स्वागत

Monday, February 15, 2010

बॉलीवुड में सेक्स

हालिया रिलीज फिल्म ‘इश्किया’ के नाम से जाहिर है कि इसमें इश्क किया गया है, हो नहीं जाता है। विघा बालन अपना मकसद पूरा कर पाने के लिए नसीरूद्दीन शाह और अरशद वारसी से इश्क करती हैं और दोनों छिपने के लिए पनाहगाह पाने के लिहाज से विघा के मजनू बनते हैं। फिल्म का जबर्दस्त डॉयलाग हैं, जो अरशद वारसी नसीर के मुंह पर मारते हैं। अपने और नसीर के इश्क को बयान करने के लिए, ‘तुम्हारा इश्क इश्क, हमारा इश्क सेक्स।’ दीगर है कि पूरी फिल्म में जहां नसीर खामोश इश्क जता रहे थे, वहीं अरशद न केवल विघा का गहरा चुम्बन प्राप्त करने में कामयाब होते हैं बल्कि उनके साथ हमबिस्तर भी हो जाते हैं। अंत में उनका ही इश्क जीतता है।
पिछले साल रिलीज कुछ बड़े बजट, बड़े बैनर और बड़े हीरो-हीरोइन वाली फिल्मों में नायक/नायिका पहली बार में ही बिस्तर पर जा कूदते हैं। हिट फिल्म ‘लव आजकल’ को ही लीजिए। इम्तियाज अली की पहले की तीन फिल्मों ‘सोचा ना था’, ‘आहिस्ता आहिस्ता’ और ‘जब वी मेट’ का नायक अपनी नायिका का चुम्बन बमुश्किल पाता है। ‘आहिस्ता आहिस्ता’ में तो सोहाअली के लिए अभय देआ॓ल का पहला सम्बोधन बहनजी था। ‘जब वी मेट’ में वह कुछ आगे बढ़े, जब करीना कपूर खुद शाहिद कपूर की स्मूचिंग करती हैं। ‘लव आजकल’ में सैफअली खान और दीपिका पादुकोण बिस्तर वाला रोमांस करते ही हैं, सम्बन्ध विच्छेद को सेलिब्रेट भी करते हैं। ‘कमीने’ की नायिका प्रियंका चोपड़ा असुरक्षित सेक्स करने के कारण प्रेग्नेंट भी हो जाती हैं। निर्देशक अनुराग कश्यप की फिल्म ‘देव डी’ किंवदंती कथा देवदास का आधुनिक संस्करण है पर ‘देव डी’ के देव के प्यार में वह समर्पण नहीं, जो देवदास में था। ‘देवदास’ प्रेम में बरबाद होने के लिए पीता है, जबकि देव डी प्रेम को बर्बाद करने के लिए पीता है, ड्रग का सेवन करता है। वह देवदास की तरह एक औरत को समर्पित नहीं, बल्कि वेश्यागामी और लम्पट है। पूर्व की ‘देवदास’ फिल्मों के विपरीत इस फिल्म में नायक और दोनों नायिकाओं के बीच के उत्तेजक सीन और नग्न दृश्य थे। ‘देव डी’ की पारो और चन्दा चरित्रहीन और नशाखोर हो जाती हैं।
बॉलीवुड फिल्मों से रोमांस और सेक्स का चोली दामन का साथ है। स्वतंत्रता पूर्व की फिल्मों में चुम्बन आम बात थी। आजादी के बाद कड़ी सेंसरशिप के कारण चुम्बन दृश्य बीती बात हो गये। यहां तक कि नायक के लिए अपनी नायिका का हाथ पकड़ना तक मुश्किल था। चुम्बन, आलिंगन जैसे प्रणय दृश्य दो फूलों अथवा पक्षियों के जोड़े के प्रतीक के सहारे फिल्मा लिये जाते थे। लम्बे समय बाद राजकपूर ने फिल्म ‘संगम’ में एफिल टॉवर के ऊपर चुम्बन दृश्य दिखाया तो फिल्म समीक्षकों ने सेंसर बोर्ड की उदारता की आलोचना की थी। वैसे यह दृश्य विदेशी जोड़े पर फिल्माया गया था, न कि राजकपूर और वैजयंतीमाला पर। अलबत्ता, राजकपूर चुम्बन लेते जोड़े को दिखाते हुए, वैजयंतीमाला से प्रणय निवेदन कर रहे थे। आईएस जौहर की फिल्म ‘जौहर महमूद इन गोवा’ में सोनिया साहनी का जौहर का चुम्बन लेने का दृश्य सेंसर की कैंची से इस बिना पर बच सका कि सोनिया फिल्म में पुर्तगीज क"रेक्टर बनी थी। इसके बाद खोसला कमेटी की रिपोर्ट के बाद सेंसर बोर्ड कुछ उदार हुआ। हिन्दी फिल्मों में देशी नायक नायिका पर चुम्बन दृश्य फिल्माये जाने लगे। ऐसा ही चुम्बन दृश्य ‘सागर’ में डिम्पल कापड़िया और ऋषि कपूर पर फिल्माया गया था। यह वही डिम्पल थीं, जिन्होंने ‘बॉबी’ में अपनी देह का उदार प्रदर्शन किया था। राजकपूर की फिल्मों के प्रति सेंसर बोर्ड हमेशा से उदार रहा। यही कारण था कि दर्शकों को राजकपूर की ही फिल्म ‘सत्यम शिवम सुन्दरम’ में जीनत अमान की और ‘राम तेरी गंगा मैली’ में मन्दाकिनी की खुली छातियां देखने को मिली थीं। ‘सागर’ के बाद सेंसर उदार होना शुरू हुआ। नतीजे के तौर पर ‘ख्वाहिश’ में रोमांस का इजहार चुम्बनों की बौछारों के जरिये हुआ।
2000 के दशक में बात चुम्बन से सेक्स तक आ गयी। जिस्म में रोमांस खालिस सेक्सुअल था। बिपाशा बसु अपना मकसद पाने के लिए जॉन अब्राहम को ‘जिस्म’ की आदत डालती है। ‘मर्डर’ और ‘हवस’ की नायिकाएं भी अपने पूर्व प्रेमियों से विवाहेतर सम्बन्ध स्थापित करती हैं। कुणाल कोहली की फिल्म ‘हमतुम’ की नायिका रानी मुखर्जी के लिए सैफअली खान के साथ विवाहपूर्व सेक्सुअल रिलेशन चलता है जैसे थे। ‘सलाम नमस्ते’ का प्रीति जिंटा और सैफअली का प्रेमी युगल लिव इन रिलेशनशिप में तो रहता ही था, प्रीति जिंटा मां भी बनती है। ‘रेस’ में तो भाई अपने भाई की प्रेमिका के साथ सेक्सुअल रिलेशन बनाता हैं। ‘कुर्बान’ के करीना कपूर और सैफअली की जोड़ी कॉलेज में ही कुछ इस प्रकार से चूमा चाटी करने लगते हैं, जैसे प्रागैतिहासिक काल में रह रहे हों। इस फिल्म में सैफ के प्रति अपनी मोहब्बत का इजहार करने के लिए करीना कपूर को ऊपर से कपड़े तक हटाने पड़े थे। (अल्पना,राष्ट्रीय सहारा,दिल्ली संस्करण,13.2.2010)

No comments:

Post a Comment

न मॉडरेशन की आशंका, न ब्लॉग स्वामी की स्वीकृति का इंतज़ार। लिखिए और तुरंत छपा देखिएः