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Friday, July 23, 2010

भोजपुरी गीतों में अश्लीलता बढ़ी है : अकेला

भोजपुरी गीतों की परंपरा काफी समृद्ध रही है। इस भाषा को विदेशों में भी सम्मान की नजरों से देखा जाता है। मॉरिशस, सूरीनाम व हॉलड जैसे देशों में नब्बे प्रतिशत लोग भोजपुरी भाषा बोलते है। वहां के लोगों का भोजपुरी भाषा और भोजपुरी भाषा बोलने वाले लोगों से काफी लगाव है। भोजपुरी बोलने वाले लोगों में उन्हें अपने पूर्वजो की तस्वीर दिखाई देती है। यह भी सच है कि करीब एक दशक पूर्व से भोजपुरी गीतों की गरिमा पर ग्रहण लगा है। चंद कथित भोजपुरी गायक निजी स्वार्थ के लिए भोजपुरी गीतों के माध्यम से श्रोताओं के बीच अश्लीलता को परोस रहे है। लेकिन अब ऐसे अश्लील गीतों का दौर खत्म होने वाला है। आने वाले चार-पांच वषो में पुन: मधुर भोजपुरी गीतों का दौर शुरू हो जाएगा। प्रसिद्ध लोकगीत गायक अजीत कुमार अकेला से सुजीत कुमार की बातचीतः

आपने गीत-संगीत का सफर कब शुरू किया?
गीत संगीत का सफर हमने वर्ष 1974 से ही शुरू कर दिया था। गायिकी विरासत में नही मिली है। इस मुकाम तक पहुंचने के लिए काफी संघर्ष भी करना पड़ा है। हमने शुरू से ही अश्लीलता से परहेज रखा है। आज जो कुछ भी हूं स्वच्छ और कर्णप्रिय गीतों की बदौलत ही हूं। मेरा पहला भोजपुरी एलबल ‘सुर सजनी’ है जो लोगों के दिलों में जगह बनाने में सफल रहा। इसकी सफलता के बाद फिर हमने मुड़कर नही देखा।

किस एलबम व गीत के बाद आप चर्चा में आए?
‘हमार बैल गाड़ी सबसे अगाड़ी..’ व ‘झामलाल बुढ़वा पीटे कपार हमरा करम में जोरू नही..’ गीत के बाद हम काफी चर्चा में आ गए। इस गाने को विभिन्न आयोजनों के मौके पर लगातार दस वषो तक दूरदर्शन पर दिखाया जाता रहा। मेरे भोजपुरी एलबम ‘मोरी सजनी रे’ का गीत ‘लागे नाही जिअरा हमार..’ और भक्ति एलबम ‘चल कावरिया शिव के धाम’ व ‘हे छठमईया’ भी लोगों द्वारा खूब पसंद किया गया।
भोजपुरी गीतों की गरिमा कम हुई है, आप क्या मानते है?
विगत एक दशक के भीतर भोजपुरी गीतों में अश्लीलता बढ़ी है। नये भोजपुरी गायक कम समय में पैसे और शोहरत कमाने के चक्कर में अपने रास्ते से भटक गए है। भोजपुरी गीतों में अश्लीलता का बढ़ता प्रचलन भोजपुरिया समाज के लिए अशुभ संकेत है। हम चाहते है कि भोजपुरी गीतों की अश्लीलता पर अंकुश लगे।

भोजपुरी फिल्मों में आइटम सॉग की क्या भूमिका है?
भोजपुरी फिल्मों में आइटम सॉग के नाम पर दर्शकों को गुमराह किया जा रहा है। आइटम सॉग के चलते भोजपुरी फिल्म को परिवार के साथ बैठकर नही देखा जा सकता है। बगैर आइटम सॉग के भी भोजपुरी फिल्म सुपर हिट हुई है। आज कल पहले जैसी सामाजिक और साफ-सुथरी फिल्में नही बन रही हैं। आइटम सॉग और अश्लील फिल्मों का बहिष्कार करना चाहिए।

अश्लील गीतों पर अंकुश कैसे लगाया जाए?
गायकों, गीतकारों व एलबम निर्माताओं को अश्लील गीत गाने व एलबम को बाजार में लाने से पहले उसे अपने परिवार वालों को दिखाना चाहिए। अगर उस पर परिवार वालों की सहमति हो तो उसे बाजार में लाया जा सकता है।

आपकी सबसे बड़ी उपलब्धि?
इस बार बीटीबीसी की नवी कक्षा की वर्णिका पुस्तक में हमारा नाम और तस्वीर छापी गयी है। गाने के सिलसिले में कई बार विदेश जाने का भी मौका मिला है। अभी तक लगभग 165 भोजपुरी फिल्मों में गीत गा चुके है और लगभग सौ एलबम बाजार में आ चुके हैं।

भोजपुरी गीत गाने वालो में आपके आदर्श कौन है?
गुरु विद्यानंद प्रसाद, पद्मश्री विंध्यवासिनी देवी व पद्मश्री शारदा सिन्हा व संतराज सिंह रागेश हमारे आदर्श रहे है।

बच्चों को भोजपुरी गीतों का प्रशिक्षण देने की योजना है?
स्कूल में ही बच्चों को भोजपुरी गीत का प्रशिक्षण देते है। कभी-कभी अपने गुरुजी के संगीत केंद्र में योगदान देते है। कितना रियाज करते है आप? रियाज की अब कोई समय सीमा नही रह गयी है।
(राष्ट्रीय सहारा,पटना,23.7.2010)

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