स्वागत

Friday, June 4, 2010

बिन रावण के सजी है लंकाःचंद्रकांत शिंदे

सीता का अपहरण कर रावण उसे लंका ले गया था क्योंकि वह लंका का राजा था। सीता को उसने लंका में रखा और इसी वजह से उसने अपना राज भी खोया। उसी लंका में देश के चर्चित आइफा पुरस्कारों की धूम मची है लेकिन इस पूरे समारोह में से "रावण" यानी अभिषेक बच्चन नदारद हैं। आइफा में हमेशा नई और बड़ी फिल्म का प्रचार किया जाता हैं। आइफा के ब्रांड एम्बेसडर अमिताभ बच्चन हैं । उनके बेटे और बहू की फिल्म रावण जल्द ही प्रदर्शित होने वाली है लेकिन आइफा में उसका कहीं भी जिक्र नहीं हैं। बिना रावण के ही श्रीलंका में फिल्म समारोह की धूम मची हुई है।

आइफा पुरस्कार समारोह का यह ग्यारहवां वर्ष है । इस बार यह समारोह कोलंबो में हो रहा है। कोलंबो हवाईअड्डा पर उतरते ही श्रीलंका सरकार की आवभगत ने दिल जीत लिया। रास्ते भर में आइफा समारोह के भव्य बैनर लगे थे। गुरुवार को आइफा में आयोजित कार्यक्रमों की जानकारी देने के लिए हुए कार्यक्रम में नील मुकेश, रितेश देशमुख, बोमन ईरानी, शर्मन जोशी, दिया मिर्जा, जैकलीन फर्नांडिस आदि ने हिस्सा लिया। इस मौके पर श्रीलंका के आर्थिक विकास विभाग के उप मंत्री लक्ष्मण यापा अबेयवर्धन विशेष रूप से उपस्थित थे।

शनिवार को होने वाले माइक्रोमैक्स आइफा पुरस्कार समारोह में ऋतिक रोशन, सलमान खान, बिपाशा बसु,दीपिका पादुकोण, सैफ अली, करीना कपूर, रितेश देशमुख, विवेक ओबेरॉय, जैकलीन फर्नांडिस आदि कलाकार हिस्सा लेने वाले हैं। शो को होस्ट करने वाले हैं रितेश देशमुख और बोमन ईरानी। बच्चन परिवार की कमी इस बार पूरे माहौल में महसूस हो रही थी। बिना रावण के लंका का यह समारोह कुछ अजीब सा लग रहा था। मुख्य समारोह के अलावा आइफा फैशन शो,आइफा ग्लोबल बिजनेस फोरम, फिल्म वर्कशॉप और फैशन एक्स्ट्रावेगांजा का आयोजन भी किया गया है।

दत्त और बिपासा बसु के अभिनय से सजी फिल्म "लम्हा"को पहली बार आइफा में दिखाया गया। राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता और फिल्म निर्माता-निर्देशक राहुल ढोलकिया ने फिल्म में संजय दत्त और बिपासा बसु द्वारा निभाई गई जो़ड़ी को दिखाया। फिल्म कश्मीर मुद्दे की पृष्ठभूमि पर बनी है। फिल्म में संजय दत्त और बिपासा के अलावा अनुपम खेर और कुणाल कपूर की भी प्रमुख भूमिका है। संजय दत्त ने कहा कि फिल्म संचार चैनलों की समस्याओं को हल करने की आवश्यकता के बारे में बात करती है। अलगावादी नेता की भूमिका के बारे में बिपाशा ने कहा कि कश्मीरी ल़ड़की स्वतंत्रता चाहती है। वह फिल्म में ३१वर्षीय ठेठ कश्मीर की कली नहीं है। बल्कि वह क्या चाहती है,इसके लिए वह ल़ड़ सकती है(नई दुनिया,दिल्ली,4 जून,2010)।

No comments:

Post a Comment

न मॉडरेशन की आशंका, न ब्लॉग स्वामी की स्वीकृति का इंतज़ार। लिखिए और तुरंत छपा देखिएः