स्वागत

Saturday, January 9, 2010

प्यार इंपॉसिबलःसमीक्षा

यंगस्टर्स के लिए कुछ-कुछ पॉसिबल
प्यार इम्पॉसिबल

कलाकार : प्रियंका चोपड़ा , उदय चोपड़ा , डीनो मोरिया , अनुपम खेर
निर्माता , स्क्रिप्ट : उदय चोपड़ा
डायरेक्टर : जुगल हंसराज
संगीत : सलीम सुलेमान
सेंसर सर्टिफिकेट : यू / ए
अवधि : 140 मिनट।
हमारी रेटिंग : **1/2

पिछले साल से एक अदद हिट तलाश रहे यशराज बैनर की हाल ही की फिल्म रॉकेट सिंह तो कुछ खास नहीं कर पाई और अब उदय चोपड़ा की इस फिल्म से भी कोई चमत्कार की उम्मीद नहीं है। दरअसल , उदय ने इस फिल्म को टीनएजर्स की पसंद को ध्यान में रखकर बनाया है , लेकिन मुश्किल यह है कि इस क्लास को भी पूरी तरह से टिकट खिड़की तक खींचने का कोई मसाला इसमें मौजूद नहीं है। फिल्म के प्रोमो कहते हैं कि फिल्म कॉलेज कैंपस के आसपास घूमती है , लेकिन फिल्म देखकर पता चलता है कि यह कहानी एक ऐसी प्रेमी की है जिसने अपने कॉलेज की सबसे खूबसूरत लड़की से प्यार तो किया , लेकिन उसे बयां नहीं कर पाया। यहां तक भी रहता तो ठीक था , लेकिन यहां अनमना सा ट्विस्ट तब आता है जब प्रेमी महोदय करीब सात साल बाद उसी लड़की से विदेश में मिलते हैं , जो अब छह साल की बच्ची की मां है और पति से तलाक ले चुकी है।

कहानी : विदेश में पढ़ाई करने पहुंचे अभय शर्मा ( उदय चोपड़ा ) को पहली ही नजर में कॉलेज की सबसे खूबसूरत लड़की आलिशा ( प्रियंका चोपड़ा ) से प्यार हो जाता है। अभय जानता है वह उसके सामने कहीं भी नहीं टिकता। कहां खुले खयालात वाली फैशनेबल लड़की , जो खुली हवा में दोस्तों के साथ एंजॉय करना पसंद करती है और कहां एक सीधा - सादा लड़का जो सिर्फ पढ़ाई के लिए ही कॉलेज पहुंचा है। अपने दिल की बात वह सिर्फ अपने पापा ( अनुपम खेर ) के साथ शेयर करता है। खैर , चंद सालों बाद सॉफ्टवेयर इंजीनियर अभय एक ऐसा सॉफ्टवेयर बनाता है , जिसे सिद्धार्थ सिंह ( डीनो मारिया ) चुराकर सिंगापुर की एक कंपनी को बेचने की कोशिश में है। अभय अपने डैड के कहने पर सिद्धार्थ की तलाश में सिंगापुर पहुंचा है और वहां उसकी मुलाकात होती है आलिशा से , जो उसी कंपनी में पीआर है , जहां सिद्धार्थ सॉफ्टवेयर बेचने पहुंचा है।

ऐक्टिंग : नील एंड निक्की के लंबे अरसे बाद इस फिल्म में नजर आए उदय अपनी भूमिका में ठीकठाक लगे हैं। वहीं , प्रियंका कुछ ज्यादा ही बोल्ड नजर आई हैं। बेटी की मां होने के बावजूद , पूरी फिल्म में उन्होंने अपनी ब्यूटी के जलवा बिखेरे हैं। डीनो फिल्म में विलेन बनकर रह गए , तो बेबी अदविका का जवाब नहीं।

म्यूजिक : सलीम सुलेमान का संगीत कहानी के साथ - साथ सही चाल में चलता है। प्रियंका और उदय पर फिल्माया मेरे जैसा कोई कहां और क्लाइमैक्स में फिल्माया टाइटिल सांग कानों को हरकत देता है। टीनएजर्स में फिल्म का संगीत पहले से ही लोकप्रिय है।

डायरेक्शन : इससे पहले एनिमेशन फिल्म रोड साइड रोमियो बना चुके जुगल हंसराज ने पिछली फिल्म से कुछ बेहतर किया है। लेकिन फिल्म में कुछ सवाल बिना जवाब के ही रह गए हैं। डिनो कहां से आए और कौन हैं , प्रियंका की मैरिज टूटने का राज तो डायरेक्टर ने आखिर तक नहीं खोला है। वैसे , उदय चोपड़ा की लिखी हुई यह स्क्रिप्ट शुरुआत में बोझिल ही कही जाएगी।

क्यों देखें : प्रियंका चोपड़ा की हॉट ब्यूटी और उदय को ऐसे रोल में देखने के लिए जो सिर्फ उनके लिए ही था , आप थिएटर पहुंच सकते हैं। वैसे , फैमिली क्लास के लिए फिल्म में कुछ नहीं।
(चंद्र मोहन शर्मा,नभाटा,9 जन.,2010)






(नई दुनिया,9 जन.,2010)

No comments:

Post a Comment

न मॉडरेशन की आशंका, न ब्लॉग स्वामी की स्वीकृति का इंतज़ार। लिखिए और तुरंत छपा देखिएः