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Tuesday, October 26, 2010

तेलुगुदेशम को डीएमके का जवाब है रक्तचरित्र

केंद्रीय दूरसंचार मंत्री ए राजा को हटाए जाने और स्पेक्ट्रम घोटाले की जांच संयुक्त संसदीय समिति से कराए जाने की तेलुगूदेशम पार्टी की मांग और इस शुक्रवार को रिलीज हुई रामगोपाल वर्मा की फिल्म रक्त चरित्र-१ में क्या संबंध हो सकता है? न सिर्फ ये सवाल चौंकाने वाला है बल्कि इसका जवाब इससे भी ज्यादा हैरान करने वाला है।

भरोसेमंद सूत्रों के मुताबिक डीएमके कोटे के मंत्री पर कीच़ड़ उछालने वाली तेलुगूदेशम पार्टी के संस्थापक एन टी रामाराव के सियासी कारनामों को उजागर करने के लिए ही रक्तचरित्र का निर्माण किया गया है और इसके पीछे जिस शख्स के दिमाग और पैसे ने काम किया, वह और कोई नहीं बल्कि डीएमके अध्यक्ष और तमिलनाडु के मुख्यमंत्री करुणानिधि के पोते दयानिधि अझागिरी हैं। दक्षिण की राजनीति में आने से पहले अपने फिल्मी किरदारों के चलते पूरे आंध्र प्रदेश में पूजे जाने वाले दिवंगत एन टी रामाराव ने ही तेलुगूदेशम पार्टी की स्थापना की और लंबे वक्त तक दक्षिण की राजनीति के जरिए केंद्र की सियासत को प्रभावित किया। नेशनल फ्रंट के गठन के समय से ही केंद्र की सत्ता में एक पाले में रही तेलुगूदेशम और डीएमके रिश्तों में खटास एनडीए के पहली बार गठन के वक्त आई थी। बाद में तमिलनाडु और आंध्र-प्रदेश दोनों ही राज्यों में सत्ता संतुलन बदलने से ये सियासी रिश्ते भी बनते बिग़ड़ते रहे लेकिन, तेलुगू देशम ने डीएमके पर सीधा निशान इस साल मई के पहले हफ्ते में साधा। इसके पोलित ब्यूरो सदस्य और पूर्व केंद्रीय मंत्री के येरन्नाायडू ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को पत्र लिखकर न सिर्फ स्पेक्ट्रम घोटाले की चपेट में आए दूरसंचार मंत्री ए राजा को मंत्रिमंडल के बर्खास्त करने की मांग की बल्कि पूरे मामले की जांच के लिए संयुक्त संसदीय समिति गठित करने की मांग की। निर्देशक रामगोपाल वर्मा के करीबी सूत्रों की मानें तो तेलुगूदेशम पार्टी की छवि पर हमला करने की योजना इसके बाद ही बनी।

इस फिल्म में प्रजा देशम पार्टी के बहाने और शत्रुघ्न सिन्हा को एन टी रामाराव के चोले में पेशकर ये बताने की कोशिश की गई है कि कैसे तेलुगूदेशम पार्टी ने अपनी सत्ता बनाए रखने के लिए अपराधी तत्वों का सहारा लिया। फिल्म के कथानक को लेकर आंध्र-प्रदेश में बवाल मचा हुआ है। तेलुगूदेशम के नेता इस फिल्म को रामाराव की छवि को ध्वस्त करने की साजिश बता रहे हैं।

फिल्म की शुरुआत में इसके निर्माता के रूप में दयानिधि अझागिरी की कंपनी क्लाउड ९ का नाम देखकर एक नया हंगामा शुरू हो गया है। दयानिधि के पिता एम के अझागिरी केंद्र में रसायन और उर्वरक मंत्री है और उनकी राजनीतिक महात्वाकांक्षाएं अक्सर अपने भाई स्टालिन की सियासत में रुकावटें डालती रही हैं। आंध्र प्रदेश में रक्तचरित्र के तेलुगू संस्करण को देखने वालों का कहना है कि ये फिल्म एन टी रामाराव की वहां अब तक बनी रही छवि को पूरी तरह ध्वस्त कर रही है और पार्टी के कुछ नेता इसके खिलाफ अदालत की शरण लेने का भी मन बना रहे हैं। इस बारे में फिल्म के निर्देशक राम गोपाल वर्मा कुछ नहीं कहना चाहते(पंकज शुक्ल,नई दुनिया,दिल्ली,26.10.2010)।

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