पिछले साल उत्तरप्रदेश में रामपुर के टांडा में एक चुनावी रैली में अमर सिंह ने कहा कि इस चुनाव में समाजवादी पार्टी की उम्मीदवार जयाप्रदा ने आप लोगों के लिए अपना सब कुछ दांव पर लगा दिया है। अगर आप लोगों ने जयाप्रदा को अपना प्यार नहीं दिया और जयाप्रदा की साइकिल दिल्ली तक नहीं पहुंची, तो वह खुदकुशी कर लेंगी।
अमर सिंह ने कांग्रेस प्रत्याशी नूरबानो की जयाप्रदा से तुलना करते हुए कहा कि वह नूरबानो हैं, और यह हूरबानो हैं। जयाप्रदा अक्ल, शक्ल और सीरत की हूरबानो हैं। वास्तव में,महान फिल्मकार सत्यजीत रे भी उन्हें रजतपट की सुंदरतम महिलाओं में से बताया था। रे जयाप्रदा के साथ काम करने के इच्छुक थे लेकिन उनकी अस्वस्थता और फिर निधन के कारण यह योजना मूर्त रूप नहीं ले पाई।
आज जयाप्रदा का जन्मदिन है। उनका मूलनाम ललिता रानी था। जन्म आंध्र प्रदेश में राजमंडी में हुआ था। पिता कृष्णा तेलुगू फ़िल्मों के फाइनेंसर थे। मां नीलवाणी ने उन्हें कम उम्र में ही नृत्य और संगीत की शिक्षा दिलानी शुरू कर दी थी। जयाप्रदा की कई फिल्मों में हम उनके नृत्य कौशल से परिचित हो चुके हैं।
जयाप्रदा को बॉलीवुड में लाने का श्रेय के. विश्वनाथ को जाता है जिन्होंने उनके साथ 1979 में सरगम बनाई। फ़िल्म ज़बरदस्त हिट रही और वे रातों रात स्टार बन गईं। लेकिन हिंदी न बोल सकने के कारण वे अपनी सफलता को भुना नहीं सकीं । उन्हें लेकर1 982 में कामचोर भी के. विश्वनाथ ने ही बनाई थी जिसमें दर्शकों ने पहली बार जयाप्रदा को धाराप्रवाह हिन्दी बोलते देखा।
परवीन बॉबी, जीनत अमान और राखी जैसी नायिकाओं का जादू ढल गया तो जयाप्रदा ने अमिताभ के साथ जोड़ी जमाई। जयाप्रदा शराबी, गंगा जमुना सरस्वती, आखिरी रास्ता, जादूगर, इंद्रजीत और आज का अर्जुन में अमिताभ के साथ थीं। इनमें से तीन फिल्में सुपरहिट थीं।
जयाप्रदा ने न केवल अमिताभ बच्चन और जीतेन्द्र के साथ सफल जोड़ी बनाई, बल्कि प्रतिद्वंद्वी श्रीदेवी के साथ भी उन्होंने लगभग एक दर्जन फ़िल्मों में अभिनय किया है। 'तोहफ़ा' (1984) ने उन्हें सिनेमाप्रेमियों का चहेता बना दिया और बाद में अपनी इस छवि का इस्तेमाल उन्होंने राजनीति में प्रवेश के लिए किया। वे 1994 में एन.टी.रामाराव की तेलुगूदेशम पार्टी में शामिल हुईं मगर बाद में चंद्रबाबू नायडू गुट में चली गईँ। 1996 में आंध्रप्रदेश के लिए राज्यसभा में मनोनीत की गईं। उनकी पहली बड़ी राजनीतिक कामयाबी वह थी जब उन्होंने 2004 के आम चुनावों के दौरान रामपुर संसदीय निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव जीता।
1986 में, उन्होंने निर्माता श्रीकांत नाहटा से शादी की, जो पहले से ही चंद्रा के साथ विवाहित थे। उनका दाम्पत्य जीवन सामान्य नहीं रहा।
तीस साल के फिल्मी करियर में अब तक उन्होंने सात भाषाओं की 300 फिल्मों में काम किया है। वे चेन्नई में जयाप्रदा थियेटर की मालकिन भी हैं। उन्होंने हाल ही में बंगाली भाषा में ‘आखिरी संघर्ष’ नामक फिल्म बनाई है, जिसमें मुख्य किरदार उन्हीं का है। फिल्म की नायिका माओवादी है और अवाम के लिए संघर्ष करती है।
(तस्वीर जयाप्रदा डॉट नेट से साभार)
अमर सिंह ने कांग्रेस प्रत्याशी नूरबानो की जयाप्रदा से तुलना करते हुए कहा कि वह नूरबानो हैं, और यह हूरबानो हैं। जयाप्रदा अक्ल, शक्ल और सीरत की हूरबानो हैं। वास्तव में,महान फिल्मकार सत्यजीत रे भी उन्हें रजतपट की सुंदरतम महिलाओं में से बताया था। रे जयाप्रदा के साथ काम करने के इच्छुक थे लेकिन उनकी अस्वस्थता और फिर निधन के कारण यह योजना मूर्त रूप नहीं ले पाई।
आज जयाप्रदा का जन्मदिन है। उनका मूलनाम ललिता रानी था। जन्म आंध्र प्रदेश में राजमंडी में हुआ था। पिता कृष्णा तेलुगू फ़िल्मों के फाइनेंसर थे। मां नीलवाणी ने उन्हें कम उम्र में ही नृत्य और संगीत की शिक्षा दिलानी शुरू कर दी थी। जयाप्रदा की कई फिल्मों में हम उनके नृत्य कौशल से परिचित हो चुके हैं।
जयाप्रदा को बॉलीवुड में लाने का श्रेय के. विश्वनाथ को जाता है जिन्होंने उनके साथ 1979 में सरगम बनाई। फ़िल्म ज़बरदस्त हिट रही और वे रातों रात स्टार बन गईं। लेकिन हिंदी न बोल सकने के कारण वे अपनी सफलता को भुना नहीं सकीं । उन्हें लेकर1 982 में कामचोर भी के. विश्वनाथ ने ही बनाई थी जिसमें दर्शकों ने पहली बार जयाप्रदा को धाराप्रवाह हिन्दी बोलते देखा।
परवीन बॉबी, जीनत अमान और राखी जैसी नायिकाओं का जादू ढल गया तो जयाप्रदा ने अमिताभ के साथ जोड़ी जमाई। जयाप्रदा शराबी, गंगा जमुना सरस्वती, आखिरी रास्ता, जादूगर, इंद्रजीत और आज का अर्जुन में अमिताभ के साथ थीं। इनमें से तीन फिल्में सुपरहिट थीं।
जयाप्रदा ने न केवल अमिताभ बच्चन और जीतेन्द्र के साथ सफल जोड़ी बनाई, बल्कि प्रतिद्वंद्वी श्रीदेवी के साथ भी उन्होंने लगभग एक दर्जन फ़िल्मों में अभिनय किया है। 'तोहफ़ा' (1984) ने उन्हें सिनेमाप्रेमियों का चहेता बना दिया और बाद में अपनी इस छवि का इस्तेमाल उन्होंने राजनीति में प्रवेश के लिए किया। वे 1994 में एन.टी.रामाराव की तेलुगूदेशम पार्टी में शामिल हुईं मगर बाद में चंद्रबाबू नायडू गुट में चली गईँ। 1996 में आंध्रप्रदेश के लिए राज्यसभा में मनोनीत की गईं। उनकी पहली बड़ी राजनीतिक कामयाबी वह थी जब उन्होंने 2004 के आम चुनावों के दौरान रामपुर संसदीय निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव जीता।
1986 में, उन्होंने निर्माता श्रीकांत नाहटा से शादी की, जो पहले से ही चंद्रा के साथ विवाहित थे। उनका दाम्पत्य जीवन सामान्य नहीं रहा।
तीस साल के फिल्मी करियर में अब तक उन्होंने सात भाषाओं की 300 फिल्मों में काम किया है। वे चेन्नई में जयाप्रदा थियेटर की मालकिन भी हैं। उन्होंने हाल ही में बंगाली भाषा में ‘आखिरी संघर्ष’ नामक फिल्म बनाई है, जिसमें मुख्य किरदार उन्हीं का है। फिल्म की नायिका माओवादी है और अवाम के लिए संघर्ष करती है।
(तस्वीर जयाप्रदा डॉट नेट से साभार)
जयाजी को जन्मदिन की ढेर सारी शुभकामनाएं।
ReplyDeleteacha kiya aap ne bata diya muje
ReplyDeleteme agle sal tak yad rakhne ki kosis karunga
shekhar kumawat
http://kavyawani.blogspot.com/