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भोजपुरी फिल्मों में कुछ नया करने के जोश के साथ नीतू चंद्रा ने देसवा की कहानी लिखी है। वही इसका निर्देशन भी कर रही हैं। नितिन मानते हैं कि भोजपुरी फिल्में अपनी सांस्कृतिक और सामाजिक अस्मिता को कायदे से पर्दे पर नहीं ला पा रही हैं । ज्यादातर भोजपुरी फिल्में एक जैसे विषय और नाच-गाने तक सिमटी रहती हैं जबकि पूरा भोजपुरी भाषी प्रदेश बदल रहा है।
नई समस्याएं पैदा हो रही हैं तो युवकों के मन में नए इरादे पनप रहे हैं। बिहार के तीन प्रतिनिधि युवकों को लेकर उन्होंने देसवा की कहानी बुनी है । नीतू ने बताया कि वे खुद भी इस फिल्म में दिखेंगी लेकिन अपने उन्होंने अपने रोल के बारे में कुछ भी नहीं बताया(नई दुनिया,दिल्ली,1 जून,2010)।
hmoesick ness
ReplyDelete...बहुत खूब !!!
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