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Monday, August 23, 2010

छत्तीसगढ़ में सेंसर बोर्ड की मांग

छत्तीसगढ़ी फिल्मों की बूम के बाद अब राज्य में फिल्म सेंसर बोर्ड की स्थापना की जरूरत महसूस की जा रही है। छॉलीवुड बिरादरी चाहती है कि राज्य सरकार इसके लिए जोरदार पहल करे।

राज्य बनने के बाद साल में ले देकर दो फिल्मे ही बनती थीं लेकिन अब हर साल 10-12 फिल्में बन रही हैं। वर्तमान में करीब दो दर्जन फिल्में निर्माणाधीन हैं। छत्तीसगढ़ी गीतों के एलबम और सीरियल भी बन रहे हैं। बड़े मार्केट की संभावना को देखकर बॉलीवुड का आकर्षण भी छत्तीसगढ़ी फिल्मों की ओर बढ़ रहा है। इस वजह से छत्तीसगढ़ी फिल्मों की संख्या में इजाफा होने की संभावना है।

छत्तीसगढ़ी फिल्म एसोसिएशन के अध्यक्ष योगेश अग्रवाल ने करीब डेढ़ साल पहले राज्स सरकार को पत्र लिखकर सेंसर बोर्ड के गठन की मांग की थी। हालांकि अब तक बात आगे नहीं बढ़ी। फिल्म निर्माताओं का कहना है कि स्थानीय कलाविदों के बोर्ड में होने से फिल्म की आत्मा पर कैंची नहीं चल सकेगी। उन्हें पता होगा कौन सा दृश्य या संवाद छत्तीसगढ़ी माटी की सुगंध से ओतप्रोत है। मुंबई सेंसर बोर्ड में छत्तीसगढ़ी के जानकार नहीं होने की वजह से खासी परेशानी हो रही है।

मुंबई-कोलकाता का चक्कर नहीं लगाना पड़ेगा : राज्य में सेंसरबोर्ड की स्थापना नहीं होने से फिलहाल ज्यादातर प्रोडच्यूसर फिल्में मुंबई सेंसर बोर्ड से पास करवाते हैं। दिल्ली और कोलकाता में भी सेंसर बोर्ड हैं। रायपुर में बोर्ड बन जाने पर वहां तक जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। माह भर का काम हफ्ते भर में हो जाएगा। सेंसर बोर्ड की 10 हजार व 11 हजार रुपए की दो फीस का भी प्रोडच्यूसर भुगतान करते हैं। फिल्म टाइम लैंथ पर प्रति 10 मिनट पर हजार रुपए भी देना पड़ता है। आने-जाने, होटल आदि के खर्च भी बचेंगे।

प्रक्रिया क्या है: राज्य सरकार केंद्रीय सूचना एवं प्रासरण विभाग के फिल्म प्रभाग को सेंसर बोर्ड के गठन के लिए पत्र लिखेगी। पत्र में क्षेत्रीय फिल्मों के निर्माण की रिपोर्ट होगी। सरकार की अनुशंसा पर केंद्र विचार करेगा। सभी परिस्थितियां अनुकूल होने पर राज्य के संसदीय विभाग के अधीन बोर्ड के गठन को मंजूरी देगा। कम से कम सदस्यों को जो फिल्म, कला, संस्कृति आदि से जानकार होंगे बोर्ड में नामित किया जाएगा।

इसलिए बनना चाहिएः

> प्रोडच्यूसरों का श्रम व खर्च बचेगा
> समय पर फिल्में रिलीज होंगी
> स्थानीय कलाविदों को बोर्ड में मौका मिलेगा
> गैरजरूरी चीजों पर ही कैंची चलेगी(दैनिक भास्कर,रायपुर,23.8.2010)

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