हिंदी फिल्मोद्योग जहां अपनी प्रदर्शित फिल्मों से लाभ कमाने के लिए संघर्ष कर रहा है वहीं चार साल पहले की 50 फिल्मों के मुकाबले भोजपुरी फिल्मोद्योग अब प्रतिवर्ष 100 फिल्में दे रहा है और पैसा भी बना रहा है।
फिल्मोद्योग के लोगों का कहना है कि यदि सरकार अपनी मदद बढ़ाए तो ये फिल्में और बेहतर व्यवसाय कर सकती हैं।
'बिहार झारखण्ड मोशन पिक्चर एसोसिएशन' के प्रवक्ता रंजन सिन्हा ने बताया कि हम अब प्रतिवर्ष 100 फिल्में प्रदर्शित कर रहे हैं।
भोजपुरी फिल्मों पर हर साल औसतन 100 करोड़ रुपये खर्च होते हैं और इनसे 125 करोड़ रुपये तक का व्यवसाय होता है।
उन्होंने कहा कि यदि कोई फिल्म सफल नहीं होती है तो भी निर्माता को बहुत ज्यादा नुकसान नहीं होता। उसका घाटा 10 से 15 लाख से ज्यादा नहीं होता है।
उन्होंने बताया कि 2003 में आई फिल्म 'ससुरा बड़ा पैसा वाला' से भोजपुरी फिल्मोद्योग में एक नया मोड़ आया। इसमें मनोज तिवारी ने अभिनय किया है। कभी-कभी उनकी तुलना रजनीकांत से की जाती है।
यह फिल्म 35 से 40 लाख रुपये की लागत से बनी थी और देशभर में इसने अच्छा व्यवसाय किया।
सिन्हा ने बताया, "फिल्म ने बिहार में 1.90 करोड़ रुपये, उत्तर प्रदेश में 1.25 करोड़ रुपये का व्यवसाय किया। देशभर से इसने कुल 4.5 करोड़ रुपये का व्यवसाय किया।"
बिहार और उत्तर प्रदेश में भोजपुरी फिल्मों के दर्शक ज्यादा हैं। मुंबई में इन दोनों राज्यों से आकर बस गए लोगों की संख्या ज्यादा है इसलिए यहां भी दर्शकों की खासी संख्या है।
इसके अलावा पश्चिम बंगाल, पंजाब और गुजरात में रहने वाले उत्तर प्रदेश और बिहार के लोग ये फिल्में खूब देखते हैं।
सिन्हा ने बताया, "बिहार और झारखण्ड में 372 सिनेमा हॉल हैं और इनमें से 180 में भोजपुरी फिल्में प्रदर्शित होती हैं।" मुंबई में 32 सिनेमा हॉलों में भोजपुरी फिल्में दिखाई जाती हैं।
भोजपुरी फिल्मों के शीर्ष पांच अभिनेताओं में मनोज तिवारी, दिनेश लाल यादव निरहुआ, पवन सिंह, रवि किशन और विनय आनंद शामिल हैं। प्रमुख अभिनेत्रियों में रेणुका घोष, मोनालीसा, अनारा गुप्ता, पाखी हेगड़े और रानी चटर्जी शामिल हैं(समय लाईव,28.8.2010)।
फिल्मोद्योग के लोगों का कहना है कि यदि सरकार अपनी मदद बढ़ाए तो ये फिल्में और बेहतर व्यवसाय कर सकती हैं।
'बिहार झारखण्ड मोशन पिक्चर एसोसिएशन' के प्रवक्ता रंजन सिन्हा ने बताया कि हम अब प्रतिवर्ष 100 फिल्में प्रदर्शित कर रहे हैं।
भोजपुरी फिल्मों पर हर साल औसतन 100 करोड़ रुपये खर्च होते हैं और इनसे 125 करोड़ रुपये तक का व्यवसाय होता है।
उन्होंने कहा कि यदि कोई फिल्म सफल नहीं होती है तो भी निर्माता को बहुत ज्यादा नुकसान नहीं होता। उसका घाटा 10 से 15 लाख से ज्यादा नहीं होता है।
उन्होंने बताया कि 2003 में आई फिल्म 'ससुरा बड़ा पैसा वाला' से भोजपुरी फिल्मोद्योग में एक नया मोड़ आया। इसमें मनोज तिवारी ने अभिनय किया है। कभी-कभी उनकी तुलना रजनीकांत से की जाती है।
यह फिल्म 35 से 40 लाख रुपये की लागत से बनी थी और देशभर में इसने अच्छा व्यवसाय किया।
सिन्हा ने बताया, "फिल्म ने बिहार में 1.90 करोड़ रुपये, उत्तर प्रदेश में 1.25 करोड़ रुपये का व्यवसाय किया। देशभर से इसने कुल 4.5 करोड़ रुपये का व्यवसाय किया।"
बिहार और उत्तर प्रदेश में भोजपुरी फिल्मों के दर्शक ज्यादा हैं। मुंबई में इन दोनों राज्यों से आकर बस गए लोगों की संख्या ज्यादा है इसलिए यहां भी दर्शकों की खासी संख्या है।
इसके अलावा पश्चिम बंगाल, पंजाब और गुजरात में रहने वाले उत्तर प्रदेश और बिहार के लोग ये फिल्में खूब देखते हैं।
सिन्हा ने बताया, "बिहार और झारखण्ड में 372 सिनेमा हॉल हैं और इनमें से 180 में भोजपुरी फिल्में प्रदर्शित होती हैं।" मुंबई में 32 सिनेमा हॉलों में भोजपुरी फिल्में दिखाई जाती हैं।
भोजपुरी फिल्मों के शीर्ष पांच अभिनेताओं में मनोज तिवारी, दिनेश लाल यादव निरहुआ, पवन सिंह, रवि किशन और विनय आनंद शामिल हैं। प्रमुख अभिनेत्रियों में रेणुका घोष, मोनालीसा, अनारा गुप्ता, पाखी हेगड़े और रानी चटर्जी शामिल हैं(समय लाईव,28.8.2010)।
भोजपुरी फिल्मों के बारे में अच्छी खबर.
ReplyDeleteभोजपुरी फिल्मों के बारे में अच्छी खबर.
ReplyDeletehttp://sanjaykuamr.blogspot.com/