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Tuesday, June 8, 2010

इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में 'सिसकियां'

हम चाहते थे कि कोई ऐसी फिल्म बनाए जिससे हम लोगों की आवाज भी उठा सके। इसलिए हमने सिसकियां बनाई। यह कहना था चंडीगढ़ के एसडी कॉलेज सेक्टर 32 के स्टूडेंट प्रतीक शर्मा का। प्रीतक और उसके स्टुडेंट्स ने मिलकर दो डॉक्यमेंट्री बनाई हैं। पहली सिसकियां और दूसरी लेस्ट वी फॉरगेट कारगिल। यह डॉक्यूमेंट्रीज़ जयपुर में हुए इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में भी दिखाई गईं। इन स्टूडेंट्स ने डॉक्यमेंट्रीज़ के दौरान अपने अनुभव को भास्कर के साथ सांझा किया।

लोगों की सिसकियां

डॉक्यूमेंट्री कैंसर के मरीजों पर आधारित है। इसे बठिंडा के पास के चार गावों में शूट किया गया। डॉक्यूमेंट्री में दिखाया गया कि फसलों में जो कीटनाशक डलते हैं उससे पीने का पानी पर प्रदूषित हो जाता है। गांव वाले इस कीटनाशक पानी को पीने के लिए मजबूर हैं। इससे उन्हें कैंसर हो रहा है। ज्यादतर महिलाओं को स्तन कैंसर और बच्चों को बोन कैंसर हो रहा है। ज्यादातर लोग गरीब हैं और पीने का पानी उबालते हैं तो कुछ दिनों में बर्तन नीचे से पूरा काला हो जाता है।

ऐसे में हर घर में कोई न कोई कैंसर से पीड़ित है। कैंसर के मरीजों की इंटरव्यू ली तो पता लगा कि सरकारी दावे तो कई बार हुए लेकिन जमीनी सच्चई यह है कि इनकी सिसकियां सुनने वाला कोई नहीं है और आज भी यह लोग प्रदूषित पानी पीने का मजबूर हैं।

कैंसर से कई मौतें हो चुकी हैं और बठिंडा से बीकानेर ट्रेन जाती है जिसमें वहां के कैंसर मरीज इलाज के लिए जाते हैं। इस ट्रेन का नाम ही लोगों ने कैंसर ट्रेन रख दिया है। गौरतलब है कि बीकानेर में कैंसर स्पेशलिस्ट अस्पताल है। 10 मिनट की यह डॉक्यूमेंट्री 6 घंटे की बनी थी और एडिटिंग करने में एक महीना लग गया। (गौरव भाटिया/रविंदर,दैनिक भास्कर,दिल्ली,8 जून,2010 )।

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