूर्ण ढंग से प्रस्तुत करते हैं कि दर्शक मंत्रमुग्ध से रह जाते हैं। चाहे फिर वो "रोजा" में झरने के नीचे नहाती मधु हों, "गुरु" में बारिश के बीच नाचती ऐश्वर्या या फिर हाल ही में आई "रावण" के शानदार दृश्य हों। उनकी फिल्में पानी को एक अलग ही अंदाज में बेहद सुंदरता के साथ दिखाती हैं। बारिश और प्रकृति को फिल्माने के लिए मणिरत्नम की गहरी सोच और किसी भी सीन को शूट करने की उनकी प्रतिभा का जिक्र सिनेमेटोग्राफर संतोष सीवान के बिना अधूरा है। "रोजा" और "रावण" में उन्होंने जिस पारखी नजर के साथ प्रकृति के अद्भुत नजारों को कैमरे में कैद किया है, वो इन फिल्मों का सशक्त हिस्सा बनकर उभरते हैं।
बारिश पर फिल्माए कुछ सदाबहार गीत
*रिमझिम के तराने लेके आई बरसात
* सावन आए या न आए जिया जब झूमे सावन है
* आहा रिमझिम के ये प्यारे-प्यारे गीत लिए
* रिमझिम गिरे सावन
* रिमझिम-रिमझिम, रुमझुम-रुमझुम
* बरसात में हमसे मिले तुम सजन
* रिमझिम के गीत सावन गाए
* आया सावन झूम के
* दिल ये बेचैन वे, रस्ते पे नैन वे
* बरसो रे मेघा-मेघा

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