सिनेमा को दिल से दिल तक का सफर मानने वाले मुजफ्फर अली ने कहा कि फिल्में विदेशों में भी बनती हैं लेकिन एक विजन के साथ। यदि हम अपने यहां की फिल्मों की तुलना विदेशी फिल्मों से करें तो हमारी फिल्में उनसे उन्नीस ही नजर आती हैं।
हमें चाहिए कि हम वहां की फिल्मों की तकनीक को तो एडॉप्ट करें,लेकिन दर्शन हमारा होना चाहिए। हमारे पास एक भी ऐसी फिल्म नहीं है जिससे हिंदुस्तान का सिर ऊंचा हो सके।
भारतीय सिनेमा के बारे में यह उद्गार व्यक्त किए भोपाल आए मशहूर फिल्मकार मुजफ्फर अली ने। उनका मानना है कि आजकल बन रही फिल्में कमर्शियल ज्यादा हैं। इसके साथ ही इनमें विज्ञापनों की बाढ़ आ गई है। फिल्मों से कलाधर्मिता काफी पीछे छूट गई है।
दूरदर्शन में तकनीकी सुधार की जरूरत : उनका कहना है कि दूरदर्शन ही एकमात्र ऐसा चैनल है जिससे हम अपेक्षा रखते हैं। अन्य चैनलों से नहीं रख सकते। लेकिन वर्तमान परिप्रेक्ष्य में दूरदर्शन में तकनीकी और गुणवत्त्ता में सुधार की जरूरत है। मेरी दिली इच्छा है कि ‘स्टेट आर्ट ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट’ लखनऊ और कश्मीर में खुले।
शायरों का रहा प्रभाव : श्री अली के मुताबिक मेरे काम में शायरों का काफी प्रभाव रहा है। फैज मोहम्मद फैज, शहरयार से मैं प्रभावित रहा हूं। मेरा मानना है कि शायरी एक मदर आर्ट के समान है।
‘जूनी’ मेरा महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट : फिल्म ‘जूनी’ में कश्मीरियों की जिंदगी और उनके संस्कृति को दर्शाने का प्रयास कर रहा हूं। मैं दो साल कश्मीर में रहा। उनकी संस्कृति और उन्हें जानने की कोशिश की।
कश्मीरियों को लगता है कि उन्हें कोई नहीं जानता। यह फिल्म उनकी संस्कृति और उनकी बात को कहने में ब्रिज का काम करेगी। यह मेरा महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट है, इसे मैं जरूर पूरा करूंगा।
अब नहीं लड़ूंगा चुनाव : चार बार चुनाव लड़ चुके श्री अली का कहना है कि चुनाव मेरे बस की बात नहीं है। आगे चुनाव लड़ने का कोई इरादा नहीं है।
इस अंजुमन में आना है बार-बार
मुजफ्फर अली को भोपाल के अंजुमन में आना बहुत अच्छा लगता है। उन्हें यहां की तहजीब पसंद है। वे कुछ दिनों पूर्व भी भोपाल आए थे। उन्हें यहां के पटिए कल्चर, लोगों का बिंदासपन काफी भाता है। उनकी भोपाल की जीप और संस्कृति को लेकर फिल्म बनाने की बात स्वीकारी। लेकिन इसके बारे में उन्होंने ज्यादा खुलासा नहीं किया।
उन्होंने कहा कि उनका दूरदर्शन से गहरा संबंध रहा है। दूरदर्शन के स्वर्ण जयंती वर्ष के उपलक्ष्य में आयोजित फिल्म समारोह अपने आप में दूरदर्शन की इस लंबी सफलतम यात्रा का प्रतीक है। इस फिल्म फेस्टिवल में सत्यजीत रे जैसे क्रिएटिव और गहरे विचार वाले निर्देशकों की फिल्मों का आनंद भी दर्शक उठा सकेंगे।
आज सत्यजीत रे जैसी सोच वाले लोगों की कमी है। यह बात रवीन्द्र भवन में दूरदर्शन के चार दिवसीय फिल्म समारोह के शुभारंभ अवसर पर मुख्य अतिथि प्रसार भारती बोर्ड के सदस्य और प्रख्यात निर्देशक मुजफ्फर अली ने कही।
उन्होंने कहा कि इंसान के विकास का माध्यम फिल्में है। फिल्मों का समाज पर गहरा प्रभाव है। फिल्में समाज में बहुत परिवर्तन ला सकती हैं। आवश्यकता है सामाजिक मुद्दों और संवेदनशीलता वाली फिल्मों के निर्माण की। दूरदर्शन का चार दिवसीय फिल्म समारोह 26 से 29 अगस्त तक जारी रहेगा।
(दैनिक भास्कर,भोपाल,27.8.2010)।
No comments:
Post a Comment
न मॉडरेशन की आशंका, न ब्लॉग स्वामी की स्वीकृति का इंतज़ार। लिखिए और तुरंत छपा देखिएः