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ब्रांड फाइनेंस ने सीजन-२ के दौरान इसे २.०१ बिलियन डॉलर यानी ९२०० करो़ड़ रुपए का उद्योग आंका था। दर्शकों, प्रायोजकों और नई टीमों के लिए नामी-गिरामी कंपनियों की दिलचस्पी से यह बात दूर की कौ़ड़ी लगती भी नहीं है। पहले संस्करण को जहां मात्र ४० प्रायोजक मिले थे वही तीसरे संस्करण तक आते-आते यह संख्या लगभग दोगुनी हो गई है। जाहिर है कमाई लगातार ब़ढ़ रही है। जानकारों का मानना है कि तीसरे संस्करण में आमदनी का आंक़ड़ा ७०० करो़ड़ रुपए तक पहुंच सकता है। पिछले सीजन में कमाई के आंक़ड़े २०० करो़ड़ के इर्द-गिर्द रहे थे।
आईपीएल ने कमाई के तमाम विकल्पों को आजमाना शुरू कर दिया है। इसी सीजन में पहली बार आईपीएल के मुखिया ललित मोदी ने यूएफओ मूवीज को थियेटरों में मैचों के प्रसारण अधिकार बेचकर एक नई शुरुआत की है। हाईडिफिनेशन क्वालिटी की स्क्रीन पर मैचों के आयोजन अधिकार बेचकर मोदी ने ३३० करो़ड़ रुपए का इंतजाम किया है। इतना ही नहीं आईपीएल के ५६ लीग मैचों के आधार पर एक पुरस्कार समारोह का आयोजन करेगी। इसके प्रसारण का अधिकार कलर्स चैनल को बेचा गया है। इसी चैनल के साथ मैच के बाद होने वाली पार्टियों, आयोजन और फैशन शो इत्यादि दिखाने का भी करार हुआ है। यानी क्रिकेट, बॉलीवुड और फैशन के गठजो़ड़ के रूप में मोदी बाजार के सामने अपने तरह का अनोखा कॉकटेल पेश करने की अपनी मुहिम में कामयाब नजर आते हैं।
(प्रदीप,नई दुनिया,दिल्ली,14.3.2010)
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