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Saturday, March 13, 2010

हाइड एंड सीकःफ़िल्म-समीक्षा

कलाकार : अर्जन बाजवा, मृणालिनी शर्मा, पूरब कोहली
प्रड्यूसर : अपूर्वा लाखिया
डायरेक्टर : शॉन अरान्हा
संगीत : गौरव दास गुप्ता
सेंसर सर्टिफिकेट : एडल्ट
अवधि : 119 मिनट।
रेटिंग : /photo.cms?msid=5678937
लगता है इस बार बॉलिवुड को आईपीएल का खौफ नहीं है, वरना मैचों के दौरान धड़ल्ले से नई फिल्में नहीं रिलीज होती। इस हफ्ते हिंदी और अंग्रेजी की करीब पांच फिल्में और अगले हफ्ते फिर इतनी ही फिल्मों के आने से कुछ ऐसा ही लगता है। इस हफ्ते रिलीज हुई फिल्मों में 'हाइड ऐंड सीक' ऐसी फिल्म है, जिसे आप उस क्लास की फिल्म कह सकते हैं, जो नया और लीक से हटकर देखने की शौकीन है। इस फिल्म में कोई ऐसा जाना पहचाना नाम नहीं है, जिससे फिल्म बॉक्स ऑफिस पर दर्शकों की भीड़ जुटा सके, तो वहीं फिल्म का सब्जेक्ट भी आम दर्शक की समझ से परे है। ऐसा भी नहीं कि फिल्म में कुछ नया पेश किया गया हो। इससे पहले संजय गुप्ता की 'एसिड फैक्ट्री' की कहानी का प्लॉट इससे मिलता-जुलता है।

कहानी : क्रिसमस की रात पांच दोस्त मजाक-मजाक में लुका-छुपी का खेल खेलते हैं। किसी को भी इस बात का एहसास नहीं होता कि आने वाले वक्त में यह खेल उनके लिए किस हद तक खतरनाक हो सकता है। ओम जायसवाल (पूरब कोहली), जयदीप महाजन (अर्जन बाजवा), ज्योतिका झलानी (मृणालिनी शर्मा), अभिमन्यु जायसवाल (समीर कोचर), इमरान बेग (अयाज खान) और गुंतिका सूरी (अमृता पटकी) ने सपने में भी नहीं सोचा था कि 12 साल के बाद कोई एकबार फिर उन्हें लुका-छुपी खेलने को मजबूर करेगा। एक शॉपिंग मॉल में फंसे इन पुराने दोस्तों को इस बार नहीं मालूम कि खेल के दौरान कौन जिंदा रहेगा और कौन बचेगा?

डायरेक्शन : सस्पेंस, थ्रिल और खौफ पर टिकी इस कहानी को शॉन अरान्हा ने कुछ अलग स्टाइल में पेश करने की कोशिश तो की है, लेकिन कुछ अलग और हटकर करने की चाह में ऐसे प्रयोग कर डाले, जो फिल्म को आम दर्शक और फैमिली क्लास से दूर करती है। शॉन ने अपनी तरफ से तो अंत तक हत्यारे की पहचान छुपाने की कोशिश की, लेकिन दर्शकों को हत्यारे का सुराग पहले पता लगना, निर्देशन की खामी है।

ऐक्टिंग : ज्यादातर न्यूकमर्स या इक्का-दुक्का फिल्मों में काम करने वाले स्टार्स की इस फिल्म का हर पात्र कहानी का अहम हिस्सा जरूर लगता है। लेकिन जहां तक ऐक्टिंग की बात है, तो पूरब कोहली, अयाज खान अपनी उपस्थिति का एहसास कराते हैं।

संगीत : इस फिल्म में चार गीतकारों, दो संगीतकारों का नाम शामिल है, लेकिन यह सब मिलकर भी कोई ऐसा गाना फिल्म में फिट नहीं कर सके, जो थिएटर से बाहर निकलने के बाद दर्शकों को याद रह पाए। हां, अमर मोहिले का बैकग्राउंड म्यूजिक फिल्म का सबसे सशक्त पक्ष है।

क्यों देखें : अगर एसिड फैक्ट्री नहीं देखी या फिर आपको कुछ अलग और बोल्ड देखने का शौक है, तो फिल्म एक बार देख सकते हैं। फैमिली क्लास या एंटरटेनमेंट के लिए फिल्म में कुछ नहीं है।
(चंद्रमोहन शर्मा,नवभारत टाइम्स,13 मार्च,2010)

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