तमाम अटकलों पर विराम लगाते हुए महाराष्ट्र सरकार ने इस बार का राजकपूर लाइफ अचीवमेंट अवार्ड ,देशभक्ति की भावना पर आधारित फिल्मों के लिए भारत कुमार के नाम से मशहूर मनोज कुमार को देने का फैसला किया है।
मनोज कुमार का जन्म ब्रिटिश भारत में,उत्तर-पश्चिमी सीमांत प्रांत में अबोताबाद में 24 जुलाई,1937 को हुआ था। उनका मूल नाम हरिकिशन गिरि गोस्वामी है। उन्होंने दिल्ली के हिंदू कॉलेज से स्नातक की उपाधि ली है। फैशन(1957) उनकी पहली फिल्म थी । उन्हें पहली बार कांच की गुड़िया(1960) में लीड रोल मिला। शहीद(1965) से उनकी छवि देशभक्तिपूर्ण फिल्मों के नायक की हो गई। 1965 के भारत-पाक युद्ध के बाद,प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने उनसे जय जवान जय किसान नारे पर फिल्म बनाने को कहा । उपकार इसी का नतीजा थी जिसके लिए उन्हें राष्ट्रीय पुरस्कार के अलावा सर्वश्रेष्ठ निर्देशक का फिल्मफेअर अवार्ड भी मिला था। उनकी आखिरी प्रमुख फिल्म क्लर्क(1989) थी। 2007 में,ओम शांति ओम में उन्हें जिस तरह से फिल्माया गया उसे भद्दा मजाक बताते हुए मनोज कुमार ने मुकदमा तक दायर करने की धमकी दी थी। वे होम्योपैथी के भी अच्छे जानकार बताए जाते हैं।
समारोह में,फिल्म लगान के निर्देशक आशुतोष गोवारिकर को राज कपूर स्पेशल कंट्रीब्यूशन अवार्ड दिया जाएगा। उनके निर्देशन में बनी पहली फिल्म पहला नशा (1993)थी मगर उन्हें जाना गया लगान,स्वदेश और जोधा-अकबर के निर्देशन के लिए। इन दिनों वे चिटगांव विद्रोह पर,अभिषेक और दीपिका को लेकर खेलें हम जी जान से बना रहे हैं।
मराठी फिल्म उद्योग में असाधारण योगदान के लिए वी. शांताराम अवार्ड आशा काले को दिया जा रहा है। अभिनेता और निर्माता सचिन पिलगांवकर को वी. शांताराम स्पेशल कंट्रीब्यूशन अवार्ड से नवाजा जाएगा।
यह अवार्ड हिंदी फिल्म उद्योग में उपलब्धियां हासिल करने वाले कलाकार को दिया जाता है।
विजेताओं को पुरस्कार स्वरूप दो लाख रुपये,स्मृति-चिह्न और प्रशस्ति पत्र प्रदान किया जाएगा। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री 27 अप्रैल को गेटवे ऑफ इंडिया परिसर में आयोजित समारोह में ये पुरस्कार प्रदान करेंगे।
मनोज कुमार का जन्म ब्रिटिश भारत में,उत्तर-पश्चिमी सीमांत प्रांत में अबोताबाद में 24 जुलाई,1937 को हुआ था। उनका मूल नाम हरिकिशन गिरि गोस्वामी है। उन्होंने दिल्ली के हिंदू कॉलेज से स्नातक की उपाधि ली है। फैशन(1957) उनकी पहली फिल्म थी । उन्हें पहली बार कांच की गुड़िया(1960) में लीड रोल मिला। शहीद(1965) से उनकी छवि देशभक्तिपूर्ण फिल्मों के नायक की हो गई। 1965 के भारत-पाक युद्ध के बाद,प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने उनसे जय जवान जय किसान नारे पर फिल्म बनाने को कहा । उपकार इसी का नतीजा थी जिसके लिए उन्हें राष्ट्रीय पुरस्कार के अलावा सर्वश्रेष्ठ निर्देशक का फिल्मफेअर अवार्ड भी मिला था। उनकी आखिरी प्रमुख फिल्म क्लर्क(1989) थी। 2007 में,ओम शांति ओम में उन्हें जिस तरह से फिल्माया गया उसे भद्दा मजाक बताते हुए मनोज कुमार ने मुकदमा तक दायर करने की धमकी दी थी। वे होम्योपैथी के भी अच्छे जानकार बताए जाते हैं।
समारोह में,फिल्म लगान के निर्देशक आशुतोष गोवारिकर को राज कपूर स्पेशल कंट्रीब्यूशन अवार्ड दिया जाएगा। उनके निर्देशन में बनी पहली फिल्म पहला नशा (1993)थी मगर उन्हें जाना गया लगान,स्वदेश और जोधा-अकबर के निर्देशन के लिए। इन दिनों वे चिटगांव विद्रोह पर,अभिषेक और दीपिका को लेकर खेलें हम जी जान से बना रहे हैं।
मराठी फिल्म उद्योग में असाधारण योगदान के लिए वी. शांताराम अवार्ड आशा काले को दिया जा रहा है। अभिनेता और निर्माता सचिन पिलगांवकर को वी. शांताराम स्पेशल कंट्रीब्यूशन अवार्ड से नवाजा जाएगा।
यह अवार्ड हिंदी फिल्म उद्योग में उपलब्धियां हासिल करने वाले कलाकार को दिया जाता है।
विजेताओं को पुरस्कार स्वरूप दो लाख रुपये,स्मृति-चिह्न और प्रशस्ति पत्र प्रदान किया जाएगा। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री 27 अप्रैल को गेटवे ऑफ इंडिया परिसर में आयोजित समारोह में ये पुरस्कार प्रदान करेंगे।
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