
(हिंदुस्तान,18 अप्रैल,2010)
इस ब्लॉग पर केवल ऐसी ख़बरें लेने की कोशिश है जिनकी चर्चा कम हुई है। यह बहुभाषी मंच एक कोशिश है भोजपुरी और मैथिली फ़िल्मों से जुड़ी ख़बरों को भी एक साथ पेश करने की। आप यहां क्रॉसवर्ड भी खेल सकते हैं।
बायें से दायें-
अपार्टमेंट के निर्देशक जगमोहन मूंधरा बवंडर और प्रोवोक्ड वाले नहीं हैं। ये मूंधरा हैं LA Goddess, Sexual Malice और Tropical Heat वाले। आपने सुना है इन फिल्मों के बारे में क्या? चलिए कोई बात नहीं। बाद में उन्होंने कामसूत्र और शूट ऑन साइट बनाई जिसे अंतर्राष्ट्रीय सिनेमा के रूप में प्रचारित किया गया। इन फिल्मों के बारे में आपने थोड़ा सुना होगा । वही मूंधरा इस बार लाए हैं अपार्टमेंट। तनुश्री दत्ता,नीतू चन्द्रा,रोहित राय,अनुपम खेर,बॉबी डार्लिंग,मुश्ताक खान,नसार अब्दुल्लाह अभिनीत इस फिल्म के गीत लिखे हैं सईद गुलरेज ने। संगीत है बप्पी दा का। 108 मिनट की इस फिल्म को सेंसर ने ए सर्टिफिकेट दिया है।
बिहार को मूलतः भोजपुरी फिल्मों के लिए ही जाना जाता है। वर्ष के हिसाब से मैथिली फिल्मों का इतिहास भी वहां बहुत पुराना है मगर संख्या के लिहाज से मैथिली फिल्मों की संख्या बहुत थोड़ी है। अभी पिछले दिनों ही अंगपुत्र फिल्म की खबर इस ब्लॉग पर विस्तार से दी गई जो अंगिका भाषा की पहली फिल्म है। अब एक नई शुरूआत यह हुई है कि बिहार में हिंदी फिल्म बनने जा रही है। जो दिल में आ जाए नामक इस फिल्म के निर्माता अमित कुमार विरला और निर्देशक महेश कुमार झा-दोनों मधेपुरा जिले के हैं। श्री विरला इससे पहले बांगला में मदर और आई लव यू नाम की दो फिल्में बना चुके हैं। उन्होंने कहा है कि वे इस हिंदी फिल्म की ज्यादातर शूटिंग बिहार में ही करेंगे और इसमें संगीत पक्ष पर ज्यादा ज़ोर दिया जाएगा। उन्होंने फिल्म में बिहार और झारखंड के कलाकारों को पूरा मौका देने की बात भी कही है। फिल्म के अगले साल मार्च में रिलीज होने की संभावना है।
इस हफ्ते रिलीज बहुचर्चित फिल्म है महेश मांजरेकर की सिटी ऑफ गोल्ड। सचिन खेडे़कर, शशांक शेंडे,कश्मीरा शाह,अंकुश चौधरी,सीमा विश्वास,वीणा जमकार, करण, पटेल, समीर, सतीश कौशिक, सिद्धार्थ जादव,और गणेश यादव अभिनीत इस फिल्म के निर्माता हैं अरुण रंगचारी । 144 मिनट की इस फिल्म में गीत है श्रीरंग गोडबोले का और संगीत अजीत परब का । सेंसर ने इसे दिया है है- यू / ए सर्टिफिकेट ।
पिछले कुछ वर्षों में,एक से अधिक सार्वजनिक मौकों पर, महानायक अमिताभ अचानक बीमार पड़े। उन्हें आनन-फानन में अस्पताल ले जाया गया। कुछ दिन भर्ती भी रहे अस्पताल में और फिर कहा गया कि सब कुछ ठीक है,घबराने की कोई बात नहीं और अमिताभ जल्दी ही अपना नॉर्मल शिड्यूल शुरू करेंगे। मगर आज उन्होंने खुद अपने ब्लॉग में खुलासा किया है कि वे लीवर सिरोसिस से पीड़ित हैं
अमिताभ कहते हैं कि उस दौरान एक अज्ञात दाता के रक्तदान से उन्हें यह बीमारी हुई। उस व्यक्ति का रक्त ऑस्ट्रेलियन ऐन्टिजन हेपेटाइटिस से संक्रमित था। उसके रक्तदान से यह उनके शरीर में पहुंच गया। बिग बी कहते हैं कि आठ साल पहले कराए गए एमआरआई से पता चला कि उसकी वजह से उनका 25 प्रतिशत लीवर ख़राब हो चुका था। तब से अब उन्हें हर तीन महीने में चिकित्सकीय जांच करानी पड़ती है। अमूमन, लिवर सिरोसिस की बीमारी शराब की लत, हिपेटाइटिस बी और सी के कारण होती है जिसमें यकृत धीरे धीरे काम करना बंद कर देता है। मशहूर हस्तियों के रोग का खुलासा जल्दी नहीं होता। आखिर उनके व्यावसायिक हित जो जुड़े होते हैं। अस्पतालों और डाक्टरों को भी चुप्पी बरतने की हिदायत दी जाती है। ऐसे कई मामले हैं जब आखिरी दिनों तक लोगों को भनक नहीं लगी कि अमुक व्यक्ति किस रोग से पीड़ित है। अभिनेता राजकुमार के देहान्त के बाद ही यह सार्वजनिक हुआ था कि उन्हें गले का कैंसर था।
उत्तराखंड का पहला अंतरराष्ट्रीय फिल्म समारोह आज से देहरादून में शुरू हो रहा है। सप्ताह भर चलने वाले इस समारोह में देश-विदेश की 70 फिल्में प्रदर्शित की जा रही हैं। इनमें मुंबई इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल की तीस पुरस्कार विजेता फिल्में, फिल्म प्रभाग की 33 चुंनिंदा डाक्यूमेंट्री, एनिमेशन व राज्य -आधारित फिल्में और बाल फिल्म समिति की छह फिल्में शामिल हैं। सूचना और प्रसारण मंत्रालय के फिल्म प्रभाग तथा उत्तरांचल फिल्म चैंबर आफ कामर्स, देहरादून के संयुक्त तत्वावधान में हो रहा यह फिल्म समारोह 29 अप्रैल तक छायादीप सिनेमा में चलेगा। फिल्म प्रभाग फिल्मों के निर्माण और वितरण तथा लघु फिल्मों के संवर्द्धन का कार्य करता है।
सीनियर अउर जूनियर निरहुआ अभिनीत मल्टीस्टारर फिल्म आज के करण अर्जुन आज बिहार-झारखंड के 50 सिनेमाघर में फिल्म रिलीज रिलीज हो गईल। कल एह फिलिम के पटना मे मोना टाकीज में प्रीमियर भईल जे भोजपुरी सिनेमा के इतिहास में,कवनो फिलिम के पहिला प्रीमियर रहे। एह प्रीमियर में फिलिम के हीरो-हीरोईन अउर निर्माता-निर्देशक भी उपस्थित रहलें। कैपिटल फिल्म्स अउर यशी फिल्म्स के एह फिलिम मे दू गो भाईयन का उपर भइल अत्याचार आ क्रूरता के बदला लेबे के कहानी बा। हैरी फर्नाण्डिज निर्देशित एह फिलिम में रउरा के दिनेश-पाखी आ प्रवेश-कृशा के रोमांटिक जोड़ी देखे के मिली। ई पहिला मौका ह जब दुनू निरहुआ एक साथ कवनो फिलिम में आइल बाड़ें।
एन.एन.सिप्पी प्रोडक्शन के अगिला फिलिम मृत्युंजय मे रउआ के सिंक साउंड के मजा मिली। सिंक साउंड के माने बा शूटिंग के दौरान बोलल गईल डायलाग के हू-ब-हू प्रस्तुति। इहां जानत होखब कि फिलिम में शूटिंग के दौरान बोलल गईल डायलॉग फिल्म में नइखे रखल जाला काहे कि अइसन डायलॉग मेंबहुते तरह के कमी रह जाला। एह से,शूटिंग खतम हो गइला के बाद,डायलॉग के डब कइल जाला जे से ओह के,मिक्सिंग वगैरह कर के, तकनीकी रूप से अउर निमन बनावल जा सके। मगर रउआ मृत्युंजय में डायलॉग उहे रूप में सुन सकब जवन रूप में ई शूटिंग के क्रम में रिकार्ड कईल गईल रहे। एह फिलिम में डिजिटल साउंड तकनीक के भी इस्तेमाल कईल गईल ह। दिनेश लाल यादव निरहुआ,रिंकू घोष,बृजेश त्रिपाठी,मनोज टाइगर,संजय पांडे अउर गोपाल राय अभिनीत एह फिलिम के निर्माता बाड़ें प्रवेश सिप्पी अउर निर्देशन बा जगदीश शर्मा के। फिलिम में गीत बा प्यारेलाल यादव के अउर संगीत ह धनंजय मिश्रा के। मानल जा रहल बा कि सिंक साउंड कैमरा अउर डॉल्बी डिजिटल साउंड से भोजपुरी सिनेमा के विकास के नइका दिसा मिली।
देश में फिल्मों का कारोबार मुंबई से बाहर पाँव पसार रहा है और यह पिछड़े माने जाने वाले राज्यों तक पहुंच गया है। पंजाबी, बांग्ला, भोजपुरी से लेकर गढ़वाली, छत्तीसगढ़ी और झारखंड की स्थानीय बोलियों तक में फिल्में बन रही हैं। बिहार में भोजपुरी के अतिरिक्त मैथिली फिल्म उद्योग की ही छिटपुट चर्चा होती रही है जिसकी नई फिल्म-हमर अप्पन गाम अप्पन लोक का निर्माण प्रगति पर होने की सूचना है। इसी क्रम में ताजा एंट्री है अंगिका भाषा की मल्टीस्टारर फिल्म अंगपुत्र जो 30 अप्रैल को रिलीज हो रही है। इसमें,भोजपुरी और अंगिका लोकगीतों के मशहूर गायक-अभिनेता सुनील छैला बिहारी प्रमुख भूमिका में हैं। नायिका है अपराजिता । फिल्म में आप सीनी राकेश पाण्डे, ललितेश झा, छोटू छलिया, अपराजिता, रीमा सिंह, रीना रानी, मानसी पांडे, डा. अभय आशियाना, रेणु तिवारी और बलमा बिहारी को भी देख सकेंगे। रौशन क्रियेशन और सरगम बिहार फिल्म्स के बैनर तले बनी इस फीचर फिल्म में दस गाने हैं। फिल्म पर लागत आई है-70 लाख रूपए। इस पारिवारिक फिल्म की पूरी शूटिंग अंगप्रदेश,यानी,भागलपुर और इसके आसपास के इलाके में हुई है।
तमाम अटकलों पर विराम लगाते हुए महाराष्ट्र सरकार ने इस बार का राजकपूर लाइफ अचीवमेंट अवार्ड ,देशभक्ति की भावना पर आधारित फिल्मों के लिए भारत कुमार के नाम से मशहूर मनोज कुमार को देने का फैसला किया है।
अच्छे जानकार बताए जाते हैं।
कैलिफोर्निया के गवर्नर आर्नोल्ड श्वाजनेगर पांच साल बाद फिर से पर्दे पर वापसी कर रहे हैं। उनकी नई फिल्म है द एक्सपेंडेबल्स। इस एक्शन फिल्म में श्वाजनेगर हास्य भूमिका में दिखेंगे। यह फिल्म अगस्त में रिलीज होनी है। इस फिल्म में ब्रूस विलिस,सिल्वेस्टर स्टेलॉन और मिकी राउरकी मुख्य भूमिका में हैं। यह फिल्म बूढे सैनिकों के एक समूह की कहानी कहती है।
काजोल को सिनेमा के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए मास्टर दीनानाथ विशेष पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा। उन्हें यह पुरस्कार षणमुखानंद सभागार में 24 अप्रैल को एक कार्यक्रम में पार्श्व गायिका लता मंगेशकर देंगी । इस पुरस्कार के तहत 50 हजार की नकद राशि और एक स्मृति चिह्न प्रदान किया जाता है । काजोल के अलावा गायक हरिहरन, पंडित शिवानंद पाटिल और प्रशांत दामले को भी इस पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा। यह पुरस्कार प्रतिवर्ष 24 अप्रैल को लता मंगेशकर अपने पिता दीनानाथ मंगेशकर की पुण्यतिथि पर स्वयं प्रदान करती हैं।
चटर्जी) के बीच मानसिक संघर्ष को दिखाया गया है। लड़की मानती है कि उसकी मां की आत्महत्या के लिए उसका पिता बोधिसत्व(सौमित्र चटर्जी) जिम्मेदार है।
मित्रा की है।
गुजरात के ब्रांड एंबेसडर अमिताभ बच्चन अब गुजराती रंग में नजर आएंगे। वे गुजरात के पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए बनने वाली एड फिल्म की शूटिंग के लिए आगामी मई-जून में गुजरात आ रहे हैं। वे विजुअल एड फिल्मों के अलावा स्टिल फोटोग्राफी यानी कि पोस्टर्स और बैनर्स में भी दिखाई देंगे। गुजरात पर्यटन से संबंधित छह विज्ञापन फिल्मों की शूटिंग करने के लिए जगह तय कर लिए गए हैं जिसमें सोमनाथ मंदिर प्रमुख है।
क्या आपको कौए से डर लगता है? यदि नहीं ,तो रामगोपाल वर्मा आपके लिए लाए हैं फूंक-2। यह फिल्म उन्होंने निर्देशित तो नहीं की है मगर बनी है उन्हीं के बैनर तले । सुदीप, अमृता खानविलकर, नीरू सिंह, एहसास चानना, अश्विनी कलसेकर, अनु अंसारी, गणेश यादव, जाकिर हुसैन, विकास श्रीवास्तव, जीवा और अमित साध के अभिनय वाली इस फिल्म का निर्देशन किया है मिलिंद गदगकर ने जो इस फिल्म के लेखक भी हैं। भुतहा फिल्म है इसलिए पार्श्व संगीतकार का नाम बताना जरूरी है। ये हैं राहुल पंडीरकर।
विशाल ठाकुर को सुदीप के साथ अमृता की केमिस्ट्री जमी है। उधर,दैनिक भास्कर में राजेश यादव और मेल टुडे में विनायक चक्रवर्ती के अनुसार,यह फिल्म केवल बाल कलाकार एहसास चानना के अभिनय के लिए देखी जा सकती है। । मगर नभाटा में चंद्रमोहन शर्मा लिखते हैं कि पिछली बार डराने में लगी बेबी एहसास चानना इस बार खुद डरती है। उन्हें अमृता खानविलकर का रोल पसंद आया है। निखत काजमी को लगा है कि तमाम कोशिश के बावजूद सुदीप रण जितना प्रभावित नहीं करते।
काफी प्रोमोशन के बाद आखिरकार शाहिद की पाठशाला रिलीज हो गई । 129 मिनट की इस फिल्म में उनके साथ हैं आयशा टाकिया,नाना पाटेकर,अंजन श्रीवास्तव,सौरभ शुक्ला और सुष्मिता मुखर्जी,स्वीनी खेरा,द्विज यादव। निर्देशन है मिलिन्द उके का और गीत-संगीत हनीफ शेख का। लेखन व पटकथा अहमद खान का है। नाम के अनुरूप ही सेंसर सर्टिफिकेट मिला है-यू।
भारत पर विदेशियों ने बहुत काम किया है और उनमें से कई काम अतुलनीय महत्व के हैं। गांधी फिल्म बनाकर रिचर्ड एटनबरो ने विश्व सिनेमा को जो दिया,वह किसी से छिपा नहीं है। अब खबर आ रही है कि फिर एक विदेशी निर्माता-निर्देशक एक भारतीय हस्ती पर फिल्म बनाने की तैयारी कर रहा है । अबकी बारी है ओशो की जिनकी भूमिका के लिए कमल हासन और संजय दत्त जैसे किसी अभिनेता को लेने की योजना बनाई जा रही है। यह प्रोजेक्ट है इटली के निर्देशक एंटोनियो लाक्शीन सुकामेली का जो भारत और दूसरे देशों की प्रोडक्शन कंपनियों से इस बारे में बातचीत कर रहे हैं। श्री सुकामेली 1978 में भारत आगमन के बाद ओशो के शिष्य बन गए थे । उन्होंने इस प्रोजेक्ट पर कोई पाँच साल पहले ही काम शुरू कर दिया था। इन दिनों वे भारत में हैं और इस परियोजना के बारे में बातचीत कर रहे हैं। शूटिंग अगले साल शुरू होने की संभावना है। जाहिर है, फिल्म का एक हिस्सा भारत में भी शूट किया जाएगा।
उन्हें निकाले जाने के मामले की पड़ताल के लिए क्लारा भारत आईं मगर सुरक्षा प्रमुख सत्यम के प्रेमजाल में फंस गईं ।
बड़ी घटना हैं। किसी एक किताब में उन्हें संपूर्णता से समेटना संभव नहीं है।" ओशो के निकट रहा व्यक्ति ऐसा सोचता ही है। इसलिए,यह अच्छी बात है कि ओशो पर इस बार फिल्म बनाने की पहल भी ओशो के एक शिष्य ने ही की है। श्री सुकालेमी ने अब तक जैसी फिल्मे बनाई हैं,उससे उम्मीद बंधती है कि वे विवादित प्रसंगों की सनसनी पेश करने की बजाए उन देसनाओं पर ज़ोर देंगे जिन पर ओशो से पहले किसी ने वैसी दृष्टि से विचार नहीं किया था। यह एक सच्चाई है कि सार्वजनिक स्वीकृति से हिचक के बावजूद,आज ओशो की पुस्तकें दुनिया की सबसे ज्यादा पढी गई पुस्तकें हैं। गंभीरतम दर्शन की सरलतम अभिव्यक्ति यदि कहीं देखनी हो,तो वे ओशो की पुस्तकों मे ही देखी जा सकती हैं। यदि भाव और संदेश का यह प्रवाह सुकालेमी अपनी फिल्म में बनाए रख सके,तो मानकर चलिए कि वे सफलता के चरम पर होंगे। ओशो के प्रशंसक करोड़ों की संख्या में हैं और उनकी उम्मीदों पर ख़रा उतरना स्वयं सुकालेमी के करियर के लिए सबसे बड़ी चुनौती होगी। ओशो बेहद महत्वपूर्ण विषय हैं और उन पर बनी कोई भी फिल्म दुनिया भर के सिने प्रेमियों की जिज्ञासा का विषय होगी। फिल्म अच्छी बनी तो उन्हें विश्व सिनेमा में अमर बना सकती है। अन्यथा,दूसरे सिरे के खतरे का अनुमान आप कर सकते हैं।
1894 में,रंगरूटों के मनोरंजन के लिए लंदन में रखे गए एक कार्यक्रम में गायिका-अभिनेत्री लिली हर्ले की आवाज एकदम से बैठ गई। फौजी दर्शक उन पर फब्तियां कसने लगे। तब हर्ले उदास चेहरे और अवसाद लिए बेटे के पास पहुंचीं। उधर ,थिएटर मैनेजर को समझ नहीं आ रहा था कि क्या किया जाए। अचानक , मैनेजर ने हर्ले के बेटे को स्टेज पर भेज दिया। उस बच्चे ने स्टेज पर गाना शुरू किया। दर्शकों का इतना मनोरंजन हुआ कि उन्होंने खूब पैसे फेंके। कार्यक्रम की समाप्ति पर जब मां बेटे को लेने स्टेज पर आईं,तो दर्शकों ने जोरदार तालियों से उनका स्वागत किया। यह लिली हर्ले का आखिरी और उनके बेटे चार्ली स्पेन्सर चैपलिन का पहला स्टेज शो था। तब चैपलिन महज पाँच साल के थे। आज उन्हीं चार्ली चैपलिन का जन्म दिन है।
“A Comedian Sees the World”, “My Autobiography” और “My Life in Pictures”लिखी हैं। बिना किसी प्रशिक्षण के,कई प्रकार के वाद्य वे समान कुशलता से बजा सकते थे। “Sing a Song”; “With You Dear in Bombay”; “There’s Always One You Can’t Forget”, “Smile”, “Eternally” और “You are My Song” उनके कुछ बहुचर्चित गाने हैं। उनकी तमाम फिल्मों के साउंडट्रैक भी खुद उन्हीं ने तैयार किए थे। वे अकेले ऐसे कॉमेडियन हैं जिन्होंने अपनी सभी फिल्मों का निर्माण,लेखन,अभिनय और निर्देशन तो खुद किया ही,पैसों का बंदोवस्त भी स्वयं वही करते रहे।
होंगे मगर स्वयं महमूद अपने अंतिम दिनों में इतने अकेले और उदास थे कि एक चैनल पर इंटरव्यू के दौरान ही फूट-फूट कर रोने लगे। प्रकृति की अजीब विडम्बना है कि अधिकतर हास्य कलाकारों का जीवन कई तरह संघर्षों और दुखों से भरा रहा है। चार्ली चैपलिन भी इसके अपवाद नहीं थे। जब वे महज सात साल के थे, तभी उनके माता-पिता का तलाक हो गया। इसके बाद उनकी मां का संतुलन बिगड़ गया। अंतत: उन्हें मनोरोगियों के अस्पताल में भर्ती कराना पडा । मां के देहान्त के बाद चैपलिन को कुछ वक्त अनाथालय तक में बिताना पडा। लंबे समय तक वे अपने शराबी पिता(यद्यपि वे बेहद प्रतिभाशाली गायक और अभिनेता थे) और सौतेली मां के दुर्व्यवहार को झेलते रहे। चैपलिन कहते थे कि हंसी के बिना बीता कोई भी दिन व्यर्थ है। मगर स्वयं चैपलिन भी,सफलता के चरम पर पहुंचने के बावजूद, ,अपने बचपन और मां को याद कर अक्सर उदास हो जाते थे।
महेश मांजरेकर बेहद प्रतिभाशाली व्यक्तित्व हैं। कथा, पटकथा, निर्माण, निर्देशन और अभिनय सबके लिए उन्हें पुरस्कार मिल चुके हैं। वास्तव,अस्तित्व और विरुद्ध जैसी यथार्थवादी फिल्में बना चुके महेश सिटी ऑफ गोल्ड से, फिर से निर्देशन में लौट रहे हैं। उनकी यह फिल्म अस्सी के दशक में मुंबई के कपड़ा मिल मजदूरों की दयनीय दशा को दर्शकों के सामने रखेगी।
आज से दिल्ली में बंगलादेशी फिल्मों का समारोह शुरू हो रहा है। भारत सरकार के सूचना और प्रसारण मंत्रालय के फिल्मोत्सव निदेशालय द्वारा भारत स्थित बंगलादेश उच्चायोग के सौजन्य से आयोजित इस तीन दिवसीय समारोह में कुल छह फिल्में दिखाई जानी हैं। ये हैं- ऑनटोर जत्रा,जॉयजत्रा,बैचलर,रूपकथार गोल्पो,मतिर मोइना और अहा। तीन दिन के इस समारोह का उद्घाटन कर रहे हैं केंद्रीय सूचना और प्रसारण राज्य मंत्री चौधरी मोहन जतुआ। यह आयोजन रखा गया है सिरीफोर्ट सभागार-II में जिसमें आज शाम सात बजे, सुश्री अयूपी करीम के निर्देशन में बनी 116 मिनट की फिल्म आयना दिखाई जाएगी। शनिवार और रविवार की फिल्मों के प्रदर्शन का समय कृपया विज्ञापन से नोट करें। प्रवेश गेट नम्बर 4 से और निःशुल्क है। सभी फिल्मों के सब-टाइटल्स अँग्रेजी में दिए गए हैं।
स्टंटमैन,निर्माता,निर्देशक,लेखक अउर अभिनेता टीनू वर्मा के रउआ 23 अप्रैल से रिलीज हो रहल आज के करण-अर्जुन में देख सकब। ई टीनू वर्मा उहे बाड़ें जवन के इहां लोगन मेला अउर मां तुझे सलाम में खलनायक के रूप में देखले रहीं। गदर,कहो न प्यार है अउर वीर के खतरनाक एक्शन सीन उनुकरे निर्देशित कइल रहे। उहे टीनू वर्मा के रउआ आज के करण-अर्जुन में खलनायक के रोल में देखब। अभय सिन्हा अउर टी.पी.अग्रवाल निर्मित एह फिलिम में टीनू गांव के ठाकुर बनल बाड़ें अउर आपन बहिन के परिवार के
तबाह कर ताड़ें। बड़ा होके भगिना सब कइसे मामा से बदला लेवेला,इहे एह फिलिम के मुख्य कथानक ह। एह ब्लॉग पर हम रउआ के सूचित कइले रहलीं कि एह फिलिम में सीनियर अउर जूनियर निरहुआ पहिली बेर एक साथ नज़र अइहें। कैपिटल फिल्म्स प्राइवेट लिमिटेड अउर यशी फिल्म्स प्राइवेट लिमिटेड के बैनर तले बनल एह फिलिम में पाखी हेगड़े,कृशा खंडेलवाल,अनूप अरोड़ा,नीलिमा सिंह,सुदेश कौल अउर किरण कुमार के मुख्य भूमिका बा।
अमीषा पटेल भी बस पहुंच ही गईं बॉलीवुड। अमीषा ने मैसेच्युसेट्स (अमेरिका) के टफ्ट्स विश्वविद्यालय में अर्थशास्त्र पढ़ा। अपने ग्रेजुएशन के बाद खांडवाला सिक्योरिटीज लिमिटेड में इकनॉमिक एनलिस्ट के तौर पर अपना करियर शुरू किया। बाद में उन्हें मोरगन स्टेनले की ओर से भी ऑफर मिला था लेकिन वे भारत लौट आईं। यहां लौटकर उन्होंने सत्यदेव दुबे के थिएटर ग्रुप के साथ काम किया। यहां से रास्ता खुला "कहो न प्यार है" के लिए।
कहने लगीं "दिल मांगे मोर"। फिल्मों में आने से पहले सोहा फोर्ड फाउंडेशन और फिर सिटी बैंक में काम करती थीं लेकिन पहुंचना तो यहां था ना!
अक्की बाबा उर्फ अक्षय कुमार की कहानी और भी दूसरी है। ये पंजाबी पुत्तर अमृतसर में पैदा हुए और जल्दी ही परफॉमर और डांसर के तौर पर ख्याति हासिल कर ली लेकिन फिल्म... इससे पहले बहुत पापड़ बेले। मुंबई के डॉन बॉस्को और फिर खालसा कॉलेज में पढ़ने के बाद वे बैंकॉक में मार्शल आर्ट सीखने गए तो शेफ का काम भी किया। मुंबई आने के बाद यहां मार्शल आर्ट सिखाने लगे। यहीं उनके किसी स्टूडेंट जो कि बाद में एक फोटोग्राफर बना, ने उन्हें मॉडलिंग का रास्ता दिखाया। बस फिर तो चल निकली भाई की।
"जाते थे जापान पहुंच गए चीन" जैसा रहा। १९५७ में मुंबई में जन्मे बोमन ४४ साल की उम्र में "एवरीबडी सेज आय एम फाइन" में एक छोटे-से रोल में आए। फिल्मों में आने से पहले १९८२ से ८५ तक उन्होंने जीवन बीमा निगम में काम किया। कुछ साल उन्होंने आलू की चिप्स का अपना पारिवारिक व्यवसाय भी संभाला। १९८७ में उन्होंने प्रोफेशनल फोटोग्राफी शुरू की, जो १९८९ तक चली। फिर उन्होंने रंगमंच पर एक्टिंग शुरू की। उसके बाद कहीं वे सवार हो पाए फिल्मी रेल पर । हां लेकिन एक्टिंग के प्रति उनका प्यार स्कूल और फिर आगे चलकर कॉलेज में भी रहा।
शुरू किया था। यह फर्म बंद हो गया। बाद में उन्होंने मीडिया प्लानर के तौर पर इंटरप्राइजेस-नेक्सस के लिए भी काम किया। आखिरकार वे मॉडलिंग के जरिए पहुंच गए हिन्दी फिल्म इंडस्ट्री।
गईं एक शादी में! जी हां, "लव सेक्स और धोखा" की कलाकार इंदौर की २२ वर्षीय नेहा चौहान को ही लें। फिल्म के बारे में तो उन्होंने सोचा भी नहीं था। दिबाकर बनर्जी (फिल्म के डायरेक्टर) ने उन्हें एक शादी के वीडियो में देखा और उन्हें ऑडिशन के लिए बुला भेजा। बस, हो गया धोखा।