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Sunday, August 15, 2010

आजाद भारत को और नत्था नहीं चाहिए

पीपली लाइव की चर्चा हर जुबां पर है, खासकर महंगाई डायन गाने ने तो हलचल पैदा कर दी है। फिल्म को सामाजिक चेतना जगाने वाली फिल्मों की श्रेणी में रखा जा रहा है। यह फिल्म बतौर निर्माता आमिर खान की चौथी फिल्म है। इससे पहले उनकी फिल्में लगान और तारे जमीं पर भी चर्चा में रही हैं। आमिर परफेक्शनिस्ट हैं तो उनकी फिल्म भी ज्वलंत समस्याओं पर आधारित होती है। देश के किसानों की दुर्दशा पीपली लाइव में देखी जा सकती है। स्वतंत्रता दिवस से दो दिन पहले दर्शकों के सामने पीपली लाइव को परोसने वाले आमिर खान के दिमाग को खंगालने के लिए उनसे मुंबई में रू-ब-रू हुए हमारे विशेष संवाददाता नवीन कु मारः

पीपली लाइव के रिस्पांस से आप खुश हैं?
मुझे खुशी है कि दर्शक पीपली लाइव देख रहे हैं । पीपली लाइव एक सेटायर है जो मध्य भारत के गांवों के चारों ओर घूमता है । इन गांवों की दशा को नत्था के जरिए दिखाने की कोशिश की गई है । पीपली लाइव नॉन स्टार के साथ बनाई है ।

आपको खतरा महसूस नहीं हुआ?
मेरे फिल्म बनाने का तरीका अलग है। मैं बनिए की तरह जोड़-घटाव करके फिल्म नहीं बनाता हूं। दर्शकों का ख्याल रखता हूं । अगर कोई दर्शक टिकट खरीदकर फि ल्म देखने आया है तो उसका मनोरंजन होना चाहिए। एक निर्माता के तौर पर मैं इस बात का पूरा ख्याल रखता हूं । फिल्म से सिर्फ पैसे नहीं कमाए जाते हैं । निर्माता के तौर पर मेरा फर्ज है कि दर्शकों को एक बेहतरीन फिल्म दी जाए।

आपकी फिल्मों से कुछ न कुछ संदेश मिलता है। इसके पीछे सोच क्या है?

सबसे पहली बात मैं कोई सामाजिक कार्यकर्ता नहीं हूं। मैं फिल्म मनोरंजन के लिए बनाता हूं । हां, अगर मनोरंजन के साथ कोई संदेश भी लोगों को मिले तो यह अच्छी बात है ।

आप मानते हैं कि पीपली लाइव एक समानांतर सिनेमा है?

यह मेनस्ट्रीम सिनेमा नहीं है । इसे व्यावसायिक फिल्म भी नहीं कह सकते। लेकिन यह भारतीय सिनेमा के मापदंड पर पूरी तरह से खरी उतरती है ।

अनुषा रिजवी की कहानी को परदे पर देखकर कितना खुश हैं ?

पेपर पर जो था, उसे अनुषा ने स्क्रीन पर उतारा है । इस तरह की एक अच्छी फिल्म से जुड़ने का मुझे मौका मिला। इसलिए मैं खुद को खुशकिस्मत मानता हूं ।

फिल्म के क लाकारों के बारे में क्या क हेंगे?

सचमुच इन कलाकारों ने प्रभावित किया है । मैंने पिछले 20 साल में जितना काम किया है, वह इन कलाकारों के सामने कुछ नहीं है । इनके अभिनय को देखकर मुझे सीखने का मौका मिला है ।

आप भी मानते हैं कि पीपली लाइव में आज के देश का चित्र सा झलकता है?

नजरिया अपना-अपना है। यह अपने नजरिए की बात है कि लोग फिल्म में क्या देखना चाहते हैं ।

आजादी के बाद हमारे देश का यही चेहरा है?

फिल्म देखकर खुद जान लीजिए।

पर अब कि सानों की दुर्दशा पर क्या कहेंगे?

किसानों की हालत बेहतर होनी चाहिए। हमें और नत्था नहीं चाहिए।

इस भूमिका में ओमकार दासा माणिकपुरी आपको कैसे लगे?

ओमकार बेहतर क लाकार हैं और भोलेभाले भी हैं । उन्होंने दीपिका पादुकोन से मिलने की इच्छा जाहिर की थी। दीपिका के अलावा प्रियंका चोपड़ा, सचिन तेंदुलकर और अमिताभ बच्चन से भी मिलकर वह काफी खुश हैं।

आप एक गंभीर निर्माता के रू प में उभर रहे हैं?
यह सच है कि मैं कु छ अच्छी फि ल्में बनाना चाहता हूं और इसके लिए प्रयास कर रहा हूं । मेरे लिए फिल्म ही सब कुछ है । इसलिए मैं फिल्म के जरिए भी कु छ करने की कोशिश करता रहता हूं। पीपली लाइव के लिए अनुषा जब मेरे पास आई थीं तब मैं मंगल पांडे की शूटिंग कर रहा था। शूटिंग के दौरान मैं कहानी नहीं सुनता हूं । अनुषा ने अच्छी पटकथा लिखी थी और वह मेरे लायक पटकथा लगी थी। इसलिए मैंने पीपली लाइव फिल्म बनाई है(हिंदुस्तान,15.8.2010)।

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