पिछले दिनों राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों की घोषणा हुई थी। ये पुरस्कार आज दिए जा रहे हैं जिसका आज दूरदर्शन पर शाम साढे पांच बजे से सीधा प्रसारण किया जाएगा। पाठकों को ध्यान होगा कि इस बार दादा साहब फाल्के अवार्ड मशहूर छायाकार वी.के.मूर्ति को दिया जा रहा है। आज दैनिक जागरण ने मूर्ति जी के संबंध मे अमिताभ की प्रतिक्रिया छापी है। आप भी पढिएः
आज के दौर की फिल्मों में भी अपना लोहा मनवा रहे सदी के महानायक अमिताभ बच्चन खुद पुरानी फिल्मों को दिवाने हैं। अमिताभ का कहना है कि पुरानी फिल्मों के कुछ दृश्यों को भुला पाना असंभव है। इन यादगार पलों को उस समय कैमरे में कैद करने में कभी- कभी पूरा दिन लग जाता था, लेकिन वीके मूर्ति जैसे तकनीशियन इस काम को पूरे समर्पण के साथ अंजाम देते थे। आज के दौर में काम के प्रति ऐसे समर्पण का अभाव है। बिग बी ने ने अपने ब्लॉग में लिखा है कि गुरुदत्त की फिल्म कागज के फूल का वह दृश्य भला कौन भूल सकता है जब वहीदा रहमान गाती हैं वक्त ने किया । प्यासा फिल्म का एक यादगार दृश्य है जब थिएटर में ये दुनिया अगर मिल भी जाए गा रहे गुरुदत्त को बालकनी से वहीदा देखती हैं और क्लोजअप में उनकी पीड़ा नजर आती है। साहब बीवी और गुलाम में मीना कुमारी रात को घर से जा रहे पति रहमान को रोकने के लिए ना जाओ सैंयां गाती हैं। इन यादगार दृश्यों को कैमरे में मूर्ति ने कैद किया था। मूर्ति को इस साल फिल्म जगत का सर्वोच्च सम्मान दादा साहेब फाल्के पुरस्कार दिया गया है। मूर्ति की और उनके काम की सराहना करते हुए अमिताभ ने लिखा है कि कुछ साल पहले आईआईएफए अवार्ड समारोह में मैं पिछली सीट पर मूर्ति के पास बैठा था। जैसे ही पुरस्कार के लिए उनके नाम की घोषणा की गई, उनकी आंखों से आंसू बहने लगे। मैंने उन्हें बधाई दी। उन्हें विश्वास ही नहीं हो रहा था कि एक तकनीशियन को सम्मानित किया जा रहा है। अमिताभ के अनुसार, उन्होंने दो फिल्में नास्तिक और राम बलराम मूर्ति के साथ की हैं, लेकिन उनका सर्वाधिक महत्वपूर्ण काम एक अन्य महान फिल्मकार गुरुदत्त की फिल्मों का छायांकन है।
No comments:
Post a Comment
न मॉडरेशन की आशंका, न ब्लॉग स्वामी की स्वीकृति का इंतज़ार। लिखिए और तुरंत छपा देखिएः