शिव आराधना स्टुडियोज एवं उज्जवल फिल्मस मुंबई जल्द ही उत्तराखंडी फिल्मों का निर्माण शुरू करेगा। इसके लिए 25 अगस्त से राज्य के प्रत्येक जिले में कलाकारों का टेस्ट लिया जाएगा। शुक्रवार को गांधी रोड स्थित एक होटल में आयोजित पत्रकार वार्ता में शिव आराधना स्टुडियोज के अजय मधवाल ने बताया कि तमिल फिल्मों में बतौर अभिनेता काम करने के बाद उन्होंने उत्तराखंडी फिल्म निर्माण की ओर कदम बढ़ाए हैं। उज्जवल फिल्मस के उज्वल राणा भी टेलीविजन धारावाहिकों व बॉलीवुड फिल्मों के निर्माण व निर्देशन से जुड़े हैं। उन्होंने बताया कि क्षेत्रीय भाषा की फिल्म निर्माण के लिए प्रदेश के जाने-माने गीतकार व संगीतकारों ने अपनी सहमति जतायी है। फिलहाल उन्होंने फिल्म से जुड़े अन्य पहलुओं का खुलासा करने से इनकार कर दिया है। अभी फिल्म की स्टार कास्ट व अन्य चीजें तय नहीं की गई हैं। गौरतलब है कि उज्जवल राणा मूलता टिहरी व अजय मधवाल मूलत पौड़ी गढ़वाल के रहने वाले हैं। मधवाल दक्षिण भारत की तमिल फिल्मों में बतौर अभिनेता काम कर चुके हैं। उन्होंने बताया कि फिल्म में सभी कलाकारों का चयन स्थानीय स्तर पर ही किया जाएगा। इसके लिए पचीस अगस्त से ऑडिशन की प्रक्रिया आरंभ कर दी जाएगी। स्टुडियोज की ऑडिशन टीम 23 अगस्त को देहरादून पहुंचेगी। सितम्बर तक ऑडिशन प्रक्रिया संपन्न होने के बाद ही फिल्म का निर्माण शुरू हो पाएगा(राष्ट्रीय सहारा,देहरादून,6.8.11)।
इस ब्लॉग पर केवल ऐसी ख़बरें लेने की कोशिश है जिनकी चर्चा कम हुई है। यह बहुभाषी मंच एक कोशिश है भोजपुरी और मैथिली फ़िल्मों से जुड़ी ख़बरों को भी एक साथ पेश करने की। आप यहां क्रॉसवर्ड भी खेल सकते हैं।
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Saturday, August 6, 2011
Wednesday, January 12, 2011
‘दाएं या बाएं’ 14 को देहरादून में होगी रिलीज
उत्तराखंड की खूबसूरत वादियों में शूट की गई बड़े पर्दे की पहली हिंदी फिल्म दाएं या बाएं को १४ जनवरी को राजधानी के दिग्विजय सिनेमा हॉल में रिलीज किया जाएगा। जबकि बुधवार को राजभवन में फिल्म की स्पेशल स्क्रीनिंग होगी।
राजपुर रोड स्थित होटल में पत्रकारों से बातचीत करते हुए फिल्म की लेखिका एवं निर्देशिका बेला नेगी ने बताया कि बड़े पर्दे की इस फिल्म की पूरी शूटिंग उत्तराखंड की खूबसूरत वादियों में की गई है। फिल्म में मूल रूप से उत्तराखंड के रहने वाले दीपक डोबरियाल अभिनेता की मुख्य भूमिका में हैं। जो इससे पहले बड़े पर्दे की कई फिल्मों ओमकारा, मकबूल, शौर्या, गुलाल आदि में काम कर चुके हैं। फिल्म की शूटिंग पिथौरागढ़ और बागेश्वर में की गई है। फिल्म निर्देशिका बेला नेगी ने बताया कि फिल्म में अधिकतर कलाकार उत्तराखंड के रहने वाले हैं। उन्होंने बताया कि लीड रोल में दीपक डोबरियाल की यह पहली फिल्म है। बताया कि फिल्म उत्तराखंड पर आधारित है। उत्तराखंड की खूबसूरत वादियों में स्थानीय कलाकारों द्वारा बनाई गई यह फिल्म निश्चित रूप से प्रदेश के जनमानस को खूब पसंद आएगी(अमर उजाला,देहरादून,12.1.11)।
Monday, December 6, 2010
रविकिशन छत्तीसगढ़ी फिल्मों में भी
छत्तीसगढ़ी फिल्म उद्योग में अब भोजपुरी फिल्मों के सितारे भी रुचि लेने लगे हैं। भोजपुरी फिल्म उद्योग के स्टार रवि किशन छत्तीसगढ़ी फिल्म में काम करेंगे। उन्होंने इसके लिए अपनी सहमति देने के साथ ही एक फिल्म साइन भी कर दी है। छत्तीसगढ़ी फिल्मों के निर्माता अलक राय पहली बार इस तरह का प्रयोग कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि फिल्म की शूटिंग फरवरी से शूटिंग शुरू होगी। इसकी स्टोरी पर काम शुरू कर दिया गया है। एक साथ दो फिल्मों की शूटिंग प्रदेश के विभिन्न स्थलों पर की जाएगी। छत्तीसगढ़ी मे बनने वाली फिल्म के निर्देशक जहां प्रेम चंद्राकर होंगे, वहीं भोजपुरी फिल्म का निर्देशन मुंबई के अजीत श्रीवास्तव करेंगे। छालीवुड से जुड़े लोगों का कहना है कि भोजपुरी और छत्तीसगढ़ी बोली में बहुत ज्यादा अंतर नहीं है। रवि किशन बिना किसी डबिंग के छत्तीसगढ़ी फिल्म में काम करेंगे।
लगभग एक जैसी होगी कहानी :
दोनों ही बोलियों की फिल्मों की कहानियां समान रूप से डेवलप की जा रही हैं। दो तरह के दर्शक वर्ग को ध्यान में रखकर और फ्लेवर को समझते हुए किसी समान स्टोरी पर काम किया जा रहा है। जानकारों की मानें तो छालीवुड को एक नए स्टार से मुखातिब होने का अवसर मिलेगा। श्री राय का कहना है कि इससे उद्योग के विस्तार होने के साथ ही सांस्कृतिक आदान-प्रदान में मदद मिलेगी।
भोजपुरी फिल्मों में जहां 10-11 गाने होते हैं, वही छत्तीसगढ़ी फिल्मों में अधिकतम 6-7 ही गानों का संयोजन होता है। हो सकता है कि नए ट्रेंड के मुताबिक अब ज्यादा मनोरंजक बनाने के लिए छत्तीसगढ़ी फिल्मों में भी कहानी के अनुसार गानों की संख्या बढ़ाई जाए(अमनेश दुबे,दैनिक भास्कर,रायपुर,6.12.2010)।
Saturday, December 4, 2010
बड़े परदे पर लखनऊ की कहानी-"कुछ लोग"
बड़े परदे अगले वर्ष लखनऊ की एक ऐसी कहानी सामने आएगी जिसमें अल्पसंख्यक समुदाय की अन्तरात्मा की तलाश होगी। ‘कुछ लोग’ नामक यह फिल्म अल्पसंख्यक समुदाय के कु छ ऐसे बहादुर लोगों की कहानी होगी जो अपना परिचय समकालीन भारतीय समाज के विकल्प के तौर पर कराना चाहते हैं। फिल्म के निर्माता, निर्देशक और कलाकारों ने शुक्रवार को एक संयुक्त पत्रकार वार्ता में यह जानकारी दी। निर्माता हूरी अली खान, निर्देशक शुजा अली और फिल्म के कलाकारों आर्य बब्बर, गणेश वेंकटरमन, आरती ठाकुर एवं रज्जाक खान और संगीतकार समीर टण्डन ने बताया कि इस फिल्म की कहानी लखनऊ की पृष्ठभूमि पर आधारित है और इसका फिल्मांक न लखनऊ में अगले वर्ष फरवरी से आरम्भ होगा। फिल्म के जुलाई माह में प्रदर्शित होने की संभावना है। मूलत: लखनऊ के रहने वाले फिल्म निर्देशक शुजा अली ने बताया कि फिल्म 26/11 की सच्चाई के सिक्के के दूसरे पहलू को पेश करती है। यह कुछ उन कहानियों पर है जो देश के दूसरे भागों में घटित हो रहा था। एक ओर जहाँ आतंकवादी मुम्बई में लोगों की जान ले रहे थे वहीं कुछ अल्पसंख्यक समुदाय के लोग जीवन बचाने में लगे थे। उन्होंने कहा कि इसमें 26/11 की घटनाएँ जरूर हैं लेकिन यह आतंकवादी हमले या आतंकवाद पर आधारित फिल्म नहीं है। फिल्म में अनुपम खेर, गुलशन ग्रोवर, रति अग्निहोत्री, टॉम आल्टर, नीलिमा अजीम है। आर्य ने कहा कि कुछ फिल्में व्यावसायिक फायदे के लिए बनाई जाती हैं जबकि यह फिल्म दिल के करीब है। दक्षिण की कई फिल्म कर चुके गणेश ने बताया कि मेरी पहली फिल्म कन्धार अगले वर्ष जनवरी में प्रदर्शित होगी(हिंदुस्तान,लखनऊ,4.12.2010)।
आतंकवाद के चलते देश के मुस्लिमों को शक की नजर से देखा जा रहा है। कहीं पर भी कुछ भी आतंकवादी घटना होती है तो तुरंत ही इलाके में रहने वाले मुस्लिम परिवार को भय के साथ जीने पर मजबूर होना पड़ता है। हालांकि उनकी कोई गलती नहीं होती, कुछ लोगों की वजह से उन्हें इस तरह डर कर जीना पड़ता है। इसी मुद्दे को लेकर पहली बार मुस्लिम निर्माता द्वारा भारतीय मुस्लिम और भारत के प्रति उनके विचारों को लेकर कुछ लोग फिल्म का निर्माण शुरू किया गया है।
हाल ही में मुंबई में इस फिल्म का भव्य मुहुर्त किया गया। मुहुर्त के मौके पर निर्माता-निर्देशक-लेखक महेश भट्ट विशेष रूप से उपस्थित थे। उन्होंने बताया जब मुझे यह कहानी सुनाई गई तो मुझे वह बहुत ही अच्छी लगी। वाकई अपने देश में कुछ लोगों की वजह से ही पूरा समाज बदनाम हो रहा है। फिर वह समाज हिंदुओं का हो या मुस्लिमों का। मुसलमानों के भारत के प्रति प्यार को कई फिल्मों में दिखाया है लेकिन उसमें उतनी गहराई नहीं थी जितनी इस फिल्म की कहानी में हैं। मेरा मानना है कि इस तरह की और फिल्में बननी चाहिए ताकि और कसाब तैयार होने से रोका जा सके।
कुछ लोग का निर्माण लखनऊ के सईद असीफ जाह और हूरी अली खान कर रहे हैं तो इसके प्रस्तुतकर्ता है मोहसीन अली खान और मिसाम अली खान। फिल्म में गुलशन ग्रोवर और अनुपम खेर मुख्य किरदारों में नजर आने वाले हैं। अन्य कलाकार हैं रती अग्निहोत्री, आर्य बब्बर, आरती ठाकुर, नीलिमा अजीम, टॉम अल्टर, रवी झंकाल, समीर धर्माधिकारी और रज्जाक खान। शूजा अली फिल्म के निर्देशक हैं। फिल्म की पूरी शूटिंग लखनऊ में की जाने वाली है(नई दुनिया,दिल्ली,4.12.2010)।
आतंकवाद के चलते देश के मुस्लिमों को शक की नजर से देखा जा रहा है। कहीं पर भी कुछ भी आतंकवादी घटना होती है तो तुरंत ही इलाके में रहने वाले मुस्लिम परिवार को भय के साथ जीने पर मजबूर होना पड़ता है। हालांकि उनकी कोई गलती नहीं होती, कुछ लोगों की वजह से उन्हें इस तरह डर कर जीना पड़ता है। इसी मुद्दे को लेकर पहली बार मुस्लिम निर्माता द्वारा भारतीय मुस्लिम और भारत के प्रति उनके विचारों को लेकर कुछ लोग फिल्म का निर्माण शुरू किया गया है।
हाल ही में मुंबई में इस फिल्म का भव्य मुहुर्त किया गया। मुहुर्त के मौके पर निर्माता-निर्देशक-लेखक महेश भट्ट विशेष रूप से उपस्थित थे। उन्होंने बताया जब मुझे यह कहानी सुनाई गई तो मुझे वह बहुत ही अच्छी लगी। वाकई अपने देश में कुछ लोगों की वजह से ही पूरा समाज बदनाम हो रहा है। फिर वह समाज हिंदुओं का हो या मुस्लिमों का। मुसलमानों के भारत के प्रति प्यार को कई फिल्मों में दिखाया है लेकिन उसमें उतनी गहराई नहीं थी जितनी इस फिल्म की कहानी में हैं। मेरा मानना है कि इस तरह की और फिल्में बननी चाहिए ताकि और कसाब तैयार होने से रोका जा सके।
कुछ लोग का निर्माण लखनऊ के सईद असीफ जाह और हूरी अली खान कर रहे हैं तो इसके प्रस्तुतकर्ता है मोहसीन अली खान और मिसाम अली खान। फिल्म में गुलशन ग्रोवर और अनुपम खेर मुख्य किरदारों में नजर आने वाले हैं। अन्य कलाकार हैं रती अग्निहोत्री, आर्य बब्बर, आरती ठाकुर, नीलिमा अजीम, टॉम अल्टर, रवी झंकाल, समीर धर्माधिकारी और रज्जाक खान। शूजा अली फिल्म के निर्देशक हैं। फिल्म की पूरी शूटिंग लखनऊ में की जाने वाली है(नई दुनिया,दिल्ली,4.12.2010)।
Friday, December 3, 2010
"मर जावां गुड़ खा के" रिलीज
बॉलीवुड की नामवर शख्सियतों शक्ति कपूर, संजय मिश्रा, अमन वर्मा, उपासना सिंह, बॉबी डार्लिग के अभिनय के अलावा कोरियोग्राफर सरोज खान के नृत्य से सजी पंजाबी फीचर फिल्म मर जावां गुड़ खा के शुक्रवार को सिलवर स्क्रीन की शोभा बनने जा रही है। फिल्म प्रमोशन के लिए फिल्म के अभिनेता जिम्मी शर्मा और अभिनेत्री गुंजन वालिया वीरवार को यहां पहुंचे। मॉडल गुरु कोरियोग्राफर शुभम चंद्रचूड़ की अगुआई में यहां आयोजित प्रेसवार्ता में फिल्म अभिनेता जिम्मी शर्मा ने बताया कि रोमांस और कॉमेडी से भरपूर यह फिल्म अन्य सभी पंजाबी फिल्मों से हट कर है। दर्शकों के लिए यह यादगार बनकर सामने आएगी। अभिनेत्री गुंजन वालिया ने कहा कि फिल्म वही होती है जो देखने वाले को इस तनाव भरे जीवन में कुछ सुकून प्रदान करे। इस फिल्म का फिल्मांकन पंजाब, मसूरी और मंुबई में किया गया है। एक अर्से के बाद पंजाबी कॉमेडियन मेहर मित्तल फिल्म में दिखाई देंगे। इसके अलावा गुरप्रीत घुग्गी भी खास भूमिका में हैं। संतोख सिंह के संगीत में सजी फिल्म में कुमार ने गीत लिखे हैं, जबकि मीका सिंह, मास्टर सलीम, नीरज श्रीधर, जसपिंदर नरुला, संतोख सिंह, जावेद अली, समांथा और सोनू कक्कड़ की आवाजों में गीत गाए गए हैं। आदित्य सूद के निर्देशन में बनी फिल्म को सुभाष घई के बैनर मुक्ता आर्ट्स तले रिलीज किया जा रहा है।
पहली पंजाबी फिल्म से रुपहले पर्दे पर आ रहे जिम्मी शर्मा और गुंजन वालिया को मर जांवां गुड़ खा के से काफी उम्मीद है। फिल्म की प्रमोशन के लिए पटियाला आए इन नवोदित कलाकार ने अपने कुछ पल दैनिक जागरण के साथ साझा किए। भोली से मुस्कान बिखेरते हुए जिम्मी ने कहा कि कैमरे का सामना उनके लिए नया नहीं है। हां, इतना जरूर है कि यह उनकी पहली फिल्म है। 350 से अधिक पंजाबी वीडियो में अभिनय करने के बाद उन्हें यह फिल्म मिली है। मेरा यह सौभाग्य है कि छोटे पर्दे से निकल कर अब मेरी पहचान सिल्वर स्क्रीन पर भी होगी। उन्होंने बताया कि इस फिल्म में भी मेरे किरदार का नाम जिम्मी ही है। इसके अलावा बॉलीवुड के नामवर कलाकार शक्ति कपूर, अमन वर्मा और संजय मिश्रा भी इस फिल्म में अभिनय कर रहे हैं। उनके साथ काम कर मुझे काफी कुछ सीखने को मिला। करियर के शुरुआत में ही ऐसे दिग्गज कलाकारों के साथ काम करना सौभाग्य की बात है। इतना ही नहीं कोरियोग्राफर सरोज खान की डायरेक्शन में भी मैंने नृत्य की कई बारीकियां जानी। अभी एक और फिल्म के संदर्भ में बात चल रही है। आशा है आने वाले कुछ माह में यह फिल्म सेट पर चली जाएगी। वहीं गुंजन ने कहा कि बॉलीवुड हो या पॉलीवुड पंजाबियों की दोनों जगह पर बल्ले-बल्ले है। एयर होस्टेस की जॉब करते-करते सीरियल में अभिनय का आफर मिल गया। बस फिर क्या था एयर होस्टेस की जॉब को अलविदा कह कर अभिनय की राह पकड़ ली। सीरियल करते-करते पंजाबी फिल्म में अभिनेत्री बनने का मौका मिला। ये मेरे जीवन के यादगार पल हैं(दैनिक जागरण,पटियाला,3.12.2010)।
Tuesday, November 16, 2010
हॉलीवुड-बॉलीवुड में हुआ ऐतिहासिक गठबंधन
भारतीय फिल्म उद्योग का बढ़ता बाजार और विदेशों में बढ़ता दबदबा देख कर हॉलीवुड ने बॉलीवुड की तरफ दोस्ती का हाथ बढ़ा दिया है। शुक्रवार को कैलिफोर्निया में लॉस एंजिल्स और भारतीय फिल्म उद्योग के बीच घोषणा-पत्र पर हस्ताक्षर किए गए। इस अनुबंध के तहत यह दोनों साथ मिल कर फिल्म निर्माण, वितरण, तकनीक, वाणिज्यिक सहकारिता विकसित करने और कॉपीराइट की सुरक्षा को लेकर काम करेंगे। इसके साथ ही लॉस एंजिल्स में भारतीय फिल्म निर्माण के विकास हेतु लॉस एंजिल्स-इंडिया फिल्म काउंसिल का गठन भी करेंगे।
इस मौके पर लॉस एंजिल्स के मेयर एंटोनियो विलाराइगोसा, कैलिफोर्निया फिल्म कमिशनर एमी लेमिश, पैरामाउंट पिक्चर्स के सीईओ ब्रैड ग्रे, मोशन पिक्चर्स एसोसिएशन एशिया पैसिफिक के अध्यक्ष माइक एलिस, मोशन पिक्चर एसोसिएशन इंडिया के प्रबंध निदेशक राजीव दलाल, फिल्म निर्माता बॉबी बेदी, एल. सुरेश के साथ ही रिलायंस बिग एंटरटेनमेंट और यूटीवी मोशन पिक्चर्स के प्रतिनिधि उपस्थित थे। इस मौके पर मेयर एंटोनियो ने कहा कि पिछले वर्ष "माई नेम इज खान" और "काइट्स" फिल्मों का निर्माण लॉस एंजिल्स में हुआ था और उम्मीद है कि इस अनुबंध के बाद और भी हिंदी फिल्मों का निर्माण लॉस एंजिल्स में होगा।
निर्माता बॉबी बेदी ने कहा कि बॉलीवुड और हॉलीवुड में हुए इस अनुबंध की वजह से हमें भारत में अंतरराष्ट्रीय स्तर की फिल्में बनाने का मौका मिलेगा।
लॉस एंजिल्स शहर में अब ज्यादा से ज्यादा भारतीय फिल्मों का निर्माण हो पाएगा क्योंकि यहां की सरकार ने हमें सारी सुविधाएं देने का वादा किया है। इस अनुबंध से क्षेत्रीय फिल्म उद्योग को भी बढ़ावा मिलेगा।अनुबंध पर हस्ताक्षर करने के बाद निर्माता बॉबी बेदी, राजीव दयाल, लॉस एंजिल्स के मेयर एंटोनियो और दक्षिण भारतीय फिल्मों के निर्माता सुरेश लक्ष्मण(चंद्रकांत शिंदे,नई दुनिया,दिल्ली,16.11.2010)।
Wednesday, October 6, 2010
रा-१ के क्लाइमेक्स का हिस्सा अब आप भी होंगे
इफ रजनी कांट, नो बडी कैन यानी जो काम रजनीकांत नहीं कर सकते वह फिर कोई नहीं कर सकता, यह कहावत फिल्म उद्योग और रजनीकांत के चाहने वालों में बरसों से मशहूर रही है। लेकिन, जो काम रजनीकांत ने अपनी नई फिल्म इंदिरन (हिंदी में रोबोट) से कर दिया है, उसने हिंदी सिनेमा के बादशाह माने जाने वाले शाहरुख खान के होश उड़ा दिए हैं। रोबोट की कामयाबी से हैरान शाहरुख ने अपनी आने वाली फिल्म रा-१ को लेकर रविवार को आपात बैठक के बाद इसमें कुछ और फेरबदल करने का फैसला किया है। हिंदी सिनेमा में ऐसा पहली बार होने जा रहा है कि दर्शक किसी फिल्म के क्लाइमेक्स को इसके घटने के साथ-साथ खेल सकेंगे। कम लोगों को ही मालूम है कि देश की सबसे महंगी फिल्म बताई जा रही तमिल, तेलुगु, मलयालम और हिंदी में बनी फिल्म रजनीकांत की नई फिल्म सबसे पहले शाहरुख खान को ही ऑफर की गई थी। तब उन्होंने कहानी में कुछ फेरबदल करने को कहा था, जो इसके निर्देशक शंकर को मंजूर नहीं था।
शाहरुख खान के बाद कमल हासन और फिर ये फिल्म रजनीकांत तक पहुंची। रजनीकांत को फिल्म के हिंदी संस्करण की ऐसी कामयाबी की उम्मीद नहीं थी और इस कामयाबी का शुक्रिया अदा करने रजनीकांत दो दिन से मुंबई में हैं। पहले उन्होंने सदाबहार हीरो देव आनंद के लिए फिल्म का शो किया, फिर सोमवार की रात उन्होंने हिंदी सिनेमा के सितारों के साथ यह फिल्म देखी।
बस इस सारे हंगामे और जश्न में अगर कोई परेशान है तो वह हैं शाहरुख खान। शाहरुख रोबोट की कहानी को जिस अंदाज में बनाना चाहते थे, उसे उन्होंने रा-१ में अमली जामा पहनाया है। अनुभव सिन्हा तो बस कहने को इसके निर्देशक हैं, फिल्म से जुड़े सूत्र बताते हैं कि फिल्म की पूरी कमान शाहरुख ने खुद ही संभाल रखी है। रोबोट की कामयाबी के बाद रविवार को शाहरुख ने फिल्म से जुड़े लोगों की अपने घर मन्नत में आपात बैठक बुलाई थी। रा-१ करीब ८० फीसदी पूरी हो चुकी है और बाकी की २० फीसदी की शूटिंग इन दिनों मुंबई में चल रही है। इस बैठक के बाद से शाहरुख की फिल्म निर्माण कंपनी रेड चिलीज के दफ्तर और स्टूडियो में फिल्म के पोस्ट प्रोडक्शन के तमाम निर्देश बदल दिए गए। फिल्म के संपादन के लिए हॉलीवुड के मशहूर संपादक रॉब मार्शल को न्यौता भेजा गया है(पंकज शुक्ल,नई दुनिया,दिल्ली,6.10.2010)
शाहरुख खान के बाद कमल हासन और फिर ये फिल्म रजनीकांत तक पहुंची। रजनीकांत को फिल्म के हिंदी संस्करण की ऐसी कामयाबी की उम्मीद नहीं थी और इस कामयाबी का शुक्रिया अदा करने रजनीकांत दो दिन से मुंबई में हैं। पहले उन्होंने सदाबहार हीरो देव आनंद के लिए फिल्म का शो किया, फिर सोमवार की रात उन्होंने हिंदी सिनेमा के सितारों के साथ यह फिल्म देखी।
बस इस सारे हंगामे और जश्न में अगर कोई परेशान है तो वह हैं शाहरुख खान। शाहरुख रोबोट की कहानी को जिस अंदाज में बनाना चाहते थे, उसे उन्होंने रा-१ में अमली जामा पहनाया है। अनुभव सिन्हा तो बस कहने को इसके निर्देशक हैं, फिल्म से जुड़े सूत्र बताते हैं कि फिल्म की पूरी कमान शाहरुख ने खुद ही संभाल रखी है। रोबोट की कामयाबी के बाद रविवार को शाहरुख ने फिल्म से जुड़े लोगों की अपने घर मन्नत में आपात बैठक बुलाई थी। रा-१ करीब ८० फीसदी पूरी हो चुकी है और बाकी की २० फीसदी की शूटिंग इन दिनों मुंबई में चल रही है। इस बैठक के बाद से शाहरुख की फिल्म निर्माण कंपनी रेड चिलीज के दफ्तर और स्टूडियो में फिल्म के पोस्ट प्रोडक्शन के तमाम निर्देश बदल दिए गए। फिल्म के संपादन के लिए हॉलीवुड के मशहूर संपादक रॉब मार्शल को न्यौता भेजा गया है(पंकज शुक्ल,नई दुनिया,दिल्ली,6.10.2010)
Thursday, September 23, 2010
छॉलीवुड के बढ़ते कदम
छत्तीसगढ़ बनने के बाद ऐसा पहली बार हुआ है जब नौ महीने में 12 छत्तीसगढ़ी फिल्में रिलीज हो गईं। अगले तीन महीनों में इतनी ही फिल्में और रिलीज होने वाली हैं। इससे पहले नौ साल में केवल 36 छत्तीसगढ़ी फिल्में रिलीज हुईं थीं। हर छत्तीसगढ़ी फिल्म के साथ यहां तकनीक आगे बढ़ रही है। फिल्म से संबंधित सभी तरह के काम अब शहर में ही हो रहे हैं।10 करोड़ रुपए से ज्यादा की फिल्में
शुरुआती छत्तीसगढ़ी फिल्मों का निर्माण 1 से 5 लाख रुपए में हो गया लेकिन अब इन पर 15 से 40 लाख रुपए तक खर्च हो रहा है। इस साल 24 से ज्यादा फिल्मों में १क् करोड़ रुपए से ज्यादा का इनवेस्टमेंट हो गया है। सफल फिल्मों ने 20 से 80 लाख रुपए तक का फायदा कमाया है।
छत्तीसगढ़ी कलाकारों का पारिश्रमिक भी कई गुना बढ़ गया है। राज्य बनने के समय मुख्य हीरो को 25 हजार और अभिनेत्री को 10 हजार दिए जाते थे। अभी अभिनेता को 25 हजार से 5 लाख और अभिनेत्री को 20 हजार से 1 लाख रुपए तक मिल रहे हैं।
ये फिल्में रिलीज
भांवर, बंधना, परशुराम, गुरांवट, मया के बरखा, मया के फूल, मोर करम मोर धरम, टूरा रिक्शावाला, मया देदे मयारू, महूं दीवाना तहूं दीवानी, टूरी नंबर वन, एवं छत्तीसगढ़िया सबले बढ़िया।
3 महीने में आने वाली फिल्में
हीरो नंबर वन, महतारी, बिदाई, बैरी सजन, गम्मतिहा, सजना मोर, मितान 420, मंगलसूत्र, मोर गांव, ए मोर बंटहा, तोला ले जाहूं ओढ़रिया एवं परेम के जीत।
इनका कहना है
सुविधाएं मिलने के साथ ही छत्तीसगढ़ी फिल्मों के निर्माण में तेजी आई है। ऐसा पहली बार हुआ है जब इतने कम समय में इतनी फिल्में रिलीज हुई हैं। यही वजह है कि मुंबई और भोजपुरी फिल्मों के कलाकार एवं निर्माता-निर्देशक छत्तीसगढ़ की ओर रुख कर रहे हैं-योगेश अग्रवाल,अध्यक्ष छत्तीसगढ़ फिल्म एसोसिएशन
2010 छत्तीसगढ़ी फिल्मों के लिए सुनहरा इतिहास लिख रहा है। नौ साल में जितनी फिल्में नहीं बनीं एक साल में उतनी फिल्में बन रही हैं। आने वाले समय में सुविधाएं और बढ़ती हैं तो एक बड़ी फिल्म इंडस्ट्री में हजारों लोगों को रोजगार मिलेगा-अनुज शर्मा,अध्यक्ष छत्तीसगढ़ सिने एवं टीवी आर्टिस्ट एसोसिएशन(असगर खान,दैनिक भास्कर,रायपुर,23.9.2010)।
Friday, September 3, 2010
अनुराग ने खोला संगीत कंपनियों के खिलाफ मोर्चा
अपनी लीक से हटकर फिल्मों के लिए पहचाने जाने वाले निर्माता निर्देशक अनुराग कश्यप ने हिंदी सिनेमा में एक नई लकीर खींचने की तैयारी कर ली है। अनुराग अपनी फिल्मों का संगीत आगे से इंटरनेट के जरिए ही रिलीज करने की तैयारी कर चुके हैं। उनका कहना है कि उन्हें जो शोहरत देश विदेश में मिली है, उसकी वजह इंटरनेट पर मौजूद करोड़ों युवा ही हैं, यही नहीं अपनी अगली ६ शॉर्ट फिल्मों के लिए भी वह तकनीशियनों से लेकर अभिनेताओं तक का चयन इंटरनेट के जरिए ही करने जा रहे हैं।
मशहूर अंतर्राष्ट्रीय कंपनी निहिलेंट के भारत में लॉन्च हुए पोर्टल तुमभी के साथ अनुराग कश्यप ने एक लंबी योजना के तहत हाथ मिलाया है। अनुराग के मुताबिक तुमभी के साथ जुड़े निर्देशक पंकज पाराशर, लेखक जावेद सिद्दीकी, गीतकार समीर और रंगमंच निर्देशक ओम कटारे इस पोर्टल पर आने वाले सभी युवाओं का काम परखते हैं और इसी के बाद इस पोर्टल पर उभरते कलाकारों को अपनी प्रतिभा प्रदर्शित करने का मौका दिया जाता है। उन्होंने कहा कि देश विदेश में कथ्य आधारित सिनेमा की मांग बढ़ती जा रही है और बड़े सितारे अब फिल्म बनाने का पहली जरूरत नहीं रह गए हैं। अनुराग ने माना कि हिंदी सिनेमा में संगीत का बाजार धीरे धीरे सिमटता जा रहा है और संगीत कंपनियों की ऊलजुलूल मांगों के चलते उनके जैसे निर्देशकों को इनके साथ काम करने में दिक्कत भी होती है। इसके चलते अपनी आने वाली फिल्मों का संगीत वह सीधे अपने चाहनेवालों के बीच इंटरनेट पर ही रिलीज करने की तैयारी कर रहे हैं। गौरतलब है कि इंटरनेट पर संगीत रिलीज करने की शुरुआत भारतीय लोकप्रिय संगीत में पहले ही हो चुकी है। मशहूर बैंड इंडियन ओशन ने पिछले महीने ही अपना नया अलबम इंटरनेट के जरिए ही दुनिया भर में एक साथ रिलीज किया था(पंकज शुक्ल,नई दुनिया,दिल्ली,3.9.2010)।
मशहूर अंतर्राष्ट्रीय कंपनी निहिलेंट के भारत में लॉन्च हुए पोर्टल तुमभी के साथ अनुराग कश्यप ने एक लंबी योजना के तहत हाथ मिलाया है। अनुराग के मुताबिक तुमभी के साथ जुड़े निर्देशक पंकज पाराशर, लेखक जावेद सिद्दीकी, गीतकार समीर और रंगमंच निर्देशक ओम कटारे इस पोर्टल पर आने वाले सभी युवाओं का काम परखते हैं और इसी के बाद इस पोर्टल पर उभरते कलाकारों को अपनी प्रतिभा प्रदर्शित करने का मौका दिया जाता है। उन्होंने कहा कि देश विदेश में कथ्य आधारित सिनेमा की मांग बढ़ती जा रही है और बड़े सितारे अब फिल्म बनाने का पहली जरूरत नहीं रह गए हैं। अनुराग ने माना कि हिंदी सिनेमा में संगीत का बाजार धीरे धीरे सिमटता जा रहा है और संगीत कंपनियों की ऊलजुलूल मांगों के चलते उनके जैसे निर्देशकों को इनके साथ काम करने में दिक्कत भी होती है। इसके चलते अपनी आने वाली फिल्मों का संगीत वह सीधे अपने चाहनेवालों के बीच इंटरनेट पर ही रिलीज करने की तैयारी कर रहे हैं। गौरतलब है कि इंटरनेट पर संगीत रिलीज करने की शुरुआत भारतीय लोकप्रिय संगीत में पहले ही हो चुकी है। मशहूर बैंड इंडियन ओशन ने पिछले महीने ही अपना नया अलबम इंटरनेट के जरिए ही दुनिया भर में एक साथ रिलीज किया था(पंकज शुक्ल,नई दुनिया,दिल्ली,3.9.2010)।
Friday, August 27, 2010
भोपाल पर फिल्म बनाएंगे मुजफ्फर अली
सिनेमा को दिल से दिल तक का सफर मानने वाले मुजफ्फर अली ने कहा कि फिल्में विदेशों में भी बनती हैं लेकिन एक विजन के साथ। यदि हम अपने यहां की फिल्मों की तुलना विदेशी फिल्मों से करें तो हमारी फिल्में उनसे उन्नीस ही नजर आती हैं।हमें चाहिए कि हम वहां की फिल्मों की तकनीक को तो एडॉप्ट करें,लेकिन दर्शन हमारा होना चाहिए। हमारे पास एक भी ऐसी फिल्म नहीं है जिससे हिंदुस्तान का सिर ऊंचा हो सके।
भारतीय सिनेमा के बारे में यह उद्गार व्यक्त किए भोपाल आए मशहूर फिल्मकार मुजफ्फर अली ने। उनका मानना है कि आजकल बन रही फिल्में कमर्शियल ज्यादा हैं। इसके साथ ही इनमें विज्ञापनों की बाढ़ आ गई है। फिल्मों से कलाधर्मिता काफी पीछे छूट गई है।
दूरदर्शन में तकनीकी सुधार की जरूरत : उनका कहना है कि दूरदर्शन ही एकमात्र ऐसा चैनल है जिससे हम अपेक्षा रखते हैं। अन्य चैनलों से नहीं रख सकते। लेकिन वर्तमान परिप्रेक्ष्य में दूरदर्शन में तकनीकी और गुणवत्त्ता में सुधार की जरूरत है। मेरी दिली इच्छा है कि ‘स्टेट आर्ट ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट’ लखनऊ और कश्मीर में खुले।
शायरों का रहा प्रभाव : श्री अली के मुताबिक मेरे काम में शायरों का काफी प्रभाव रहा है। फैज मोहम्मद फैज, शहरयार से मैं प्रभावित रहा हूं। मेरा मानना है कि शायरी एक मदर आर्ट के समान है।
‘जूनी’ मेरा महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट : फिल्म ‘जूनी’ में कश्मीरियों की जिंदगी और उनके संस्कृति को दर्शाने का प्रयास कर रहा हूं। मैं दो साल कश्मीर में रहा। उनकी संस्कृति और उन्हें जानने की कोशिश की।
कश्मीरियों को लगता है कि उन्हें कोई नहीं जानता। यह फिल्म उनकी संस्कृति और उनकी बात को कहने में ब्रिज का काम करेगी। यह मेरा महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट है, इसे मैं जरूर पूरा करूंगा।
अब नहीं लड़ूंगा चुनाव : चार बार चुनाव लड़ चुके श्री अली का कहना है कि चुनाव मेरे बस की बात नहीं है। आगे चुनाव लड़ने का कोई इरादा नहीं है।
इस अंजुमन में आना है बार-बार
मुजफ्फर अली को भोपाल के अंजुमन में आना बहुत अच्छा लगता है। उन्हें यहां की तहजीब पसंद है। वे कुछ दिनों पूर्व भी भोपाल आए थे। उन्हें यहां के पटिए कल्चर, लोगों का बिंदासपन काफी भाता है। उनकी भोपाल की जीप और संस्कृति को लेकर फिल्म बनाने की बात स्वीकारी। लेकिन इसके बारे में उन्होंने ज्यादा खुलासा नहीं किया।
उन्होंने कहा कि उनका दूरदर्शन से गहरा संबंध रहा है। दूरदर्शन के स्वर्ण जयंती वर्ष के उपलक्ष्य में आयोजित फिल्म समारोह अपने आप में दूरदर्शन की इस लंबी सफलतम यात्रा का प्रतीक है। इस फिल्म फेस्टिवल में सत्यजीत रे जैसे क्रिएटिव और गहरे विचार वाले निर्देशकों की फिल्मों का आनंद भी दर्शक उठा सकेंगे।
आज सत्यजीत रे जैसी सोच वाले लोगों की कमी है। यह बात रवीन्द्र भवन में दूरदर्शन के चार दिवसीय फिल्म समारोह के शुभारंभ अवसर पर मुख्य अतिथि प्रसार भारती बोर्ड के सदस्य और प्रख्यात निर्देशक मुजफ्फर अली ने कही।
उन्होंने कहा कि इंसान के विकास का माध्यम फिल्में है। फिल्मों का समाज पर गहरा प्रभाव है। फिल्में समाज में बहुत परिवर्तन ला सकती हैं। आवश्यकता है सामाजिक मुद्दों और संवेदनशीलता वाली फिल्मों के निर्माण की। दूरदर्शन का चार दिवसीय फिल्म समारोह 26 से 29 अगस्त तक जारी रहेगा।
(दैनिक भास्कर,भोपाल,27.8.2010)।
Wednesday, August 25, 2010
‘सोच लो’ 13 भाषाओं में होगी प्रदर्शित
कई अंतरराष्ट्रीय मंचों पर ख्याति पाने वाली अभिनेता-लेखक-निर्देशक सरताज सिंह पन्नू की फिल्म ‘सोच लो’ 13 भाषाओं में प्रदर्शित होने वाली है।
सरताज को उम्मीद है कि फिल्म को लॉसएंजिलिस में प्रदर्शन के दौरान मिली प्रशंसा के बाद इसे भारत में भी अच्छी प्रतिक्रिया मिलेगी।
सरताज ने पीटीआई से कहा ‘‘इस फिल्म का लॉस एंजिलिस में दो बार प्रदर्शन हुआ और अब इसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिल गई है। आम तौर पर लोगों का मानना है कि अगर कोई फिल्म विदेशों में प्रदर्शित हुई है और वहां उसे विदेशियों ने पसंद किया है तो वह अच्छी ही होगी।’’ उन्होंने बताया ‘‘लॉस एंजिलिस में प्रदर्शन के बाद हमें विदेशों में कई स्थानों से फिल्म को प्रदर्शित करने के लिए फोन आ रहे हैं। फिल्म को हिंदी, तमिल, तेलुगु, अंग्रेजी के अलावा स्पेनिश और चीनी भाषा में भी प्रदर्शित किया जाएगा।’’ ‘सोच लो’ एक ऐसे घायल आदमी की कहानी है, जिसे मरने के लिए रेगिस्तान में छोड़ दिया जाता है। वह बच जाता है, लेकिन अपनी पहचान खो देता है, बाद में वह वहां से गुजरने वाले कार चालकों को लूटना शुरू कर देता है।
फिल्म में सरजात स्वयं, बरखा मदान :पूर्व मिस इंडिया फाइनलिस्ट और अभिनेत्री:, के पी निशान, हिमांशु कोहली और मॉडल आइरिस मैती दिखाई देंगी।
फिल्म 27 अगस्त को प्रदर्शित होगी(पीटीआई,25.8.2010)।
सरताज को उम्मीद है कि फिल्म को लॉसएंजिलिस में प्रदर्शन के दौरान मिली प्रशंसा के बाद इसे भारत में भी अच्छी प्रतिक्रिया मिलेगी।
सरताज ने पीटीआई से कहा ‘‘इस फिल्म का लॉस एंजिलिस में दो बार प्रदर्शन हुआ और अब इसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिल गई है। आम तौर पर लोगों का मानना है कि अगर कोई फिल्म विदेशों में प्रदर्शित हुई है और वहां उसे विदेशियों ने पसंद किया है तो वह अच्छी ही होगी।’’ उन्होंने बताया ‘‘लॉस एंजिलिस में प्रदर्शन के बाद हमें विदेशों में कई स्थानों से फिल्म को प्रदर्शित करने के लिए फोन आ रहे हैं। फिल्म को हिंदी, तमिल, तेलुगु, अंग्रेजी के अलावा स्पेनिश और चीनी भाषा में भी प्रदर्शित किया जाएगा।’’ ‘सोच लो’ एक ऐसे घायल आदमी की कहानी है, जिसे मरने के लिए रेगिस्तान में छोड़ दिया जाता है। वह बच जाता है, लेकिन अपनी पहचान खो देता है, बाद में वह वहां से गुजरने वाले कार चालकों को लूटना शुरू कर देता है।
फिल्म में सरजात स्वयं, बरखा मदान :पूर्व मिस इंडिया फाइनलिस्ट और अभिनेत्री:, के पी निशान, हिमांशु कोहली और मॉडल आइरिस मैती दिखाई देंगी।
फिल्म 27 अगस्त को प्रदर्शित होगी(पीटीआई,25.8.2010)।
Friday, August 20, 2010
राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों के लिए ज्यूरी गठित
57वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों के चयन के लिए केन्द्र सरकार ने ज्यूरी का गठन कर दिया है। 2009 के इन पुरस्कारों के चयन के लिए दो ज्यूरी गठित की गई है। एक ज्यूरी फीचर फिल्मों के लिए है और दूसरी गैर-फीचर (डॉक्यूमेंट्री) फिल्मों के लिए। माना जा रहा है कि इस महीने के अंत तक फिल्मों को देखने की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी और ज्यूरी के सदस्य देश भर से फिल्म निर्माताओं की ओर से पुरस्कारों के लिए भेजी हुई फिल्में देखना शुरू कर देंगे। ‘शोले’ के निर्देशक रमेश सिप्पी को फीचर फिल्मों की ज्यूरी का प्रमुख बनाया गया है जबकि नामी पर्यावरणवादी (और वाइल्ड लाइफ ) फिल्मकार माइक पांडे को गैर-फीचर फिल्मों के लिए गठित ज्यूरी का प्रमुख चुना गया है। इस बार से राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों के चयन की प्रक्रिया में भारत सरकार ने व्यापक बदलाव किया है, इसलिए नए नियमों के तहत फिल्मों को चुनने की दो-स्तरीय व्यवस्था होगी। लेकिन नई व्यवस्था के तहत, पाँच क्षेत्रीय ज्यूरी होगी(अमिताभ पाराशर,हिंदुस्तान,दिल्ली,20.8.2010)।
Tuesday, August 17, 2010
हरियाणवी फिल्म उद्योग ने ली फिर अंगड़ाई
पूरे 25 साल बाद एक बार फिर हरियाणवी फिल्म उद्योग ने अंगड़ाई ली है। हरियाणवी फिल्म उद्योग की ओर से यह एक सुखद समाचार है कि हरियाणा में धूम मचा देने वाली चंद्रावल फिर से हरियाणवी संस्कृति को बड़े पर्दे पर लाने को तैयार हैं।उम्मीद है कि अगले साल मार्च में चंद्रावल का सीक्वल रिलीज होगा। इसकी शूटिंग इसी साल अक्टूबर में शुरू हो जाएगी। हरियाणवी फिल्मों की सुपर-डूपर हिट कही जाने वाली चंद्रावल में चंद्रावल के रूप में मुख्य भूमिका निभाने वाली ऊषा शर्मा ने ढाई दशक बाद इस फिल्म का सीक्वल बनाने का फैसला किया है। शर्मा इन दिनों हरियाणा कला परिषद की चेयरपर्सन हैं।
चंद्रावल का सीक्वल चंद्रावल-2 के नाम से ही बनाया जाएगा। हालांकि इसका सीधा सा कारण यह भी हो सकता है कि 1984 में रिलीज हुई चंद्रावल के गीत, संगीत और कहानी का जादू हरियाणा में आज भी ऐसा है कि ऊषा शर्मा को उनकी भूमिका के बाद चंद्रावल के नाम से ही जाना जाता है, लेकिन उनका कहना है कि वह सिर्फ उस विषय को आगे बढ़ाना चाहती हैं जो उस समय एक बड़ा सामाजिक मुद्दा था।
चंद्रावल अंतरजातीय प्रेम के विषय पर बनी एक ऐसी सामाजिक फिल्म थी जिसे हरियाणा के गांवों में फिल्म या सिनेमा के नाम को ही नफरत से देखने वाली औरतों ने भी न सिर्फ पसंद किया, बल्कि इसके गीत लोकगीत बने और पनघटों पर गाए गए। पिछले 25 साल में हरियाणा में बदलाव आया है और संस्कृति में भी। ऐसे में यह भी जरूरी हो गया है कि राज्य की बोली और संस्कृति को उसके असली रूप में प्रचारित किया जाए।
फिल्म से हरियाणवी फिल्म उद्योग में नई जान आएगी। हालांकि चंद्रावल के बाद लाडो बसंती, फूल बदन और जाटणी जैसी फिल्में भी बनीं, लेकिन हरियाणवी उद्योग ज्यादा उठ नहीं पाया। इस बार भी फिल्म में संगीत देने का जिम्मा जेपी कौशिक को ही दिया गया है, जिनके संगीत ने चंद्रावल के गीतों को हरियाणवी लोकगीत बना दिया।
देवीशंकर प्रभाकर फिल्मस के बैनर तले बनने जा रही चंद्रावल-2 के लिए हीरो और हीरोइन का चुनाव हरियाणा से ही किया जाएगा। इसके लिए ऑडिशन पंचकूला में ही होगा। यहां यह जानना भी रोचक होगा कि इस फिल्म के लिए हरियाणा सरकार की ओर से कोई सहयोग देने की घोषणा या प्रस्ताव अब तक नहीं आया है। फिल्म की सत्तर फीसदी शूटिंग हरियाणा में होने के कारण फिल्म के लिए सरकार से सहयोग मिलना चाहिए(रवि शर्मा,चंडीगढ़,17.8.2010)।
Thursday, August 12, 2010
इतिहास रचने को तैयार है पीपली लाइव
हिंदी सिनेमा में आर्ट सिनेमा की सूरत दो दिन बाद बदलने जा रही है। बिना किसी बड़े सितारे के सहारे सिर्फ कहानी का सहारा लेकर बनी फिल्म पीपली लाइव हिंदी सिनेमा का एक नया इतिहास रचने को तैयार है। ऐसा पहली है कि एक ऑफ बीट फिल्म को देश के ६०० और विदेश के सौ सिनेमाघरों में एक साथ रिलीज किया जा रहा है। इसमें ब्रिटेन के सिनेमाघर शामिल नहीं हैं, वहां इस फिल्म को दुनिया की मशहूर वितरक कंपनी आर्टिफिशियल आई ने खरीदा है जो इसे वहां २४ सितंबर को रिलीज करेगी।सिनेमा में प्रचार और विपणन का रिकॉर्ड भी पीपली लाइव ने बना लिया है। ऐसा पहली बार हुआ है कि करीब तीन करोड़ की लागत से बनी एक हिंदी फिल्म के दुनिया भर में सिर्फ प्रचार पर सात करोड़ रुपये खर्च कर दिए गए। आमतौर पर हिंदी फिल्मों के प्रचार पर इसकी लागत से आधा या इसके बराबर ही खर्च होता है लेकिन निर्माण लागत के दोगुने से भी ज्यादा इसके प्रचार पर खर्च करके आमिर खान की प्रोडक्शन कंपनी ने हिंदी सिनेमा में प्रचार की अहमियत को नए सिरे से परिभाषित किया है। नईदुनिया से खास बातचीत में आमिर खान ने बताया कि पीपली लाइव अपनी निर्माण लागत और प्रचार पर हुए खर्च को पहले हीसैटेलाइट राइट्स बेचकर वसूल कर चुकी है। पीपली लाइव के सैटेलाइट राइट्स दस करोड़ रुपये में बिक चुके हैं।
मतलब यह कि अब सिनेमाघरों से जो भी रकम आमिर खान की झोली में आएगी, वह उनका शुद्ध मुनाफा होगा। आम तौर पर बड़े सितारों वाली हिंदी फिल्में ही देश के पांच सौ से ऊपर सिनेमाघरों में रिलीज होती हैं। इस लिहाज से पीपली लाइव का एक साथ छह सौ सिनेमाघरों में रिलीज होना फिल्म उद्योग के लिए कथानक के लिहाज से नई शुरुआत मानी जा रही है। ट्रेड विशेषज्ञ विकास मोहन का मानना है कि पीपली लाइव अगर कामयाब होती है तो हिंदी सिनेमा में अच्छी कहानियों का दौर लौटेगा और सितारों पर फिल्म उद्योग की निर्भरता कम होगी।
पीपली लाइव को मिले प्रचार का ही नतीजा है कि ब्रिटेन की मशहूर वितरक कंपनी आर्टिफिशियल आई ने पहली बार कोई हिंदी फिल्म खरीदी है। यह कंपनी विश्व सिनेमा की उन फिल्मों को ही अपने खास सिनेमाघरों में प्रदर्शित करती है, जो लीक से हटकर बनी हुई होती हैं। आमिर ने यह राज भी खोला कि पीपली लाइव दरअसल गांवों में बढ़ते शादी और रीयल इस्टेट कारोबार की तरफ लोगों का ध्यान खींचती है(पंकज शुक्ल,नईदुनिया,दिल्ली,12.8.2010)।
Sunday, August 8, 2010
स्क्रिप्ट राइटर, डायरेक्टर बनेंगे चेतन
फाइव प्वाइंट सम वन से युवा दिलों के चहेते लेखक बनने वाले चेतन युवाओं के लिए अब अपनी नई क्रिएशन फिल्म के जरिए लाने जा रहे हैं। रियल यूथ लाइफ और अपनी पर्सनल लाइफ को शेयर करने के बाद चेतन एक रोमांटिक फिल्म की स्क्रिप्ट राइटिंग में हाथ आजमाने जा रहे हैं। साथ ही चेतन खुद ही उसका निर्देशन भी करेंगे।लेखक से निर्देशन के क्षेत्र में आने पर उसी कामयाबी के आसमान को छूने के सवाल पर चेतन आमिर खान पर कमेंट कसने से भी पीछे नहीं रहे। आमिर खान पर थ्री इडियट्स के लिए अपनी बुक से चुराए कुछ कटेंट का आरोप लगाने वाले चेतन ने आमिर खान पर कमेंट कसते हुए कहा कि जब 43 साल का कालेज स्टूडेंट युवाओं के दिलों पर राज कर सकता है तो कोई भी किसी भी फिल्ड में कामयाब हो सकता है। हालांकि इस विषय पर चेतन ने आगे कुछ कहने से मना कर दिया।
महज चार पुस्तकें लिखकर गुमनामी के अंधेरे से देश के यूथ के सर्वश्रेष्ठ लेखक का ताज पहनने वाले चेतन शनिवार को एलगोल स्कूल ऑफ मैनेजमेंट एंड टैक्नालॉजी के एक सेमिनार में भाग लेनेपहुंचे चेतन ने अपनी फ्यूचर प्लानिंग पर बात की। उनकी अगली आने वाली पुस्तक के बारे में चेतन ने बताया कि फिलहाल अब कोई नई पुस्तक लिखने का उनका कोई प्लान नहीं है।
अब तो सिर्फ एक रोमांटिक फिल्म की स्क्रिप्ट राइटिंग पर ध्यान है। साथ ही चेतन खुद ही इसका निर्देशन करने का मन भी बना रहे हैं। चेतन ने खुद मान कि कि अब पर्सनल लाइफ पर लिखने के लिए ज्यादा कुछ बचा नहीं है, इसलिए अब सिर्फ क्रिएशन पर ध्यान दे रहा हूं। यह क्रिएशन फिल्म के रूप में लोगों के सामने आएगी। हालांकि अभी तो स्क्रिप्ट के बारे में ही विचार चल रहा है। चेतन यह भी स्पष्ट किया कि उनकी यह क्रिएशन भी युवाओं से ही जुड़ी होगी, लेकिन अभी तक आई फिल्मों से जरा हटकर होगी।
युवाओं के दिलों पर राज करने वाले चेतन से जब सामाजिक समस्याओं के प्रति युवाओं को प्रेरित करने के उनके काम के बारे में पूछा तो चेतन ने कहा कि वे देश के सबसे बड़े अखबर दैनिक भास्कर में नियमित रूप से आर्टिकल लिखते हैं। चेतन ने कहा कि मैं वो आर्टिकल इसलिए लिखता हूं ताकि देश की समस्याओं के प्रति भी यूथ को अवेयर कर सकूं। साथ ही कॉमनवेल्थ गेम्स के आयोजन में हो रही धांधली पर भी चेतन काफी गुस्से में दिखाई दिए। चेतन ने कहा कि बहुत ही जल्दी उनका यह गुस्सा मिडिया के माध्यम से लोगों तक पहुंचने वाला है। ऑन द स्पॉट चेतन ने इस विषय पर ज्यादा कुछ कहने से मना कर दिया(जतिन जैन,दैनिक भास्कर,गुड़गांव,8.8.2010)।
Saturday, August 7, 2010
बॉलीवुड को जानें
www.bigoye.com पर लॉग ऑन करें। यह बॉलीवुड का न्यू लॉन्च पोर्टल है। आप इस वेबसाइट के जरिए बॉलीवुड से संबंधित ढेरों खबरें जान सकते हैं। इस साइट पर आप बॉलीवुड गॉसिप, सेलिब्रिटीज से संबंधित खबरें, मूवी रिव्यूज, फिल्मों और सेलिब्रिटीज के वॉलपेपर इत्यादि देख सकते हैं। इसके अलावा आप इस साइट पर आने वाली मूवी की ताजातरीन जानकारी भी प्राप्त कर सकते हैं।
aisha.pvrcinemas.com पर लॉग ऑन करें। इस वेबसाइट के जरिए आप हालिया रिलीज बॉलीवुड मूवी आयशा के बारे में काफी जानकारी पा सकते हैं। इस साइट के डाउनलोड सेक्शन की सहायता से आप फोटो, वॉलपेपर इत्यादि डाउनलोड भी कर सकते हैं।
अधिक टिप्स के लिए देखें www.itips.desimartini.com(हिंदुस्तान,दिल्ली,6.8.2010)
Friday, August 6, 2010
बुंदेली फिल्म मोरी बिन्ना की शूटिंग शुरू
बुंदेली भाषा में बनने वाली मोरी बिन्ना की शूटिंग बदौना गांव में प्रारंभ हुई। कला गुरु विष्णु पाठक के निर्देशन में बन रही फिल्म में बताया गया है कि बेटी अपने घर को संवारती है और मायके व ससुराल की शोभा बढ़ाती है। फिल्म में दहेज आदि सामाजिक कुरीतियों को उजागर किया गया है। फिल्म का एक दृश्य राजेंद्र सिंह, आरती, रोहित, प्रीति चौधरी, रामकिशन, सृष्टि ठाकुर, एनडी गुप्ता पर शूट किया गया। फिल्म के निर्माता राजेश मनवानी, सहनिर्माता कैलाश देवलिया है(दैनिक भास्कर,सागर,6.8.2010)।
Monday, August 2, 2010
विवेक ओबेरॉय को मिल गई साथिया
अभिनेता विवेक ओबेरॉय को उनकी जीवनसाथी मिल गई है। विवेक बेंगलूर की 28 वर्षीया प्रियंका अल्वा के साथ सितंबर में सगाई करेंगे और अक्टूबर में विवाह। प्रियंका जानी-मानी नृत्यांगना नंदिनी अल्वा और जनता दल (यू) के स्वर्गीय नेता जीवराज अल्वा की बेटी हैं। विवेक के लिए सुयोग्य कन्या की खोज उनके माता-पिता ने की है। ऐश्र्वर्या राय के प्रेमी के रूप में विख्यात 34 वर्षीय विवेक अपने अभिभावकों की मर्जी से घर बसाएंगे। यह हाई प्रोफाइल शादी अक्टूबर में होगी, लेकिन शादी से जुड़ी बातों को गुप्त रखा गया है। इस जोड़ी को मिलाने में मशहूर भरतनाट्यम नृत्यांगना और कोरियोग्राफर पद्मिनी रवि का बड़ी भूमिका है। पद्मिनी, नंदिनी अल्वा की अच्छी सहेली हैं। नंदिनी और पद्मिनी बेंगलूर की आर्टिस्ट फाउंडेशन फॉर आर्ट्स की प्रमुख ट्रस्टियों में से हैं। प्रियंका गैर फिल्मी, सुयोग्य और सुशील लड़की है। उन्होंने लंदन में अपनी पढ़ाई की है। विवेक पहले की कह चुके हैं उन्हें अपने माता-पिता की पसंद की लड़की से शादी करने में कोई एतराज नहीं है(दैनिक जागरण,दिल्ली,2.8.2010)।Friday, July 30, 2010
फिर बदला जॉन की फ़िल्म का नाम
आमिर खान के भांजे इमरान खान की पहली अभिनीत फिल्म ‘जाने तू या जाने ना’ से प्रसिद्ध हुए थे उसके निर्देशक अब्बास टायरवाला। इस बात को पूरे दो साल बीत गये लेकिन तब से अब्बास टायरवाला केवल एक ही फिल्म बनाने मे जुटे हुए है। जॉन अब्राहम को लीड रोल मे लेकर बन रही इस फिल्म का सबसे पहला नाम ‘1800 लव’ रखा गया था। बाद मे यह नाम बदल कर ‘कॉल मी दिल’ कर दिया गया। संभवत: दोनो ही अटपटे नाम किसी को जंचे नही इसलिए अब इस फिल्म का नाम शुद्ध हिंदी मे ‘झूठा ही सही’ रखा गया है। यह एक पारंपरिक नाम है। पांच साल पहले तक ऐसे ही नाम रखे जाते थे। अंग्रेजी नाम रखने का चलन पिछले पांच साल से ही उभरा है। फिल्म के इतने लंबे समय से बनने के कारण बीच मे बॉलीवुड मे यह अफवाह फैल गई थी कि अब्बास और जॉन के बीच जबर्दस्त अनबन हो गई है। इसलिए जॉन अब्बास को शूटिंग के लिए लटका रहे है। ये अफवाहे इतनी जबर्दस्त थी कि इनका खंडन करने के लिए अब्बास ने एक मौलिक विचार अपनाया। पिछले दिनो वह अपना बोरियाबि स्तर लेकर जॉन अब्राहम के बांद्रा बड स्टड स्थित नए घर मे रहने चले गए ताकि लोगो को यकीन आ जाए कि दोनो के बीच कोई तकरार नही है। इस संदर्भ मे जॉन अब्राहम ने भी मीडिया को बताया था, ‘अब्बास बेहद संवेदनशील निर्देशक है। वह हम दोनो के बीच हुई अनबन की खबरो से बहुत विचलित हुए है। इसलिए जब उन्होने यह प्रस्ताव रखा कि वह कुछ दिनो के लिए मेरे घर मे रहना चाहते है तो म बहुत खुश हुआ कि एक बेहद प्यारा दोस्त मेरे आस पास रहेगा’ अब अब्बास की यह फिल्म लगभग पूरी हो चुकी है और वह फिर से अपने घर लौट गए है। फिल्म मे जॉन के अपोजिट अब्बास की पत्नी पाखी काम कर रही है। इन दोनो के अलावा अब्बास ने इस फिल्म मे सोहेल खान, अरबाज खान और नसीरुद्दीन शाह से भी काम लिया है। बाद मे इस फिल्म से चर्चित एक्टर माधवन को भी जोड़ा गया। माधवन इस फिल्म मे पाखी के भूतपूर्वब्वायेड के किरदार मे है। माधवन द्वारा छले जाने से आहत पाखी आत्महत्या करना चाहती है लेकिन तभी उनके जीवन मे जॉन अब्राहम का प्रवेश होता है। कुछ समय पूर्व अपने हिस्से की शूटिंग माधवन लंदन मे निपटा चुके है। उम्मीद है कि जॉन की यह फिल्म नए साल के आरंभ मे रिलीज हो जाएगी। फिलहाल तो जॉन की नजरे अपनी लंबे समय से अटकी फिल्म ‘आशाएं’ पर लगी है। नागेश कुकनूर निर्देशित फिल्म ‘आशाएं’ मे जॉन के अपोजिट सोनल सहगल काम कर रही है। ‘आशाएं’ 27 अगस्त को रिलीज होगी(राष्ट्रीय सहारा,30.7.2010)।
Thursday, July 29, 2010
अलग अंदाज़ में टीवी पर दिखेंगी प्रियंका
'फैशन' और 'दोस्ताना' जैसी फिल्मों में अपनी छरहरी काया दिखाने के बाद अब बॉलीवुड अभिनेत्री प्रियंका चोपड़ा कलर्स पर प्रसारित होने वाले रोमांचक रिएलिटी शो 'फीयर फैक्टर-खतरों के खिलाड़ी-3' में नए अंदाज़ में नज़र आएंगी।इस 28 वर्षीया अभिनेत्री ने इस धारावाहिक के लिए जारी पहले प्रोमो में चौड़े बेल्ट वाली जींस के साथ-साथ घुटनों तक लंबाई वाले बूट, पीले रंग का टॉप, काले रंग का चमड़े का जैकेट और दस्ताने पहन रखे हैं।
प्रियंका को यह बदला हुआ अंदाज़ दिया है बॉलीवुड की फैशन डिज़ायनर अनीता श्रौफ अदाजानिया ने। इससे पहले वह 'धूम' और 'रेस' जैसी फिल्मों में कलाकारों को नए लुक दे चुकी हैं।
प्रियंका ने हाल में धारावाहिक के प्रोमो की शूटिंग के लिए बैंकॉक का दौरा किया था। दर्शकों को उनकी नई वेशभूषा की पहली छवि अगले सप्ताह टेलीविज़न पर देखने को मिलेगी।
इस प्रोमो में प्रियंका को पुरुष बाइकर्स के साथ रेस में हिस्सा लेते दिखाया गया है। धारावाहिक 'फीयर फैक्टर-खतरों के खिलाड़ी-3' के पहले दो संस्करणों को अभिनेता अक्षय कुमार ने पेश किया था(हिंदुस्तान,29.7.2010)।
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