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Saturday, April 10, 2010

प्रिंसःफ़िल्म-समीक्षा

विवेक ओबेराय,अरुणा शील्ड्स,नीरू सिंह,नंदना सेन,संजय कपूर,राजेश खट्टर और दिलीप ताहिल अभिनीत प्रिंस इस हफ्ते रिलीज हुई है। दो घंटे 10 मिनट की इस एक्शन फिल्म का निर्देशन किया है म्यूजिक वीडियो के हिट निर्देशक कूकी गुलाटी(असली नाम विकास) ने। संगीत है सचिन गुप्ता का।
कहानी है शातिर चोर प्रिंस(विवेक ओबेराय) की जिसके लिए करोड़ों के हीरे चुराना भी मुश्किल नहीं। वह अपनी पार्टनर माया(अरुणा) के साथ,सारंग(इसाह) के गैंग के लिए काम करता है। मगर एक दिन अचानक उसकी याद्दाश्त चली जाती है। उधर,सारंग उन्हें एक ऐसे सिक्के की चोरी के मिशन में लगाता है जिसकी कीमत सौ करोड़ से भी ज्यादा है। इस सिक्के में एक ऐसा सिम छुपा है जिसकी मदद से किसी की भी याद्दाश्त को खत्म किया जा सकता है। सीबीआई इस सिम को हासिल करने के लिए इंस्पेक्टर खान ( संजय कपूर ) को लगाती है ताकि इसका गलत इस्तेमाल ना हो सके।
लगातार असफलता के दौर से गुज़र रहे विवेक ओबेराय के लिए इस फिल्म को बहुत महत्वपूर्ण माना जा रहा था मगर यूनिट की तमाम मेहनत और खर्च और हॉलीवुड स्टाइल एक्शन के बावजूद,पटकथा घुमावदार होने के कारण यह फिल्म दर्शकों को बांधे रखने में सक्षम नहीं है। टाइम्स ऑफ इंडिया ने फिल्म के एक्शन(एलेन अमीन) की तारीफ की है। अख़बार लिखता है कि विवेक ओबेराय पर फिल्माए गए एक्शन दृश्य विश्वसनीय लगते हैं लेकिन एक्शन दृश्यों को भी बर्दाश्त करने की सीमा होती है क्योंकि फिल्म में और चीजें भी चाहिए।

नई दुनिया में मृत्युंजय प्रभाकर जी ने लिखा है कि फिल्म में अभिनेताओं का काम भी प्रभावी नहीं है। नवभारत टाइम्स में चंद्रमोहन शर्मा की टिप्पणी है कि बार - बार याददाश्त खोने और फिर लौट आने के दृश्यों में विवेक का अभिनय नाटकीय लगता है। हां,उनके हिसाब से, लंबे अर्से बाद नजर आए संजय कपूर सीबीआई इंस्पेक्टर के रोल में जमे हैं।

इस एक्शन फिल्म में भी निर्देशक ने रोमांटिक गीत की गुंजाइश निकाली है । फिल्म के दो गाने ओ मेरे खुदा , कौन हूं मैं रिलीज से पहले कई म्यूजिक चार्ट में टॉप पर है। चंद्रमोहन शर्मा जी ने फिल्म के गीत को टीन एजर्स की पसंद के अनुरूप बताया है। दैनिक जागरण में अजय ब्रह्मात्मज ने भी फिल्म के गीत को मधुर बताया है।

इंडियन एक्सप्रेस में शुभ्रा गुप्ता ने फिल्म के आउटडोर मात्र को देखने लायक माना है। उन्होंने इसकी रेटिंग केवल एक स्टार से की है। हिंदुस्तान टाइम्स में मयंक शेखर इस फिल्म को डेढ स्टार देते हुए ध्यान दिलाते हैं कि प्रिंस के निर्माता ही अजब प्रेम की गजब कहानी लेकर आए थे जो पिछले साल की शायद सबसे घटिया फिल्म थी मगर हिट रही; कौन जाने इस बार भी क्या हो। वेब दुनिया पर संजय ताम्रकार साफ कहते हैं कि नाम से ही कोई प्रिंस नहीं बन जाता। उन्होंने ‘प्रिंस’ को उस सुंदर शरीर की तरह बताया है जिसमें प्राण नहीं है। सो उन्होने दिए सिर्फ डेढ स्टार। फिल्म में विवेक के डायलॉग-इट्स शो-टाइम के जवाब में, मेल टुडे में विनायक चक्रवर्ती कहते हैं टाइम इज रनिंग आउट। उनका साफ कहना है कि कि महज एक्शन के बूते दर्शकों को बेवकूफ नहीं बनाया जा सकता। उन्होंने फिल्म को दो स्टार दिये हैं। टाइम्स ऑफ इंडिया में निखत काजमी ने इस बात पर हैरानी जताई है कि जिस फिल्म के लिए 50 करोड़ का बजट रखा गया उसकी कहानी लिखने के लिए किसी कथालेखक को क्यों नहीं रखा गया। लिहाजा उनकी ओर से फिल्म को ढाई स्टार। अजय ब्रह्मात्मज ने भी माना है कि दो-चार प्रेम, आलिंगन और चुंबन के दृश्यों से कहानी नहीं बनती। नई तकनीक,गैजेट्स और बेहतरीन फोटोग्राफी के आधार पर नभाटा ने फिल्म को तीन स्टार दिए हैं। अजय ब्रह्मात्मज को लगा कि फिल्म देखते समय रोमांच बना रहता है, जैसे कि किशोर उम्र में हम सभी घंटों वीडियो गेम खेलते नहीं थकते और रोमांचित रहते हैं। उनकी ओर से भी फिल्म को तीन स्टार। हिंदुस्तान में विशाल ठाकुर जी ने इसे एक अच्छी स्क्रिप्ट पर स्टंट के कमाल वाली एक तेज़,धारदार फिल्म माना है जो रोमांचक भी है और हॉट भी । उन्होंने इसे मस्त श्रेणी में रखा है जिसे साढे तीन स्टार के बराबर माना जा सकता है।
वैसे,इस फिल्म में विवेक के चुंबन की खूब चर्चा है । फिल्म में विवेक ओबेराय और अरुणा शील्ड्स के बीच जबर्दस्त चुंबन दृश्य फिल्माया गया है ।

2 comments:

  1. फिल्म में पूरी तरह से रोमांच रहा .......सस्पेंस के साथ साथ ....एक्शन भी कमाल का रहा .....अच्छी फिल्म .........आपने फिल्म समीक्षा को बहुत अच्छे से प्रस्तुत किया है .

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  2. फिल्म जगत के बारें में लिखने का एक छोटा प्रयास ...एक नज़र ज़रूर डालियेगा .

    http://manoranjankadarpan.blogspot.com/

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