बांग्ला और हिन्दी फिल्म संगीत की जानी-मानी शख्सियत हेमंत कुमार न सिर्फ मौसीकी के माहिर बल्कि बेहतरीन फिल्म निर्माता भी थे। बांग्ला भाषा के अनेक ग़ैर-फिल्मी एल्बम को सुर देने वाले कुमार ने कई मशहूर हिन्दी गीतों को भी अपनी पुरअसर आवाज़ दी। साथ ही उन्होंने एक ऐसी फिल्म का निर्माण भी किया जिसे राष्ट्रपति के स्वर्ण पदक से नवाज़ा गया।
फिल्म समीक्षक ज्योति वेंकटेश के मुताबिक हेमंत कुमार अपने दौर के सबसे प्रतिभाशाली फनकारों में से थे। संगीत की नब्ज़ का मिजाज़ समझने में दक्ष इस कलाकार को रवींद्रसंगीत का विशेषज्ञ भी माना जाता था।
उन्होंने बताया कि कुमार ने 1959 में हेमंत-बेला प्रोडक्शंस के बैनर तले नील अक्षर नीचे फिल्म बनाई। मृणाल सेन द्वारा निर्देशित इस फिल्म को भारत सरकार के सबसे बड़े फिल्म सम्मान राष्ट्रपति के स्वर्ण पदक से नवाज़ा गया।
उन्होंने बताया कि कभी बॉलीवुड अभिनेता देव आनंद की आवाज़ कहे जाने वाले कुमार ने साल 1954 में बनी फिल्म 'नागिन' में संगीत दिया। यह फिल्म बेहद कामयाब हुई और इसकी सफलता का ज़्यादातर श्रेय उसके संगीत को दिया गया।
कुमार को इस फिल्म के लिए साल 1955 के सर्वश्रेष्ठ संगीतकार के फिल्म फेयर अवार्ड से नवाज़ा गया।
कुमार ने मुख्य रूप से 'आनंद मठ', 'अंजान', 'दो दिल', 'एक ही रास्ता', 'हमारा वतन', 'हम भी इंसान हैं', 'जागति', 'राहगीर' और 'उस रात के बाद' फिल्मों को संगीत से सजाया।
कुमार मुख्य रूप से बांग्ला संगीतकार थे और उनके ज़्यादा बांग्ला गीत बेहद लोकप्रिय हुए। बांग्ला गीतकार गौरीप्रसन्ना मजूमदार के साथ उनकी खास जुगलबंदी थी और इस जोड़ी ने बांग्ला सिनेमा और संगीत को उसके स्वर्णिम युग में पहुंचाया।
साल 1980 में कुमार को दिल का दौरा पड़ा जिससे उनकी गायन क्षमता भी प्रभावित हुई। ख़ासतौर से सांस पर नियंत्रण में उन्हें दिक्कतें होने लगीं लेकिन इस कलाकार ने अपनी इच्छाशक्ति के बलबूते इस कमज़ोरी पर काफी हद तक काबू पा लिया।
सितम्बर 1989 में कुमार माइकल मधुसूदन अवार्ड लेने के लिए ढाका गए और वहां उन्होंने एक कार्यक्रम भी पेश किया। अपनी उस यात्रा से लौटने के फौरन बाद उन्हें एक बार फिर दिल का दौरा पड़ा और 26 सितम्बर 1989 को इन फनकार ने दुनिया को अलविदा कह दिया।(Hindustan,15.6.2010)
इसमें दो राय नहीं कि हेमंत कुमार जितनी गायकी में माहिर थे उतनी ही दखल उनकी फिल्म निर्माण के विभिन्न पहलुओं पर भी थी। हेमंत कुमार ने बॉलीवुड में अपना जो योगदान दिया है उसे कला जगत के लोग आसानी से नहीं भुला पाएंगे।
ReplyDeleteआज सोलह जून को उनका जन्म दिन भी है...
ReplyDeleteहेमंत दा को नमन...
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