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Monday, November 15, 2010

अधूरी तैयारियों के बीच जारी है कोलकाता फिल्मोत्सव

16 वें कोलकाता फिल्मोत्सव के तीन दिन बीत जाने केबावजूद कमियां जगह-जगह उजागर हो रही हैं। प्रबंधन कमियों की जानकारी के बाद भी अपने दायित्व से पल्ला झाड़ रहा है, वहीं मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य राजनीति में व्यस्त हैं। इससे दर्शकों में न सिर्फ नाराजगी है, बल्कि वे महोत्सव के चार दिन बाकी रहने के बावजूद अभी से उसे फ्लाप शो बता रहे हैं। राज्य सरकार घोषणा के बावजूद मशहूर फिल्मकार स्वर्गीय सत्यजीत राय के चर्चित वृत्तचित्र सिक्किम दिखाने में विफल रही। पहले तो नंदन के सीईओ नीलांजन चटर्जी ने कहा था कि सिक्किम वृत्तचित्र हर हाल में प्रदर्शित किया जायेगा लेकिन जब सिक्किम की अदालत ने रोक लगाने का निर्देश दिया तो वामो सरकार खामोश हो गयी। अब फिर से सिक्किम दिखाने के लिए सरकार ने पहल शुरू की है। संबंधित संस्था को प्रक्रिया के तहत चिट्ठी लिखी दी गयी है। मालूम हो कि महोत्सव के शुरू में सिक्किम की संस्था द आर्ट एंड कल्चर ट्रस्ट के वरिष्ठ पदाधिकारी उगेन चेपल ने कहा था कि उनके पास सिक्किम वृत्तचित्र का कापी राइट अधिकार सुरक्षित है, इसलिए उनकी अनुमति जरूरी है। उन्होंने कहा कि इस बार सरकार का रवैया ठीक नहीं है। उन्होंने कहा कि पूर्ववर्ती महोत्सवों में सबकी राय सुनी जाती थी लेकिन इस बार ऐसा कुछ नहीं दिख रहा है। उल्लेखनीय है कि पहले दिन सिक्किम का एक शो हुआ, जबकि महोत्सव में सात दिन दिखाने का निर्णय किया गया था। बांग्ला फिल्म के समीक्षक डा. संजय मुखर्जी ने तो सिक्किम की सीडी पर सवाल खड़ा किया और कहा कि उसके असली होने में भी संदेह है। गुरुवार को जापान के नामचीन निर्देशक कुरुसावा की वर्ष 1985 में प्रदर्शित फिल्म रैन रवींद्र सदन प्रेक्षागृह में दिखायी जा रही थी। कुछ देर बाद प्रोजेक्टर में गड़बड़ी आ गयी। काफी देर तक दर्शक इंतजार करते रहे बावजूद उसके प्रबंधन ने क्षमायाचना नहीं की। इस बीच दर्शकों का मन बहलाने के लिए हिन्दी व बांग्ला के गाने दिखाये गये, जिससे नाराज दर्शक हाल से बाहर निकल गये। शुक्रवार को वियतनामी फिल्म द लीजेंड इज एलाइव फिल्म दिखायी जा रही थी, तभी स्क्रीन पर गड़बड़ी देखी गयी। वियतनामी फिल्म के बदले भारतीय फिल्म लाइफ गोज आन दिखायी गयी। इससे नाराज दर्शक उत्तेजित हो गये और आयोजक को जमकर कोसा। इसी तरह की गड़बडि़यां अन्य प्रेक्षागृहों में भी देखी जा रही हैं। महोत्सव के पदाधिकारी नीलांजन चटर्जी अपनी जिम्मेदारी से पीछे हट रहे हैं और सरकार भी चुप है(दैनिक जागरण,सिलीगुड़ी,15.11.2010)।

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