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Monday, May 3, 2010

नक्सलियों का नारा बना गुलज़ार का गीत

चेन्नई के स्टूडियो में तैयार और केरल के जंगलों में फिल्माई गई एक धुन छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित इलाकों में नक्सलियों के प्रशिक्षण शिविरों में मार्चिंग गीत बन गई है। गीतकार गुलजार को शायद यह इल्म भी नहीं होगा कि मणिरत्नम की जल्दी ही आने वाली फिल्म "रावण" के लिए लिखा गया उनका गीत नक्सलियों का नया नारा बन जाएगा। फिल्म में अभिषेक बच्चन पर फिल्माया गया गुलजार का लिखा गीत "ठोंक दे किल्ली चलेगा दिल्ली" अब नक्सलियों में जोश भर रहा है। हालाँकि मणिरत्नम का दावा है कि "रावण" रामायण का आधुनिक रूपांतरण है, लेकिन यह सिर्फ फिल्म पर राजनीतिक विवाद न खड़ा हो, इसका आवरण है। यह फिल्म दरअसल माओवाद को नक्सलियों के नजरिए से लोगों के सामने पेश करने की कोशिश नजर आती है।

इसे संयोग कहा जाएगा कि कभी कथित रूप से इंदिरा गाँधी पर "आँधी" फिल्म बनाकर विवाद में फँस चुके गुलजार के इस गीत में राजधानी दिल्ली की जमकर खिल्ली उड़ाई गई है। बिना नाम लिए सोनिया गाँधी की तरफ भी इशारा है। गीत में नक्सलियों को एक दूसरे से दिल्ली चलने की बात कहते हुए दिखाया गया है और दिल्ली की गिल्ली उड़ा देने की बात भी कही गई है। गाने में दिल्ली को झूठी सच्ची और ऐसी मक्कार सहेली बताया गया है, जिसमें कूट-कूट कर कपट भरा है। नक्सलियों को यह गाना इसलिए भी भा रहा है कि इसमें सीधे- सीधे अपना हिस्सा लेने की बात कही गई है।

गाना जब एआर रहमान के संगीत पर मचलता हुआ सुखविंदर सिंह की आवाज में अपने शबाब पर पहुँचता है तो उसके बोल होते हैं "सदियों से चलता आया है ऊँच नीच का किस्सा, अबकी बार हिसाब चुका दे छीन के लेले अपना हिस्सा।" यह गीत हिंदी और तमिल दोनों में है।
(नई दुनिया,रायपुर संस्करण,3.5.2010 में मुंबई से पंकज शुक्ल की रिपोर्ट)

यही खबर पंकज जी के ब्लॉग पर और विस्तार से उपलब्ध है। क्लिक करें।

2 comments:

  1. शुक्रिया राधारमण..पूरी ख़बर के लिए नीचे दिए लिंक पर क्लिक करें..
    http://thenewsididnotdo.blogspot.com/2010/05/blog-post.html

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  2. शु्क्रिया एक शानदार रिपोर्ट के लिए। आपके ब्लॉग को मैंने इस खबर से लिंक कर दिया है।

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