महाराष्ट्र सरकार ने मल्टीप्लेक्स मालिकों और मराठी फिल्म निर्माताओं के बीच झगड़ा बढ़ता देख पूरे विवाद को सुलझाने के लिए दस सदस्यीय समिति गठित करने की घोषणा ही है। इसके साथ ही अब महाराष्ट्र के सभी सिनेमाघर मालिकों को सालभर में मराठी फिल्मों के 122 शो दिखाना अनिवार्य कर दिया गया है। गृह मंत्री आरआर पाटिल से मंगलवार को मल्टीप्लेक्स मालिकों, फिल्म निर्माताओं और वितरकों ने मुलाकात की। इस शिष्ठमंडल में मल्टीप्लेक्स एसोसिएशन के पदाधिकारी प्रकाश चापलकर, अखिल भारतीय मराठी चित्रपट मंडल के अध्यक्ष विजय कोंडके, मराठी फिल्म निर्माता मच्छिंद्र चाटे, निलम शिर्के, अरुण कचरे, गृह विभाग की प्रमुख सचिव मेघा गाडगील और मुंबई, ठाणो व पुणो के पुलिस आयुक्त मौजूद थे।
प्राइम टाइम में दिखाना ही होगा मराठी फिल्म : गृह मंत्री आरआर पाटिल ने विवाद सुलझाने के लिए भले ही मराठी फिल्म निर्माताओं और सिनेमाघर मालिकों के पांच-पांच लोगों की दस सदस्यीय समिति के गठन की घोषणा की मगर उन्होंने अप्रत्यक्ष रूप से प्राइम टाइम में मराठी फिल्म दिखाने का इस दौरान पक्ष लिया।
पाटिल ने दोपहर 12 से रात 9 बजे के किसी एक शो में मराठी फिल्म दिखाने का निर्देश मल्टीप्लेक्सों को दिया है। उन्होंने यह बात मल्टीप्लेक्सों पर छोड़ दिया है कि वे इस समयावधि के बीच कौन से शो में मराठी फिल्म दिखाएंगे। उन्होंने चेतावनी दी है कि यदि जो मल्टीप्लेक्स मराठी फिल्म दिखाने के राज्य सरकार के कानून का पालन नहीं करेंगे, उनके लाइसेंस का नूतनीकरण नहीं किया जाएगा।
तोड़फोड़ करने वालों से नुकसान भरपाई का निर्देश : पाटिल ने बताया कि मल्टीप्लेक्सों में तोड़फोड़ करने वालों से नुकसान भरपाई वसूलने का निर्देश संबंधित जिलाधिकारियों को दे दिया गया है।
उन्होंने लगे हाथ यह भी कहा कि कोई भी नेता मराठी के मुद्दे की आड़ में कानून हाथ में न ले।
बता दें कि इस बैठक में उपस्थित कई मल्टीप्लेक्स मालिकों ने प्राइम टाइम में मराठी फिल्म दिखाने पर हामी भरी, मगर साथ में यह भी कहा कि कई बार फिल्म देखने इतने कम दर्शक आते हैं कि लाइट और एसी का बिल तक भी टिकटी की बिक्री से नहीं वसूल होता है। महत्वपूर्ण है कि रविवार को शिवसेना प्रमुख ने मल्टीप्लेक्सों को मराठी फिल्मों को सस्ते दर पर दिखाने की चेतावनी दी थी। इस मुद्दे पर मंगलवार की बैठक में कोई हल नहीं निकला(दैनिक भास्कर,मुंबई,25.8.2010)।
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ReplyDeleteइस तरह तो ये लोग अपनी नाक कटवा रहे हैं , और लोगों में विद्रोह पैदा कर रहे हैं। ऐसा करके , जोर जबरदस्ती कोई मराठी भाषा का प्रचार -प्रसार नहीं कर सकता।
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