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Saturday, April 24, 2010

अमिताभ को लीवर सिरोसिस

पिछले कुछ वर्षों में,एक से अधिक सार्वजनिक मौकों पर, महानायक अमिताभ अचानक बीमार पड़े। उन्हें आनन-फानन में अस्पताल ले जाया गया। कुछ दिन भर्ती भी रहे अस्पताल में और फिर कहा गया कि सब कुछ ठीक है,घबराने की कोई बात नहीं और अमिताभ जल्दी ही अपना नॉर्मल शिड्यूल शुरू करेंगे। मगर आज उन्होंने खुद अपने ब्लॉग में खुलासा किया है कि वे लीवर सिरोसिस से पीड़ित हैं
जबकि वह मद्यपान नहीं करते। अमिताभ के मुताबिक 1982 में ‘कुली’ की शूटिंग के दौरान हुई दुर्घटना के बाद से उन्हें यह बीमारी है।
28 साल पहले ‘कुली’ की शूटिंग के दौरान अमिताभ एक दुर्घटना का शिकार हो गए थे। 2 अगस्त 1982 को, पुनीत इस्सर के साथ फाइट सीन में अमिताभ घायल हुए थे । उसके बाद उनका ऑपरेशन किया गया था जिसके बाद वे महीनों बीमार रहे। उन्हें बहुत अधिक खून की ज़रूरत थी। बिग बी को बचाने के लिए खून की ज़रूरत को देखते हुए कई लोग रक्तदान के लिए आगे आए। दो सौ लोगों ने रक्तदान किया और 60 बोतल खून इकट्ठा कर अमिताभ को चढ़ाया गया लेकिन इससे उन्हें एक नई परेशानी हो गई।
उन्होंने अपने ब्लॉग पर लिखा है, ‘‘दोस्त, रिश्तेदार, शुभचिंतक और हमारी दवा कंपनी के कर्मचारी रक्तदान के लिए तैयार थे। मैं बच गया। यह 1982 की बात है लेकिन साल 2000-2002 में एक नियमित जांच के दौरान यह सामने आया, जो तब तक पता नहीं चला था।’’
अमिताभ कहते हैं कि उस दौरान एक अज्ञात दाता के रक्तदान से उन्हें यह बीमारी हुई। उस व्यक्ति का रक्त ऑस्ट्रेलियन ऐन्टिजन हेपेटाइटिस से संक्रमित था। उसके रक्तदान से यह उनके शरीर में पहुंच गया। बिग बी कहते हैं कि आठ साल पहले कराए गए एमआरआई से पता चला कि उसकी वजह से उनका 25 प्रतिशत लीवर ख़राब हो चुका था। तब से अब उन्हें हर तीन महीने में चिकित्सकीय जांच करानी पड़ती है। अमूमन, लिवर सिरोसिस की बीमारी शराब की लत, हिपेटाइटिस बी और सी के कारण होती है जिसमें यकृत धीरे धीरे काम करना बंद कर देता है। मशहूर हस्तियों के रोग का खुलासा जल्दी नहीं होता। आखिर उनके व्यावसायिक हित जो जुड़े होते हैं। अस्पतालों और डाक्टरों को भी चुप्पी बरतने की हिदायत दी जाती है। ऐसे कई मामले हैं जब आखिरी दिनों तक लोगों को भनक नहीं लगी कि अमुक व्यक्ति किस रोग से पीड़ित है। अभिनेता राजकुमार के देहान्त के बाद ही यह सार्वजनिक हुआ था कि उन्हें गले का कैंसर था।

अमिताभ का ब्लॉग

2 comments:

न मॉडरेशन की आशंका, न ब्लॉग स्वामी की स्वीकृति का इंतज़ार। लिखिए और तुरंत छपा देखिएः