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Monday, May 24, 2010

3डी,4डी और 6डी

पिछले कुछ समय से देश में ३डी का बोलबाला कुछ ज्यादा ही हो रहा है । अब पहले से ज्यादा ३डी फिल्में प्रदर्शित हो रही हैं । कुछ कंपनियों ने तो ३डी टीवी भी बाजार में उतारे हैं। ३डी लैपटॉप भी बाजार में आ गए हैं और अब तो ३डी विज्ञापन भी बनने शुरू हो गए हैं । विश्व का पहला ३डी विज्ञापन बनाने का कारनामा व्हर्लपूल ने अपने नए ३ डोर फ्रिज के लिए किया है जो जल्द ही बाजार में आने वाला है।

आप अपने घर पर ३डी टीवी पर कोई फिल्म देख रहे हैं । अचानक फिल्म बीच में रुक जाती है और स्क्रीन पर फ्रिज आता है । फ्रिज का दरवाजा खुलता है और बोतल अपने आप खुलकर कोल्ड ड्रिंक आप पर आ गिरता है या फिर सेब आपके पास आने लगता है जिसे पकड़ने की आप कोशिश करते हैं। यह कारनामा है ३डी विज्ञापन का । ३डी का बढ़ता प्रचलन देखते हुए अब ३डी में विज्ञापन बनने भी शुरू हो गए हैं और संभवतः विश्व का पहला ३डी विज्ञापन व्हर्लपूल ने बनाया है जो देश के लगभग १५० ऐसे सिनेमाघरों में दिखाया जाएगा जहां ३डी फिल्मों का प्रसारण होता है ।

पिछले दिनों देश में आईपीएल की बहार थी । आईपीएल के आखिरी मैच यानी सेमीफाइनल और फाइनल के मैच भी ३डी में दिखाए गए । क्रिकेट का मजा ३डी में लेना एक अलग अनुभव था । आप मैच देख रहे हैं और बल्लेबाज का मारा बॉल सीधे आपकी तरफ आ रहा है और आप उसे लपकने की कोशिश करने लगते हैं । मल्टीप्लेक्स में २०० रुपए टिकट देने के लिए सौ बार सोचने वाले मध्य वर्ग के दर्शक ३डी मैच के लिए ३०० रुपए का टिकट खरीदते नजर आ रहे थे। यह सिर्फ ३डी का ही कमाल था । ३डी के प्रति दर्शकों का प्यार पिछले कुछ समय से ज्यादा ही बढ़ गया है ।

जेम्स कैमरून की ३डी फिल्म "अवतार" भारत में प्रदर्शित हुई और इस फिल्म ने अभूतपूर्व व्यवसाय किया । इस फिल्म ने देश में एक बार फिर ३डी फिल्मों का दौर शुरू किया । इसके बाद तो एक के बाद एक ३डी फिल्मों का दौर ही आ गया । "अवतार" के बाद अब तक लगभग दस से बारह ३डी फिल्में प्रदर्शित हो चुकी हैं । "अवतार" जैसी मसाला हॉलीवुड फिल्म को जैम्स कैमरून ने जिस आक्रामक मार्केटिंग के साथ बाजार में उतारा उससे हर किसी की नजर ३डी फिल्म पर गई । इस फिल्म के लिए देश के लगभग १०० के आस-पास सिनेमाघरों ने ३डी तकनीकी प्रोजेक्टर लगवाए । इसकी एक वजह यह भी थी कि "अवतार" के बाद कई ३डी फिल्में प्रदर्शित होने के कगार पर थीं । पिछले दिनों प्रदर्शित फिल्म "बाल हनुमान-२" देश की पहली डिजिटल एनिमेशन ३डी फिल्म है । हनुमान की बच्चों में लोकप्रियता और ३डी की मांग को देखते हुए "बाल हनुमान-२" को ३डी में बनाने का फैसला किया गया । यह फिल्म इस समय दर्शकों को अच्छी-खासी आकर्षित कर रही है ।आईपीएल मैचों को सिनेमाघरों में दिखाने की शुरुआत करने वाले वैल्युएबल समूह ने ३डी की लोकप्रियता देखते हुए आईपीएल के आखिरी मैच कुछ सिनेमाघरों में ३डी में दिखाए । ३डी मैचों को दर्शकों का जबर्दस्त समर्थन मिला और अब तो ३डी विज्ञापनों ने भी दस्तक दे दी है । इस बारे में दक्षिण भारतीय फिल्मों के कैमरामैन वी. प्रसाद ने बताया, "पहले की अपेक्षा आज यह तकनीक सस्ती हो गई है । ३डी फॉरमेट में फिल्मांकन करने के लिए विशिष्ट कैमरों की जरूरत होती है । पहले ये कैमरे बहुत महंगे थे लेकिन अब सस्ते हो गए हैं और अब कंप्यूटर की मदद से भी कई तरह के काम किए जा सकते हैं । पहले की अपेक्षा अब ३डी फिल्में दिखाने वाले सिनेमाघरों की संख्या भी बढ़ गई है इसलिए ३डी फिल्मों का प्रचलन जोरों पर है । अपने देश में ३डी फिल्मों की शुरुआत दक्षिण भारत में ही सबसे पहले की गई थी । दक्षिण भारतीय फिल्म उद्योग हमेशा नए प्रयोग करता रहा है । आज ३डी का क्रेज कुछ ज्यादा ही है ।


पहला ३डी विज्ञापन चेन्नई की निर्माता कंपनी टेलीवाइज कंपनी ने बनाया है । कंपनी का कहना है कि आनेवाला समय ३डी विज्ञापन का ही है । ३डी तकनीक से उत्पाद सीधे ग्राहक की आंखों में समा जाता है जिसका असर ग्राहक पर गहरा हो सकता है । हालांकि अभी शुरुआत हुई है लेकिन इस विज्ञापन की जानकारी मिलने के बाद कई कंपनियों ने ३डी में विज्ञापन बनाने के बारे में सोचना शुरू किया है । विज्ञापन बनाने में लगभग ३०-४० लाख रुपए का खर्च आता है लेकिन इस विज्ञापन को बनाने में सिर्फ १८ लाख रुपए खर्च आया क्योंकि तकनीशियनों ने इसे एक ट्रायल के रूप में देखा और अपना मेहनताना नहीं लिया । २०१२ में ज्यादा से ज्यादा ३डी विज्ञापन फिल्में नजर आईं।

३डी में चीजें सिर्फ नजदीक आती हैं लेकिन ४डी और ६डी में तो आपको ऐसा लगेगा जैसे आप खुद उस फिल्म में मौजूद हैं । ४डी में आप सांप द्वारा छोड़ी गई फुफकार को महसूस कर सकते हैं, पानी के फव्वारे का पानी आप पर गिर सकता है और पर्दे पर किसी कलाकार द्वारा लगाए गए सेंट की खुशबू भी महसूस कर सकते हैं । ६डी इससे भी दो कदम आगे है । रोलर कोस्टर वाली फिल्म में तो ६डी में आपको उसमें बैठने और रोलर कोस्टर का मजा लेने का आनंद आएगा । मुंबई में ओरामा नाम से ४डी की शुरुआत की गई थी लेकिन चल नहीं पाई ।


देश में आज से लगभग २५ वर्ष पहले "छोटा चेतन" ने देश में ३डी फिल्मों का दौर शुरु किया था । उस वक्त ३डी अपने आप में एक नया अनोखा कारनामा था जिसके लिए दर्शकों ने इस फिल्म को सिर आंखों पर उठा लिया था। उसके बाद बॉलीवुड फिल्म "शिवा का इंसाफ" ३डी में बनाई गई जो कुछ खास करामात नहीं कर पाई थी । इसके बाद बीच-बीच में ३डी फिल्में आईं लेकिन उन्हें भी ज्यादा लोकप्रियता नहीं मिली ।

अवतार और अन्य 3-डी फिल्मों की सफलता के बाद,महेश भट्ट् ने भी कहा था कि वह जिस्म जैसी फिल्मों को थ्री-डी में बनाना चाहेंगे। बहुत कम लोगों को पता है कि हॉलीवुड में थ्री-डी पोर्न फिल्में भी प्रदर्शित की जाती हैं और उन्हें ज़बर्दस्त सफलता भी मिली है,हालांकि उनकी चर्चा नही होती और अपने देश में ऐसी फिल्में तो प्रदर्शित होना ही नामुमकिन है। रिलायंस बिग पिक्चर्स ने थ्री-डी स्टूडियो की शुरूआत कर थ्री-डी फिल्मों के निर्माण की योजना बनाई है। रजनीकांत और ऐश्वर्या अभिनीत रोबोट भी थ्री-डी में प्रदर्शित करने की योजना बनाए जाने की खबरें आ रही हैं लेकिन इसकी पुष्टि नहीं हो पाई है।

वैसे, 4-डी और 6-डी फिल्में भी हैं। थ्री-डी में चीजें सिर्फ नज़दीक नज़र आती हैं मगर 4-डी और 6-डी में तो आपको ऐसा लगेगा जैसे आप खुद उस फिल्म में मौजूद हैं। 4-डी में आप सांप की फुंफकार को महसूस कर सकते हैं,पानी का फव्वारा भी आपको अपने ऊपर गिरता महसूस होगा। पर्दे पर कलाकार द्वारा लगाए गए सेंट की खुशबू भी आप ले पाएंगे। दक्षिण कोरिया में अवतार को 4-डी में कन्वर्ट कर दिखाया जा चुका है। 6-डी इससे भी दो कदम आगे है। रोलर कोस्टर वाली फिल्म में तो आपको उसमें बैठने और रोलर कोस्टर का मज़ा लेने का आनंद आएगा। मुंबई में ओरामा नाम से 4-डी की शुरुआत की गई थी हालांकि चल नहीं पाई(चंद्रकांत शिंदे,संडे नई दुनिया,23 मई,2010)

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