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Monday, April 19, 2010

फूंक-2:फूंक दो

क्या आपको कौए से डर लगता है? यदि नहीं ,तो रामगोपाल वर्मा आपके लिए लाए हैं फूंक-2। यह फिल्म उन्होंने निर्देशित तो नहीं की है मगर बनी है उन्हीं के बैनर तले । सुदीप, अमृता खानविलकर, नीरू सिंह, एहसास चानना, अश्विनी कलसेकर, अनु अंसारी, गणेश यादव, जाकिर हुसैन, विकास श्रीवास्तव, जीवा और अमित साध के अभिनय वाली इस फिल्म का निर्देशन किया है मिलिंद गदगकर ने जो इस फिल्म के लेखक भी हैं। भुतहा फिल्म है इसलिए पार्श्व संगीतकार का नाम बताना जरूरी है। ये हैं राहुल पंडीरकर।
फिल्म की कहानी वहीं से शुरू होती है जहां पहला संस्करण समाप्त हुआ था। पिछली फिल्म में काले जादू और तंत्र - मंत्र की ताकत से मधु ( अश्विनी कालेसकर ) राजीव ( सुदीप ) की बेटी रक्षा ( अहसास चानना ) को अपने वश में कर लेती है। राजीव एक तांत्रिक की मदद से मधु को उसके अंजाम तक पहुंचाता है। राजीव अब पुराना घर छोड़कर समुद्र किनारे बने बंगले में रक्षा और बेटे रोहन ( रिषभ जैन ), पत्नी आरती ( अमृता खानविलकर ) के साथ नई जिंदगी शुरू करता है। उधर , मधु मरने के बाद राजीव और उसकी फैमिली से बदला लेने के लिए गुडि़या में समा जाती है। खेल के दौरान रक्षा की नजर इस खूबसूरत गुडि़या पर पड़ती है और वह इसे घर ले जाती है। यहीं से शुरु होता है राजीव की खुशहाल जिंदगी में खौफनाक साये का प्रवेश और अपनों की हत्या का सिलसिला। राजीव तांत्रिकों के जरिए इस मुसीबत से निजात पाने की कोशिश करता है लेकिन भूतनी तांत्रिकों को ही उडा देती है।

टाइम्स ऑफ इंडिया में निखत काजमी ठीक लिखते हैं कि जिसने फूंक न देखी हो उसे पता ही नहीं चलेगा कि मधु कौन और सुदीप के परिवार की खून की प्यासी क्यों है। हिंदुस्तान में विशाल ठाकुर लिखते हैं कि मिलिंद दूसरे संस्करण में उतनी मुस्तैदी नहीं बरत सके और उन्होंने कहानी शुरू करने के चक्कर में ही फिल्म को इंटरवल तक लटकाए रखा। नभाटा में चंद्रमोहन शर्मा ने लिखा है कि काश,पब्लिसिटी की बजाए स्क्रिप्ट पर ध्यान दिया गया होता। उनके अनुसार,खासकर क्लाइमेक्स इतना लंबा है कि दर्शक उकताने लगता है।
विशाल ठाकुर को सुदीप के साथ अमृता की केमिस्ट्री जमी है। उधर,दैनिक भास्कर में राजेश यादव और मेल टुडे में विनायक चक्रवर्ती के अनुसार,यह फिल्म केवल बाल कलाकार एहसास चानना के अभिनय के लिए देखी जा सकती है। । मगर नभाटा में चंद्रमोहन शर्मा लिखते हैं कि पिछली बार डराने में लगी बेबी एहसास चानना इस बार खुद डरती है। उन्हें अमृता खानविलकर का रोल पसंद आया है। निखत काजमी को लगा है कि तमाम कोशिश के बावजूद सुदीप रण जितना प्रभावित नहीं करते।
विनायक चक्रवर्ती लिखते हैं कि कैमरा वर्क ऐसा है मानो कैमरामैन नशे में हो। वे कहते हैं कि विश्वास नहीं होता कि ये उसी रामगोपाल वर्मा के बैनर की फिल्म है जिसने 1993 में रात बनाई थी जिसे बॉलीवुड की सबसे अच्छी हॉरर फिल्म माना जा सकता है।

अगर आपने फूंक और अज्ञात देखी हो,तो आप आसानी से समझ सकते हैं कि रामगोपाल वर्मा का डराने का फंडा क्या होता है। यह फंडा है तेज़ साउंड इफेक्ट का और अजीबोगरीब चेहरे को अचानक क्लोजअप में दिखाने का। ऐसी फिल्मों में कहानी से ज्यादा हॉरर पक्ष पर जोर दिया जाता है। मगर दैनिक जागरण में अजय ब्रह्मात्मज ने साफ लिखा है कि कहानी में घटनाएं रहेंगी, तभी तकनीक से उन्हें खौफनाक बनाया जा सकेगा। उन्हें यह फिल्म एक स्टार के बराबर लगी है। रिपीट कैमरा एंगल और सीक्वल जैसा दम न होने के कारण हिंदुस्तान ने इसे सुस्त श्रेणी में रखा है जिसे डेढ स्टार के बराबर माना जा सकता है। दैनिक भास्कर में राजेश यादव लिखते हैं कि हॉरर फिल्म का दर्शक आत्मा और मनुष्य का संघर्ष ढूंढता है लेकिन फूंक-2 न सिर्फ निराश करती है बल्कि एक दो बार तो साउंड इफेक्ट का प्रभाव डराने की बजाए हंसने पर मजबूर कर देता है। उनकी ओर से फिल्म को मिले दो स्टार। विनायक चक्रवर्ती लिखते हैं कि फूंक में डराने की कोशिश की गई थी मगर फूंक-2 में वह कोशिश भी कहीं नहीं दिखती। लिहाजा उन्होंने भी फिल्म को दिए दो स्टार। इंडियन एक्सप्रेस में शुभ्रा शर्मा को शक है कि कुछेक दृश्य एकाध जापानी फिल्मों की नकल हैं। उन्होंने बच्चों को इस फिल्म से दूर रखने की हिदायत देते हुए इसे दो स्टार दिए हैं। चंद्रमोहन शर्मा लिखते हैं कि अगर भूत देखकर हंसने का इरादा हो,तभी यह फिल्म देखिए। उनकी ओर से फिल्म को ढाई स्टार। निखत काजमी ने इसे ओरिजिनल फूंक से बेहतर बताते हुए ढाई स्टार दिया है। एशियन एज ने चुटकी ली है कि इस फिल्म की हर भूतनी को बालकनी का झूला प्रिय है। अखबार ने ध्यान दिलाया है कि यह वही फिल्म है जिसे हॉल में अकेले देखने पर रामगोपाल वर्मा ने 5 लाख रूपए की ईनाम देने की घोषणा की थी। अगर वे अपनी शर्त पर कायम रह सकें,तो अगले कई हफ्तों तक उन्हें चेक साईन करने से फुरसत नहीं मिलेगी। फिर भी,एशियन एज ने इस फिल्म को अधिकतम 3 स्टार दिए हैं। इस बीच खबर आई है कि रामगोपाल वर्मा फूंक-2 को अकेले देखने की हिम्मत जुटाने वाले हितेश शर्मा को अपनी फूंक-3 में रोल देने जा रहे हैं। यानी,इंतजार करिए फूंक के एक और सीक्वल का ! निखत काजमी ने कहा है कि बॉलीवुड की हॉरर फिल्मों का स्तर ऊपर उठाने की ज़रूरत है। क्या रामगोपाल वर्मा सुन रहे हैं?

1 comment:

  1. हमने तो फूंक ही नहीं देखी.

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