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Saturday, May 29, 2010

बॉलीवुड में एंट्री का यही है राइट टाइम!

यदि आप बॉलीवुड फिल्मों में मौके की तलाश में हैं, तो यही सबसे सही वक्त है। इन दिनों जिस प्रकार की ऑफ बीट फिल्में बने रही हैं, उनके लिए निर्देशक कहानी के अनुसार चेहरे ढूंढ रहे हैं। एक वक्त था, जब बॉलीवुड में निर्देशकों की नए चेहरों की खोज बड़े सितारों के बेटों और बेटियों तक जाकर ठहर जाती थी। लेकिन अब वक्त बदल गया है। इंडस्ट्री के कुछ नामी निर्देशकों ने हाल में बिल्कुल नए और गैर-फिल्मी चेहरों को अपनी फिल्म का नायक बनाया है। यदि ऐसा नहीं है, तो वे ऐसे चेहरे चाह रहे हैं, जो उनकी कहानी के अनुरूप हों। न कि किसी सितारे की संतान। आशुतोष गोवारिकर, मधुर भंडारकर, महेश भट्ट और कुणाल कोहली ऐसे ही निर्देशक हैं। गोवारिकर इन दिनों अपनी अगली फिल्म बुद्ध के लिए नया चेहरा इंटरनेट पर ढूंढ रहे हैं। फिल्म के लिए उनके पास 3700 चेहरे आ चुके हैं। इसी प्रकार महेश भट्ट भी अपनी नई फिल्म के लिए दो नायक और एक नायिका ट्विटर पर ढूंढने में लगे हुए हैं। इसके पहले भट्ट ने हाल में अपनी एक फिल्म के लिए गैर-फिल्मी पृष्ठभूमि वाले, दिल्ली विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र इमरान जैदी को हीरो चुना। जैदी को लेकर वह जेएनयू के छात्र नेता चंद्रशेखर की हत्या पर फिल्म बना रहे हैं। अक्टूबर में फिल्म की शूटिंग शुरू होगी। कुछ महीनों पहले सलमान खान के अपोजिट फिल्म वीर से करियर शुरू करने वाली जरीन खान का भी कोई फिल्मी बैकग्राउंड नहीं है। इसी प्रकार हाल में आई बदमाश कंपनी के वीर दास का भी बॉलीवुड में कोई गॉड फादर नहीं था। पिछले दिनों फिल्म लाहौर से अनहद शर्मा ने अंतरराष्ट्रीय ख्याति पाई। वह कहते हैं, नए लोगों के लिए बॉलीवुड में आने का यह बिल्कुल सही समय है। यहां हर तरह की फिल्में बन रही हैं और कहानी की मांग के अनुरूप नए चेहरों की जरूरत है। अनहद दिल्ली में ही पले-पढ़े हैं और बॉलीवुड में अपने सपने पूरे करने के लिए मुंबई चले गए। निर्देशक कुणाल कोहली ने हाल में ट्विटर पर कहा है कि वह अपनी सैफ अली खान के साथ बन रही फिल्म के लिए नया चेहरा ढूंढ रहे हैं। हाल में यशराज फिल्म्स ने दिल्ली के रणवीर सिंह को अनुष्का शर्मा के अपोजिट लिया है। रणवीर का कोई फिल्मी बैकग्राउंड नहीं है(दैनिक जागरण,राष्ट्रीय संस्करण,29.5.2010 से)।

1 comment:

  1. विचारणीय व सराहनीय प्रस्तुती |

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