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Tuesday, March 9, 2010

25 महान एशियाई एक्टर

ऑस्कर पुरस्कारों से ठीक पहले एक चर्चित अमेरिकी न्यूज चैनल से जुड़ी वेबसाइट पर पच्चीस महान एशियाई अभिनेता-अभिनेत्रियों की सूची जारी हुई है। साइट के मुताबिक इसका मकसद अकैडमी पुरस्कारों में एशियाई ऐक्टिंग टैलंट की अनदेखी की भरपाई करना है। अभी तक सर्वश्रेष्ठ अभिनेता या अभिनेत्री का ऑस्कर मात्र दो एशियाई ही ले जा सके हैं, लेकिन यहां यह सूची छापकर बताया गया है कि एशिया में अभिनय प्रतिभाओं का कोई टोटा नहीं है। भारत में लोग यही सोच कर परम प्रसन्न हैं कि सूची के कुल पच्चीस नामों में पांच यानी बीस फीसदी अकेली मुंबई हिंदी फिल्म इंडस्ट्री से जुड़े हैं।

ये पांच नाम गुरुदत्त, नरगिस, प्राण, मीना कुमारी और अमिताभ बच्चन के हैं। जहां तक सवाल अभिनय की ऊंचाइयों का है तो इन पांचों पर भारत में शायद ही कोई विवाद हो, लेकिन बात अगर इस सूची की गुणवत्ता की हो तो यह पूरी तरह बकवास और दो कौड़ी की है। बात-बात पर सूची बनाने दौड़ पड़ने वाले अमेरिकियों को शायद कूटनीतिक पूर्वाग्रहों के चलते इसमें एक भी ईरानी नाम रखते नहीं बना, जबकि ईरानी फिल्मकारों और अभिनेताओं ने दुनिया को कुछ सबसे संवेदनशील और कलात्मक फिल्में दी हैं।

भारत की ही गैर मुंबइया फिल्मों की अनदेखी हमेशा से पश्चिमी पॉपुलर सिने आलोचकों की सीमा दिखाती रही है। इस सूची में यह सीमा कुछ ज्यादा ही जाहिर हो रही है क्योंकि लिस्ट बनाने वालों को भारत के गैरमुंबइया अभिनेता-अभिनेत्रियों के शायद नाम ही नहीं पता हैं। सबसे बड़ा घपला खुद इस सूची में मौजूद पांचों भारतीय नामों में देखा जा सकता है। इनसे आभास कुछ ऐसा होता है कि जैसे मुंबई फिल्म इंडस्ट्री या तो काफी पहले मर चुकी हो, या जल्द ही मरने वाली हो।

सूची में एकमात्र जीवित अभिनेता अमिताभ बच्चन का नाम मौजूद है, जबकि चीन, हॉन्गकॉन्ग, सिंगापुर, कोरिया और थाइलैंड के जिन अभिनेता-अभिनेत्रियों का नाम इसमें है, उनमें ज्यादातर अभी अपने यहां की फिल्मों में न सिर्फ सक्रिय हैं, बल्कि लीड रोल में आया करते हैं। इसकी मुख्य वजह शायद यह हो कि इन देशों की कुछ फिल्में और उनके कई अभिनेता-अभिनेत्रियां हॉलिवुड की नजर में मेनस्ट्रीम सिनेमा का हिस्सा बन चुके हैं, जबकि मुंबई हिंदी सिनेमा अपनी बिल्कुल अलग, गैर-हॉलिवुडीय पहचान के साथ अंतरराष्ट्रीय बाजार में जगह बना रहा है और इसकी भूमिका हॉलिवुड के लिए कंपटीटर जैसी है।

सेक्स, वॉयलेंस और एनिमेशन के सेट फॉर्म्युले से ग्लोबलाइज्ड दुनिया के चप्पे-चप्पे पर अपने झंडे गाड़ चुके हॉलिवुड को सहज इनसानी कहानियों के दायरे में चुनौती आने वाले दिनों में सिर्फ और सिर्फ भारतीय और शायद कुछ हद तक चीनी सिनेमा से ही मिलने वाली है, लिहाजा आने वाले समय में ऐसी सूचियों को रणनीतिक नजर से भी देखने की आदत हमें डालनी होगी।
(संपादकीय,नभाटा,दिल्ली,9.3.10)

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