तीन भारतीय फिल्मों-"बोधिसत्व","एक ठो चांस" और "सलून" ने 43वें ह्यूस्टन अंतरराष्ट्रीय फिल्म एवं वीडियो फेस्टिवल में प्रतिष्ठित रेमी पुरस्कार जीते हैं। फीचर फिल्म श्रेणी का प्लेटिनम रेमी पुरस्कार बोधिसत्व को मिला। बोधिसत्व ने डेमी मूर-डेविड डुकोवनी की द जोंस और बेंजामिन बैरट की ला मिशन जैसी बड़ी फिल्मों को पीछे छोड़ते हुए यह पुरस्कार जीता। महज सात दिनों में तैयार की गई यह फिल्म ह्यूस्टन के युवा फिल्म निर्माता सैन बनर्जी की है और इसकी शूटिंग कोलकाता में की गई थी। जाने-माने अभिनेता सौमित्र चटर्जी इस फिल्म में मुख्य भूमिका में है। फिल्म में एक लड़की (त्रिशा राय) और उसके पिता (सौमित्र चटर्जी) के बीच मानसिक संघर्ष को दिखाया गया है। लड़की मानती है कि उसकी मां की आत्महत्या के लिए उसका पिता बोधिसत्व(सौमित्र चटर्जी) जिम्मेदार है।
सिल्वर रेमी पुरस्कार कामेडी / फीचर फिल्म श्रेणी में प्रीतीश नंदी कम्युनिकेशंस की सलून को मिला। सत्य घटना पर आधारित इस फिल्म का निर्देशन किया है नवोदित निखिल नागेश भट्ट ने। यह फिल्म भारतीय मध्यवर्ग की कहानी बयां करती है जिसमें आम जनता भ्रष्ट सरकारी अधिकारियों को सबक सिखाती है। इस फिल्म में मुख्य भूमिका गौरव कपूर,रज़क खान,साक्षी तंवर,बृजेन्द्र काला,मुरली शर्मा,गायत्री चौधरी और अरिंदम मित्रा की है।
एक ठो चांस भी प्रीतीश नंदी कम्युनिकेशंस की ही फिल्म है जिसमें अमृता अरोड़ा,रजत कपूर,सौरभ शुक्ला और विनय पाठक मुख्य भूमिका में हैं। इसे विदेशी फीचर फिल्म का विशेष जूरी अवार्ड दिया गया है। इसका निर्देशन सईद अख्तर मिर्ज़ा ने किया है। यह फिल्म इन दिनों सिंगापुर में चल रहे फिल्म फेस्टिवल में भी दिखाई जा रही है। यह फिल्म मुंबई में अपना भाग्य आजमाने प्रतिपल आ रहे लोगों की दास्तान बताती है। फिल्म बेहद साधारण तरीके से मनुष्य के स्वभाव को असाधारण बयां करती है।
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