स्वागत

Monday, March 29, 2010

मित्तल वर्सेज मित्तलःफिल्म-समीक्षा

बीते शुक्रवार को हम तुम और घोस्ट तथा वेल डन अब्बा के साथ ही एक और फिल्म रिलीज हुई-मित्तल वर्सेज मित्तल। रितुपर्णो सेन गुप्ता,रोहित राय,गुलशन ग्रोवर तथा सुचित्रा कृष्णामूर्ति के स्टारकास्ट वाली इस दो घंटे दस मिनट की फिल्म को ए सर्टिफिकेट मिला है। निर्माता हैं राजीवकौल और निर्देशक हैं करण राजदान। गीत शब्बीर अहमद का और संगीत दिया है शमीर टंडन ने। नवभारत टाइम्स में चंद्रमोहन शर्मा जी ने इसे महज दो स्टार दिया हैः
ईशा कोप्पिकर के साथ गर्लफ्रेंड जैसी बोल्ड फिल्म बना चुके डायरेक्टर करण के नाम हर बार पिछली फिल्म से ज्यादा बोल्ड फिल्म बनाने का रेकॉर्ड है। करण ने 70-80 के दशक में बनने वाली फिल्मों की तर्ज पर कहानी लिखी , लेकिन इसमें ज्यादा से ज्यादा हॉट दृश्यों को ठूंसने की चाह में ऐसे भटके कि फिल्म बी और सी सेंटरों और फ्रंट क्लास दर्शकों की बनकर रह गई।

कहानी : मिताली ( रितुपर्णा सेन गुप्ता ) ने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि शादी के बाद उसकी जिंदगी इतनी ज्यादा बदल जाएगी। उसकी सास उसे बिल्कुल पसंद नहीं करती और उसका पति करण मित्तल ( रोहित राय ) अब उसके साथ जानवरों जैसा सलूक करने लगा है। शादी के बाद ससुराल में शारीरिक और मानसिक अत्याचार सहने के बजाय मिताली विरोध करने का फैसला करती है। वह अपना घर छोड़ देती है। साथ ही , करण के खिलाफ मुकदमा भी दायर कर देती है। यह मुकदमा उसकी आजादी के सफर की एक ऐसी शुरुआत साबित होता है , जिसमें मिताली गलत या सही कुछ भी सोचने को तैयार नहीं होती क्योंकि उसे अब किसी भी तरह से अपना मकसद हासिल करना है।

एक्टिंग : सेक्स का तड़का लगाती इस फिल्म में रितुपर्णा सेन ने अपनी पिछली इमेज से हटकर बहुत बोल्ड भूमिका निभाई है। लेकिन रितुपर्णा ने एक्टिंग से ज्यादा ध्यान कैमरे के सामने अपनी बोल्ड ब्यूटी को परोसने में लगाया।

डायरेक्शन : करण ने स्क्रिप्ट को असरदार बनाने की बजाय अपना ध्यान ज्यादा से ज्यादा हॉट दृश्यों को फिट करने में लगाया है।

संगीत : गीत संगीत फिल्म का कमजोर पक्ष है।

क्यों देखे : बस हॉट दृश्य और कुछ नहीं।
-------------------------------------------------------------------
दैनिक हिंदुस्तान की टिप्पणीः


No comments:

Post a Comment

न मॉडरेशन की आशंका, न ब्लॉग स्वामी की स्वीकृति का इंतज़ार। लिखिए और तुरंत छपा देखिएः