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Thursday, April 1, 2010

भूपेन हज़ारिका को भारत-रत्न देने की मांग

असम सरकार ने जाने-माने संगीतकार और गायक भूपेन हजारिका को भारत रत्न देने की मांग की है। कल राज्य विधानसभा में इस आशय का प्रस्ताव पारित किया गया ।  असम गण परिषद् ने यह प्रस्ताव रखते हुए कहा कि डाक्टर हजारिका ने कला-संस्कृति के क्षेत्र में अमूल्य योगदान दिया है। कांग्रेस तथा अन्य विपक्षी दलों ने भी प्रस्ताव का समर्थन किया है। पाठकों को बताते चलें कि डाक्टर भूपेन हजारिका एक साथ पत्रकार,कवि,अभिनेता,फिल्म निर्माता-सब हैं। उनकी डाक्टरेट उपाधि कोई मानद तौर पर प्रदान की गई नहीं है,उन्होंने कोलम्बिया विश्वविद्यालय से जनसंचार में पीएचडी की हुई है। असमिया सिनेमा को विश्वमंच पर स्थापित करने का श्रेय उन्हीं को है। असमिया फिल्मों में पिछले 40 वर्षों में सबसे ज्यादा संगीत और गायन उन्हीं ने किया है। हिंदी फिल्मों के दर्शक भी एक पल,साज,दरमियां,गजगामिनी,दमन,क्यों और रुदाली में उनका संगीत भूले नहीं होंगे। वे देश के एकमात्र जीवित बैले गायक हैं। वे राष्ट्रीय फिल्म विकास निगम के निदेशक हैं। पूर्वी भारत के लोक संगीत को विश्वपटल पर स्थापित करने में उन्होंने जो योगदान दिया है,वह अतुलनीय है। उन्हें पद्मभूषण और दादा साहब फाल्के पुरस्कार पहले ही मिल चुके हैं। अब कुछ बचा है तो वह भारत रत्न ही है।
चलते-चलते आपको सुनाते हैं उनका गाया रुदाली का ये गीत 

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