बहुत कनफ्यूजन है कि इंटरनेट का शुक्रिया अदा करें अथवा उसे बुरा-भला कहें, जिसकी बदौलत अब घर बैठे ही देख सकते हैं ताजातरीन फिल्में।
आप दुनिया के किसी भी हिस्से में जाएं, सिनेमा ऎसा नशा है, जिसका जादू सिर चढकर बोलता है। और इंटरनेट यानी तारों का जाल और इस जाल से मनोरंजन की दुनिया भी बच नहीं पाई है। फिल्म और संगीत के रिलीज से लेकर उसके प्रदर्शन और प्रचार तक के कई पहलुओं को इंटरनेट ने बदलकर रख दिया है। फिल्म रिलीज हुई नहीं कि लोग उसकी पायरेटेड कॉपी तुरंत ही अवैध तरीके से इंटरनेट के जरिए 'यूट्यूब' पर डाल देते हैं और घर बैठे-बैठे ही देख लेते हैं- फर्स्ट डे फर्स्ट शो। पिछले साल जिस दिन फिल्म 'पा' रिलीज हुई, उसी दिन किसी ने इस फिल्म को यूट्यूब पर डाल दिया। इसे लेकर अमिताभ बच्चन कितना परेशान हुए, वह वे खुद बताते हैं, 'हमने यू ट्यूब को कई नोटिस भेजे। वे फिल्म को इंटरनेट से हटा देते थे, लेकिन तुरंत कोई फिल्म दोबारा अपलोड कर देता था। मेरी समझ में नहीं आ रहा कि क्या करना चाहिए।'
हाल ही राजश्री ने अपनी वेबसाइट शुरू की है, जहां हजारों फिल्में और डॉक्यूमेंट्री मौजूद हैं, जिन्हें आप मुफ्त में या मामूली फीस देकर देख सकते हैं। आखिर इतने बडे बैनर ने क्या सोचकर इंटरनेट और ऑनलाइन की दुनिया में कदम रखा राजश्री मीडिया के एमडी और सीईओ रजत बडजात्या खुलासा करते हैं, 'हमने देखा कि राजश्री की कई फिल्में लोग अवैध तरीके से इंटरनेट पर डाल रहे थे। पायरेसी हो रही थी और लोग देख भी रहे थे। तभी हमने सोचा कि क्यों न हम खुद यह काम करें, ताकि लोग वैध तरीके से ये फिल्में देख पाएं, वो भी मुफ्त में। अगर कोई इसे डाउनलोड करना चाहता है, तो वो उसे चंद डॉलर की फीस देकर डाउनलोड भी कर सकता है।'
कुछ साल पहले राजश्री की फिल्म 'विवाह' इंटरनेट पर रिलीज की गई थी, जिसकी काफी अच्छी प्रतिक्रिया मिली। इसके बाद राजश्री ने जी, स्टार, यूट्यूब वगैरह से पार्टरनशिप की, जो धारावाहिक भी उनकी वेबसाइट पर डालते हैं। हाल ही इरोस इंटरनेशनल ने भी ऎसी ही वेबसाइट शुरू की है। यह बताने की जरूरत नहीं है कि ऎसी वेबसाइटें किसी भी फिल्म प्रेमी के लिए किसी खजाने से कम नहीं। आप सोचेंगे कि फिल्में दिखाने से इन वेबसाइटों को क्या फायदा रजत बडजात्या बताते हैं, 'मुनाफा हमें विज्ञापनों से मिलता है, जो इंटरनेट पर कंपनियां हमारी वेबसाइट पर डालती हैं। फिर फिल्में आदि डाउनलोड करने के लिए लोग फीस भी देते हैं, इससे भी आमदनी होती है।'
दरअसल आज इंटरनेट ने फिल्म को रिलीज करने का तरीका भी बदल दिया है। 'रंग दे बसंती' से मशहूर हुए अभिनेता सिद्धार्थ की हिंदी फिल्म 'स्ट्राइकर' पिछले दिनों थिएटरों के साथ-साथ पूरी दुनिया में एक साथ इंटरनेट पर रिलीज हुई (हिंदुस्तान को छोडकर)। जब हिंदुस्तान में लोग इंटरवल के दौरान पॉपकॉर्न खरीद रहे थे, तो उसी दौरान हीरो साहब ऑनलाइन थे और दुनियाभर के उन प्रशंसकों के साथ चैट कर रहे थे, जो फिल्म को रिलीज के दिन ऑनलाइन देख रहे थे। और यह सब इंटरनेट का ही कमाल था।
इस मायाजाल का एक बडा नुकसान यह जरूर है कि इंटरनेट पर बिना कानूनी अधिकार के लोग अवैध रूप से दूसरों की फिल्में, गाने और दूसरी चीजें डाउनलोड करते हैं। लेकिन हर सिक्के के दो पहलू तो होते ही हैं। जैसा कि रजत बडजात्या कहते हैं, 'जल्द ही तारों का यह जाल इतना फैल जाएगा कि लोग अपने कंप्यूटर पर ही नहीं, अपने मोबाइल, टीवी और यहां तक की घडियों जैसे उपकरणों पर भी इंटरनेट के जरिए फिल्में देख पाएंगे।' यानी मनोरंजन जगत में भविष्य का माध्यम इंटरनेट ही है और इस क्षेत्र में बहुत कुछ नया होना अभी बाकी है। फिल्मी स्टाइल में कहें, तो पिक्चर अभी बाकी है मेरे दोस्त! (बीबीसी डॉट कॉम)
इंटरनेट ने दुनिया के सामने अपनी सृजनशीलता दिखाने के भी नए दरवाजे खोल दिए हैं। उरूग्वे के एक निर्माता फेडे अल्वारोज ने पिछले साल नवंबर में करीब पांच मिनट की एक लघु फिल्म बनाकर उसे यूट्यूब पर अपलोड कर दिया और चंद दिनों बाद उन्हें हॉलीवुड के लिए फिल्म बनाने का प्रस्ताव मिल गया।
नई अभिनेत्री और शक्ति कपूर की बेटी श्रद्धा को 'तीन पत्ती' में अपना पहला रोल इंटरनेट के जरिए ही मिला। निर्माता ने उनकी तस्वीरें फेसबुक पर देखीं और बुला लिया ऑडिशन के लिए।
संगीत के क्षेत्र में भी इंटरनेट के कारण नए प्रयोग हो रहे हैं। गायक लकी अली ने अपना नया एलबम सीडी के जरिए नहीं, बल्कि ऑनलाइन बाजार में रिलीज किया है। क्यों खुद लकी बताते हैं, 'दरअसल जब आप सीडी रिलीज करते हैं, तो उसमें रिकॉर्ड कंपनियां शामिल हो जाती हैं, लेकिन गायक को पूरा फायदा नहीं मिलता। वो सोचता रह जाता है कि एलबम की बिक्री तो अच्छी है, फिर मुझे पैसे क्यों नहीं मिल रहे। तब आपको सिस्टम से लडना पडता है, हिसाब मांगना पडता है। हर कलाकार की यह फितरत नहीं है कि वो हिसाब मांगे। मैं नाम नहीं लूंगा, पर मेरा अनुभव कंपनियों के साथ अच्छा नही रहा। इसलिए मैंने इस बार एलबम ऑनलाइन रिलीज किया।'
(राजस्थान पत्रिका,27मार्च,2010)
नई अभिनेत्री और शक्ति कपूर की बेटी श्रद्धा को 'तीन पत्ती' में अपना पहला रोल इंटरनेट के जरिए ही मिला। निर्माता ने उनकी तस्वीरें फेसबुक पर देखीं और बुला लिया ऑडिशन के लिए।
संगीत के क्षेत्र में भी इंटरनेट के कारण नए प्रयोग हो रहे हैं। गायक लकी अली ने अपना नया एलबम सीडी के जरिए नहीं, बल्कि ऑनलाइन बाजार में रिलीज किया है। क्यों खुद लकी बताते हैं, 'दरअसल जब आप सीडी रिलीज करते हैं, तो उसमें रिकॉर्ड कंपनियां शामिल हो जाती हैं, लेकिन गायक को पूरा फायदा नहीं मिलता। वो सोचता रह जाता है कि एलबम की बिक्री तो अच्छी है, फिर मुझे पैसे क्यों नहीं मिल रहे। तब आपको सिस्टम से लडना पडता है, हिसाब मांगना पडता है। हर कलाकार की यह फितरत नहीं है कि वो हिसाब मांगे। मैं नाम नहीं लूंगा, पर मेरा अनुभव कंपनियों के साथ अच्छा नही रहा। इसलिए मैंने इस बार एलबम ऑनलाइन रिलीज किया।'
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