समय के साथ हमारा सिनेमा बदल रहा है और ऐसे में उस पर विवाद भी बढ़ रहे हैं। अब इन विवादों को रोकने के लिए सरकार फिल्म प्रमाणपत्रों को अंतरराष्ट्रीय मानदंडों के अनुरूप बनाने की तैयारी कर रही है। इसके लिए सिनेमेटोग्राफी एक्ट, 1952 में बदलाव की तैयारी है। सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने नए सिनेमेटोग्राफी एक्ट, 2010 का मसौदा तैयार कर लिया है। इसमें फिल्म प्रमाणपत्र की पुरानी तीन श्रेणियों को खत्म कर नई पांच श्रेणियां और विशेष श्रेणी बनाई गई हैं। उल्लेखनीय है केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) अभी तक यू (सभी के लिए), ए (वयस्कों या 18 वर्ष से अधिक उम्र के लिए) और यू/ए (कुछ दृश्यों को छोड़ कर सभी के योग्य) श्रेणियों में प्रमाणपत्र जारी करता है। नए नियमों के अतिरिक्त सेंसर बोर्ड को उन फिल्मों पर रोक लगाने का भी अधिकार होगा, जो उसके मुताबिक देश की संप्रभुता, अखंडता, कानून-व्यवस्था और सुरक्षा के साथ छेड़छाड़ करती हैं। इनके अतिरिक्त नैतिक आचरण, किसी व्यक्ति या समुदाय के मान-सम्मान अथवा अदालत की अवहेलना करने वाली फिल्मों को बोर्ड प्रमाणपत्र देने से इन्कार कर सकेगा। मसौदे के अनुसार, सरकार सेंसर बोर्ड के क्षेत्रीय कार्यालयों में भी सलाहकार समितियां नियुक्त करेगी जिसमें न्यायपालिका के सदस्य भी होंगे, जो समाज पर फिल्म के प्रभाव का विश्लेषण करेंगे। नए मसौदे में कहा गया है कि सलाहकार समिति में अनिवार्य रूप से एक-तिहाई महिला सदस्य होंगी।
(दैनिक जागरण,19.4.2010)
(दैनिक जागरण,19.4.2010)
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