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Saturday, February 27, 2010

तीन पत्तीःफिल्म-समीक्षा


(नई दुनिया,दिल्ली,27.2.10)
कलाकार : अमिताभ बच्चन , सर बेन किंग्सले , आर माधवन , शरद कपूर बेन किंग्सले सिद्धार्थ, श्रद्धा कपूर, वैभव कपूर, पंकज झा
निर्माता : अंबिका हिंदूजा
डायरेक्टर : लीना यादव
गीत : इरफान सिद्दिक, आसिफ अली बेग
संगीत : सलीम सुलेमान
सेंसर सर्टिफिकेट : यू /
अवधि : 209 मिनट
रेटिंगः**1/2
इस फिल्म की डायरेक्टर लीना यादव का नाम करीब पांच साल पहले आई फिल्म ' शब्द ' के साथ जुड़ा है। संजय दत्त और ऐश्वर्या रॉय जैसे नामी स्टार्स को लेकर लीना ने करीब पांच साल पहले भी एक नया प्रयोग किया था , लेकिन उस वक्त दर्शकों ने इसे स्वीकारा नहीं। हां , इस बार मामला कुछ बदला हुआ है , बेशक लीना ने फिर बिकाऊ स्टार कास्ट का सहारा लिया है लेकिन कहानी में कुछ नयापन भी पेश करने की कोशिश की है। दरअसल , बॉलिवुड में जुए को बेस बनाकर ढाई घंटे की फीचर फिल्म बनाने का ट्रेंड अभी पनप नहीं पाया है। हॉलिवुड में यही ट्रेंड बरसों से चल रहा है और पसंद किया जाता है वहीं हमारे यहां बी , सी सेंटरों के अलावा छोटे शहरों के सिनेमाघरों में ऐसी फिल्म चलने के चांस कम होते है।

कहानी : इस फिल्म की कहानी का प्लॉट दो साल पहले आई हॉलिवुड फिल्म 21 के काफी करीब है। जाने - माने मैथमेटिशन वेकंट सुब्रह्माण्यम ( अमिताभ बच्चन ) को शिकवा है कि उनकी इस आर्ट की कोई कद नहीं है। वेकंट ने जब भी अपनी गणित से जुड़ी कोई रिसर्च आला अधिकारियों को भेजी , हर बार उसे निराशा हाथ लगी। लेकिन वेकंट तीन पत्ती के खेल में खुद को परफेक्ट पाता है , हर बाजी को जीतने की आर्ट उसमें है। वेकंट के साथ कॉलेज का प्रोफेसर शांतनु बिश्वास ( आर माधवन ) और कॉलेज के कुछ ऐसे स्टूडेंट शामिल हैं जिन्हें रातोंरात पैसा बनाना है। भले ही वे सब पहली गेम में करोड़पति बन जाते हैं , लेकिन इसके बाद इनकी जिंदगी में भूचाल जाता है।

स्क्रिप्ट : फिल्म की स्क्रिप्ट में कोई नयापन नहीं है। अच्छा होता कि लीना मुंबई और छोटे शहरों के बीच तेजी से पनपते जुए के अड्डों पर कोई ऐसी फिल्म बनाती जिसमें समाज के लिए कोई संदेश होता। वैसे , कहानी के आखिर में जुए को बुरा और इंसान को बर्बाद करने वाला गेम साबित करने की कोशिश की गई है , लेकिन डायरेक्टर का यह मेसेज आम दर्शक की समझ में इसलिए नहीं सकता कि क्योंकि सर बेन किंग्सले और बिग बी के बीच के सभी संवाद अंग्रेजी में हैं।

एक्टिंग : इस फिल्म में बॉलिवुड और हॉलिवुड की दो ग्रेट हस्तियां है , लेकिन यह नहीं कहा जा सकता कि डायरेक्टर ने इनसे बेहतर काम लिया। बिग बी इससे पहले भी कई बार ऐसे लुक और रोल में नजर आए तो बाकी किसी कलाकार के हिस्से में ऐसा बड़ा रोल नहीं था जो कुछ कर पाता। हां , आर माधवन ने स्टार्स की लंबी चौड़ी भीड़ के बीच अपनी मौजूदगी का एहसास कराया है। शक्ति कपूर की बेटी श्रृद्धा कपूर ने इस फिल्म के साथ करियर की शुरुआत की लेकिन फिल्म में उसके करने के लिए कुछ था ही नहीं जो वह अपनी प्रतिभा दिखा पाती।

संगीत : सलीम सुलेमान के संगीत में नयापन या मैलोडी नहीं है जो सुनने में अच्छी लगे। थोड़ा थोड़ा शबाब है , तेरी नीयत खराब है का फिल्मांकन अच्छा बन पड़ा है।

डायरेक्शन : शब्द के करीब पांच साल बाद निर्देशन में लौटी लीना ने एकबार फिर निराश किया। सेक्सी दृश्यों और बेवजह के एक्शन सीन कहानी में फिट करने के चलते स्क्रिप्ट से भटक गईं।

क्यों देखें : अगर तीन पत्ती के शौकीन हैं और किसी हारी हुई बाजी को जीतने की जुगाड़ में लगे हैं तो यह फिल्म आपके लिए हो सकती है।
(चंद्र मोहन शर्मा,नभाटा,दिल्ली,26.2.10)
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बॉलीवुड में बदलाव की बयार सी बह रही है और कुछ हटकर अलग मानदंडो पर फिल्में आ रहीं है, नई फिल्म तीन पत्ती भी बहुत कुछ ऐसे ही बदलाव का सकेंत है। तीन पत्ती की पटकथा चालू बॉलीवुड की फिल्मों से थोड़ी सी अलग सी है और फिल्म की निर्देशक लीना यादव ने एक प्रयोगशील सिनेमा की फिल्म बनाने का प्रयास किया है। घटनाओं को फ्लैश बैक और वर्तमान के साथ जिस तरह से फिल्माया गया है वह बेहद उम्दा है और सिनेमैटोग्राफी का बेहतरीन प्रयोग फिल्म की रोचकता को बढ़ाने वाला है।

अमिताभ बच्चन ने व्यंकट के किरदार के रुप में शानदार अभिनय किया है लेकिन कुछ संवादों में जीवंतता का अभाव झलकता है। दूसरी ओर बेन किंग्सले जैसे अभिनेता के लिए फिल्म में रोल और खास बनाया जा सकता था।। किंग्सले का जो किरदार है वह कुछ कमजोर सा है और इसके लिए फिल्म की निर्देशक लीना यादव को जिम्मेदार ठहराया जा सकता है। शब्द जैसी फिल्म से शुरुआत करने वाली लीना यादव ने इस फिल्म में युवा कलाकारों को भरपूर अवसर दिया है और सफलता के टोटके के लिए बेहद हॉट सांग भी फिल्माया गया है।

जीवन का गणित जादू से कम नहीं होता,दरअसल जिंदगी का गुणा भाग जादू नहीं एक गणित है और फिल्म निर्देशक लीना यादव की नई फिल्म तीन पत्ती का पहला पत्ता यहीं कहता है। पैसा बहुत मेहनत से इंसान के हाथ आता है, और जिसके पास पैसा आता है उसके पास पॉवर भी खुद ब खुद आ जाता है। लेकिन जिंदगी के इस खेल में इसके साथ ही संबंधों में भी एक टिवस्ट आता है, एक ऐसा ट्विस्ट जो आपके अपने कारण नहीं बल्कि उस पैसे की ताकत के कारण आता है जिसके पीछे शायद यह धरती भी हाय पैसा पैसा कहते घुम रहीं है। अमिताभ बच्चन और बेन किंग्स ले के अभिनय से सजी तीन पत्ती का दूसरा पत्ता तो यहीं कहता है।

और इस खेल में हर कोई एक ब्लैकमेलर की तरह है। बॉलीवुड की नई फिल्म तीन पत्ती का तीसरा पत्ता तो यहीं कहता है। फिल्म की निर्माता अंबिका हिंदुजा है। अंबिका इससे पहले बींइग सायरस जैसी फिल्म की निर्माता रह चुकी है और इस फिल्म ने कई अवार्ड जीते थे और अंतराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव में बेहद पसंद की गई थी।

तीन पत्ती दरअसल ताश के तीन पत्तो और पोकर गेम की बात करती हुई कुछ अलग अंदाज की थ्रिलर फिल्म है जिसमें भावनाओं का ज्वार भाटा भी है, पैसे के लालच और संबधो का छलकपट भी देखने को मिलेगा। फिल्म में एक गणितज्ञ का ब्यूटीफुल मांइड की कल्पना की परवाज भी है। तीन पत्ती के एक छोर पर भारत का एक महान गणितज्ञ वेंकट अमिताभ बच्चन है जो प्रायिकता के सिंद्धात पर कार्य करते हुए अपने ज्ञान के माध्यम से पोकर गेम के समीकरण को क्रेक करने का खेल खेलता है। लंदन के हाई रोलिंग कैसिनो में वेंकट की मुलाकात संसार के सबसे बड़े गणितज्ञ पर्सी ट्रेचेंटबर्ग बेन किंग्सले से होती है। वेंकट यहीं पर्सी को एक ऐसे समीकरण के बारे में बताता है जिसके कारण गणित के साथ उसके संवाद में बदलाव तो आता ही है और इसके साथ जिंदगी से जुड़े कुछ खास चेंज भी और ग्लानि के कुछ दर्द भरें छड़ भी।

व्यंकट सुब्रमण्यम ताश की दुनियां में पैसा तो नहीं कमाना चाहता लेकिन अपने सोच के जादू के सहारे पोकर गेम के समीकरण को ब्रेक करने की तमन्ना रखता है और इसके लिए वह एक अन्य प्रोफेसर शांतनु माधवन और कुछ शिष्यों की मदद भी लेता है। प्रयोग और पोकर की इस खेल में ऐसा बहुत कुछ होता है जो वेंकट और शांतनु के नियंत्रण से आगे की चीज बन जाता है।

तीन पत्ती एक आधुनिक फिल्म है जिसमें बेन किंग्सले और अमिताभ बच्चन गणित के महान प्रोफेसर के रुप में आपने सामने नजर आएगें। बॉलीवुड के महानायक अमिताभ बच्चन और ऑस्कर अवार्ड विजेता बेन किं ग्सले के अलावा इसमें दक्षिण भारत की फिल्मो के सुपर स्टॉर माधवन के अभिनय से सजी तीन पत्ती का संगीत सलीम सुलेमानी ने तैयार किया है।

तीन पत्ती में साइरा मोहन और राइमा सेन के अलावा बॉलीवुड में नई इंट्री के रुप में धुर्व , श्रद्धा कपूर, वैभव , सिद्धार्थ खेर और वैभव तलवार ने किरदार के साथ न्या करने का प्रयास किया है। बॉक्स ऑफिस पर फिल्म को सफल बनाने के लिए निर्देशिका ने बड़ी स्टॉर कास्ट के साथ बेहद हॉट सांग रखनें में भी संकोच नहीं किंया है, नियत एक ऐसा ही सांग है। कुछ नया देखनें की इच्छा रखने वालें दर्शकों को यह फिल्म पसंद आएगी और हॉलीवुड और बॉलीवुड के दो महान कलाकारों का एक साथ आना दर्शकों को खींच सकता है। दरअसल तीन पत्ती एक कोशिश का नाम है और इस खास और अलग प्रयास के लिए निर्देशिका लीना यादव को आप साधुवाद दे सकतें है।
(राजेश यादव,दैनिक भास्कर,दिल्ली,27.2.10)

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