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Friday, April 16, 2010

ओशो को फिल्माने की चुनौती

भारत पर विदेशियों ने बहुत काम किया है और उनमें से कई काम अतुलनीय महत्व के हैं। गांधी फिल्म बनाकर रिचर्ड एटनबरो ने विश्व सिनेमा को जो दिया,वह किसी से छिपा नहीं है। अब खबर आ रही है कि फिर एक विदेशी निर्माता-निर्देशक एक भारतीय हस्ती पर फिल्म बनाने की तैयारी कर रहा है । अबकी बारी है ओशो की जिनकी भूमिका के लिए कमल हासन और संजय दत्त जैसे किसी अभिनेता को लेने की योजना बनाई जा रही है। यह प्रोजेक्ट है इटली के निर्देशक एंटोनियो लाक्शीन सुकामेली का जो भारत और दूसरे देशों की प्रोडक्शन कंपनियों से इस बारे में बातचीत कर रहे हैं। श्री सुकामेली 1978 में भारत आगमन के बाद ओशो के शिष्य बन गए थे । उन्होंने इस प्रोजेक्ट पर कोई पाँच साल पहले ही काम शुरू कर दिया था। इन दिनों वे भारत में हैं और इस परियोजना के बारे में बातचीत कर रहे हैं। शूटिंग अगले साल शुरू होने की संभावना है। जाहिर है, फिल्म का एक हिस्सा भारत में भी शूट किया जाएगा।
सुकामेली ब्लू लाइन तथा जोरबा-II बुद्धा जैसी गंभीर और दार्शनिक फिल्में बना चुके हैं। उन्होंने अपने नए प्रोजेक्ट के लिए कबीरबेदी और इरफान खान से भी बात की है। श्री सुकामेली क्लारा की भूमिका के लिए किसी हॉलीवुड अभिनेत्री को लेना चाहते हैं। फिल्म में दिखाया जाएगा कि कैसे ओशो के जीवन और खासकर अमरीका से उन्हें निकाले जाने के मामले की पड़ताल के लिए क्लारा भारत आईं मगर सुरक्षा प्रमुख सत्यम के प्रेमजाल में फंस गईं ।
इस खबर के साथ एक सूचना यह भी आ रही है कि ओशो के जीवन पर चंडीगढ की एक भारतीय कंपनी मीडिया वन वेंचर ने गुरु ऑफ सेक्स नामक फिल्म बनाने की घोषणा की थी जिसमें सर बेन किंग्सले को लीड रोल में लिया जाना था। वह फिल्म तो नहीं बनी,अलबत्ता इस खबर से इतना तो पता चलता ही है कि जब भारतीय फिल्मकार ओशो को फिल्म का विषय बनाना चाहता है तो उसके मन में ओशो की छवि क्या होती है । यह छवि है सेक्स गुरु की। जाहिर है,सेक्स पर सार्वजनिक रूप से बात करना अपने यहां निषिद्ध है। सेक्स समझिए और कीजिए खूब मगर बोलिए चूं भी नहीं। हम देख ही रहे हैं कि आज सभी तथाकथित धर्माचार्य राम-नाम की रट लगाकर किस कदर जनता का मन बहलाने की जी-तोड़ कोशिश कर रहे हैं,मगर बुरे ग्रह हैं कि पीछा छोड़ ही नहीं रहे। रह-रह कर आश्रम में तरह-तरह के यौनाचार की ख़बरें आती ही रहती हैं। पोप तक परेशान और क्षमायाचना की मुद्रा में हैं।
यह भी ध्यान दिला दें कुछ माह पूर्व,ओशो के शिष्य रहे विनोद खन्ना ने भी ओशो पर एक किताब लिखने की घोषणा की थी। जब उनसे इस बाबत पूछा गया,तो उन्होंने कहा था,"ओशो केवल एक व्यक्ति नहीं हैं,वे एक बहुत बड़ी घटना हैं। किसी एक किताब में उन्हें संपूर्णता से समेटना संभव नहीं है।" ओशो के निकट रहा व्यक्ति ऐसा सोचता ही है। इसलिए,यह अच्छी बात है कि ओशो पर इस बार फिल्म बनाने की पहल भी ओशो के एक शिष्य ने ही की है। श्री सुकालेमी ने अब तक जैसी फिल्मे बनाई हैं,उससे उम्मीद बंधती है कि वे विवादित प्रसंगों की सनसनी पेश करने की बजाए उन देसनाओं पर ज़ोर देंगे जिन पर ओशो से पहले किसी ने वैसी दृष्टि से विचार नहीं किया था। यह एक सच्चाई है कि सार्वजनिक स्वीकृति से हिचक के बावजूद,आज ओशो की पुस्तकें दुनिया की सबसे ज्यादा पढी गई पुस्तकें हैं। गंभीरतम दर्शन की सरलतम अभिव्यक्ति यदि कहीं देखनी हो,तो वे ओशो की पुस्तकों मे ही देखी जा सकती हैं। यदि भाव और संदेश का यह प्रवाह सुकालेमी अपनी फिल्म में बनाए रख सके,तो मानकर चलिए कि वे सफलता के चरम पर होंगे। ओशो के प्रशंसक करोड़ों की संख्या में हैं और उनकी उम्मीदों पर ख़रा उतरना स्वयं सुकालेमी के करियर के लिए सबसे बड़ी चुनौती होगी। ओशो बेहद महत्वपूर्ण विषय हैं और उन पर बनी कोई भी फिल्म दुनिया भर के सिने प्रेमियों की जिज्ञासा का विषय होगी। फिल्म अच्छी बनी तो उन्हें विश्व सिनेमा में अमर बना सकती है। अन्यथा,दूसरे सिरे के खतरे का अनुमान आप कर सकते हैं।
(सबसे ऊपर की तस्वीर श्री सुकामेली की जोरबा इल बुद्धा की कास्टिंग से ली गई है। अंतिम तस्वीर क्लारा नामक उस महिला की है जिसका जिक्र इस पोस्ट में किया गया है। कमल हासन की तस्वीर टाइम्स ऑफ इंडिया से साभार।)

1 comment:

  1. सचाई को सहास के साथ लिखना दुनियां सब से मुशकिल कार्य हे। ह्रदय गदगद हो गया आप शब्‍दों को पढ़ कर प्रयास करते रही हे।

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