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Sunday, August 29, 2010

म्यूजिक कंपनियों की कानूनी कारवाई की योजना

देश की संगीत कंपनियां कॉपीराइट बोर्ड के उस फैसले के खिलाफ कानूनी कारवाई करने पर विचार कर रही हैं जिसमें बोर्ड ने एफएम रेडियो चैनलों द्वारा रॉयल्टी भुगतान को उनकी विज्ञापन आय के दो प्रतिशत पर सीमित कर दिया है।
कंपनियों का कहना है कि बोर्ड के इस आदेश से उन्हें काफी नुकसान होगा। सारेगामा इंडिया के प्रबंध निदेशक अपूर्व नागपाल ने कहा ‘‘हम (म्यूजिक कंपनियां) एक साथ हैं और इस मुद्दे पर मिलकर कानूनी कारवाई करेंगे।’’ हालांकि उन्होंने अपनी योजना के बारे में विस्तार से कुछ नहीं कहा, लेकिन रॉयल्टी भुगतान पर कहा कि एफएम रेडियो चैनल से उन्हें पहले 7 से 8 प्रतिशत तक संगीत रॉयल्टी मिलती थी इसे घटाकर दो प्रतिशत कर दिया गया है। इससे पूरे मनोरंजन उद्योग को नुकसान होगा।

नागपाल ने कहा ‘‘मामला काफी बड़ा है। इससे न केवल संगीत उद्योग प्रभावित होगा बल्कि इसका असर पूरे मनोरंजन उद्योग पर पडेगा। उद्योग को जो रॉयल्टी मिलती थी उसका कुछ हिस्सा लेखकों और संगीत तैयार करने वालों को भी दिया जाता है।’’ सुपर कैसेट्स इंडस्ट्रीज के उपाध्यक्ष (अंतर्राष्ट्रीय व्यावसाय, प्रकाशन एवं डिजिटल) नीरज कल्याण ने भी इसी तरह के विचार व्यक्त किये। उन्होंने कहा कि यह मुक्त व्यापार और अनुबंध की आजादी की समाप्ति है। उन्होंने कहा कि सरकार का यह आंशिक नियंत्रण भेदभावपूर्ण है, संगीत उद्योग के लिये नुकसानदायक होगा, आजाद भारत के इतिहास में यह फिर से अंकुश लगाने जैसा है।

दूसरी तरफ उद्योग जगत का कहना है कि रॉयल्टी दरों में इस कमी को वैश्विक रुझान को देखते हुये सुधार के तौर पर देखा जाना चाहिये। एन्सर्ट एण्ड यंग के एंटरटेनमेंट प्रेक्टिस एसोसियेटस डायरेक्टर अशीषफेरवानी ने कहा ‘‘दुनियाभर में इस तरह की रॉयल्टी को एक से तीन प्रतिशत के बीच कर दिया गया है। इसलिये दो प्रतिशत की रॉयल्टी उचित स्तर है। इससे एफएम रेडिया चैनल और संगीत उद्योग दोनों को दीर्घकाल में फायदा होगा(पीटीआई,29.8.2010)।

1 comment:

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    मुझे भी उद्योग जगत की ही बात उचित लग रही है।
    बढ़िया पोस्ट।
    आभार।
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