कलाकार : सनी देओल , इरफान खान , कोंकणा सेन शर्मा , ईशा कोप्पिकर , आर्यन वैद्य , अंजन श्रीवास्तव , दीपल शॉ , संजय सिंह , गोविंद नामदेव , मास्टर अली हाजी
निर्माता : कृष्ण चौधरी , नीरज पाठक
बैनर : मुक्ता आर्ट्स एंड आइकॉन फिल्म्स
डायरेक्टर : नीरज पाठक
गीत : समीर
संगीत : मोंटी शर्मा
सेंसर सर्टिफिकेट : यू / ए
अवधि : 123 मिनट
हमारी रेटिंग :
निर्माता कृष्ण चौधरी की पिछली फिल्म ' रोक ' के बाद आई इस फिल्म में भले ही भूत - प्रेत नहीं हैं , लेकिन फिल्म के कई दृश्यों में उन्होंने कुछ खौफ पैदा करने की कोशिश जरूर की है। इस बार उनके पास नीरज पाठक जैसे मंझे हुए राइटर की दमदार स्क्रिप्ट के साथ सनी देओल , इरफान खान , कोंकणा सेन शर्मा जैसे स्टार्स की काबिल टीम भी है , जो अपने दम पर फिल्म को अच्छी ओपनिंग दिलाने का दम रखती है। डायरेक्टर को एहसास था कि सनी देओल मल्टिप्लेक्स की ऑडियंस में ज्यादा हॉट नहीं हैं , तभी तो फिल्म का बड़ा हिस्सा इरफान खान और कोंकणा सेन पर टिका है। ऐसा भी नहीं है फिल्म में सनी का कद कम करने की कोशिश की गई है। ऐसा होता तो फिल्म के फर्स्ट सीन से आखिरी सीन तक सनी अकेले नहीं छाए रहते। फिल्म का टाइटिल भी निर्माता ने दर्शकों की हर क्लास को लुभाने की खातिर कुछ हटकर रखा है।
कहानी : मुंबई पुलिस की क्राइम ब्रांच में तैनात अजय श्रीधर ( सनी देओल ) और विनय पटनायक ( इरफान खान ) जिंदादिली और अपनी जांबाजी के चलते डिपार्टमेंट के स्टार हैं। इन दोनों के लिए अपनी जान पर खेलकर मुजरिम को उसके मुकाम पर पहुंचाना रोज का काम है। अजय का मानना है कि पहली बार छोटा - मोटा क्राइम करने वाले को सुधरने का एक मौका मिलना चाहिए। वहीं , विनय मानता है कि पुलिस का काम मुजरिम को पकड़कर अदालत तक पहुंचाने का है। अजय की खुशहाल फैमिली में खूबसूरत बीवी अंशिता ( ईशा कोप्पिकर ) और दस साल का बेटा यश शामिल है। वहीं , विनय का फिलहाल शादी करने का कोई इरादा नहीं है।
अजय का सौतेला भाई संजू भी यूएसए से वापस आ चुका है। सब कुछ ठीकठाक चल रहा था , तभी एक एनकाउंटर के दौरान अजय बुरी तरह से घायल हो जाता है। डॉक्टर उसे बताते हैं कि पीठ में लगी गोलियों की वजह से उसके शरीर का एक हिस्सा बेकार हो गया है और उसे बाकी जिंदगी वीलचेयर पर गुजारनी होगी। पूरी तरह से टूट चुका अजय अपनी पत्नी अंशिता और सौतेले भाई संजू के साथ मिलकर एक प्लान बनाता है , जिससे उसकी फैमिली को उसके बीमा की पांच करोड़ की रकम मिल सके। इसी प्लान में एक बड़ा उलटफेर तब होता है , जब अंशिता और संजू की हत्या हो जाती है। विनय अब अजय को कातिल समझने लगा है , पर विनय की एडवोकेट बहन राधिका पटनायक ( कोंकणा सेन शर्मा ) की नजरों में अजय बेगुनाह है।
एक्टिंग : इरफान खान पूरी फिल्म में छाए हुए हैं। इंटरवल के बाद इरफान के सामने हर कलाकार बौना लगता है। फिल्म में इरफान के कई ऐसे दमदार दृश्य हैं , जिन्हें देखकर आप उनकी एक्टिंग को सैल्यूट करना चाहेंगे। वहीं , कम सीन होने के बावजूद कोंकणा सेन का जवाब नहीं। कोंकणा ने अपनी दमदार एक्टिंग से सनी की बीवी बनी ईशा कोप्पिकर की लंबी भूमिका पर विराम लगा दिया। बेशक सनी फिल्म का अहम हिस्सा हैं , लेकिन आधी से ज्यादा फिल्म में वीलचेयर पर नजर आए सनी ने जिंदगी से मायूस एक इंसान की बेबसी को कैमरे के सामने जीवंत कर दिया है। अन्य कलाकारों में गोविंद नामदेव और दीपल शॉ ने अपनी मौजूदगी दर्ज कराई।
डायरेक्शन : इससे पहले घई कैंप की ' परदेस ' से लेकर अनिल शर्मा की ' अपने ' तक कई फिल्मों की स्क्रिप्ट लिख चुके नीरज पाठक की बतौर डायरेक्टर यह पहली फिल्म है। पहली फिल्म में पाठक किसी तरह का रिस्क लेना नहीं चाहते थे , इसलिए उन्होंने फिल्म के क्लाइमैक्स में हर क्लास की पसंद का ध्यान रखा। धीमी शुरुआत के बाद फिल्म का सेकंड हाफ दर्शकों को बांधे रखता है।
संगीत : फिल्म की कहानी में गानों या रोमांस के लिए कोई जगह नहीं थी। यही वजह रही कि इंटरवल से पहले सनी और ईशा पर फिल्माया गया पंजाबी स्टाइल का गाना ' तिलेदार दुपट्टा डाले ...' बेवजह ठूंसा गया है। बाद में डायरेक्टर ने समझदारी से काम लिया और बैकग्राउंड का सहारा लेकर ' मेरी आशाओं की डोर ...' गाना रखा , जो कहानी का अहम हिस्सा बन पड़ा।
क्यों देखें : अगर आप इरफान और कोंकणा के फैन हैं और इस बार उन्हें कुछ अलग अंदाज में देखना चाहते हैं , तो फिल्म आपके लिए है। ' हीरो ' के बाद सनी इस बार फिर वीलचेयर पर दिखे , लेकिन सनी के फैन उनके इस बदले लुक को जरूर देखना चाहेंगे।
(नभाटा,दिल्ली,11 मार्च,2010)
---------------------------------------------------------
दैनिक भास्कर मे तीन स्टार के साथ राजेश यादव की टिप्पणीः
फिल्म निर्देशक नीरज पाठक ने अपने दमदार लेखन और निर्देशन के बल पर फिल्म राइट या रॉन्ग का निमार्ण किया है। सन्नी देओल, इरफान खान और कोंकणा सेन जैसे कलाकारों के लाजवाब अभिनय और शानदार पटकथा के चलते फिल्म बेहतर बन पड़ी है। हालांकि फिल्म का गीत- संगीत कमजोर है और इसको फिल्म की सबसे बड़ी कमीं कहा जा सकता है। यूं तो फिल्म में सन्नी देओल बहुत खास भूमिका में है लेकिन फिल्म में इरफान खान का प्रभाव बहुत व्यापक दिखता है और ऐसा लगता है पटकथा में इरफान के चरित्र को उभारने के लिए खासी मेहनत की गई है।
यह फिल्म सच और झूठ के बीच संघर्ष की कहानी कहती है। फिल्म मुंबई पुलिस की क्राइम ब्रांच में तैनात अजय (सन्नी देओल) और विनय (इरफान खान) की कहानी है, दोनों अपने विभाग में अपनी बहादुरी के लिए जाने जातें है। अजय सख्त होने के साथ ही मुजरिम को सुधरने का एक अवसर देनें में विश्वास करने वाला अधिकारीं है तो वहीं विनय का मंत्र है मुजरिम को पकड़ों और अदालत के कठघरे में खड़ा कर दो।
अजय का अपना परिवार है जिसमें एक खूबसूरत बीवी अंशिता (ईशा कोप्पिकर ), पुत्र यश और एक सौतेला भाई संजू है जो यूएसए से वापस इंडिया आ चुका है। विनय पूरी तरह से अपने पेशे से Êाुड़ा है और शादी का इरादा नहीं रखता है, उसकी बहन राधिका (कोंकणा) पेशे से वकील है। फिल्म में उस वक्त मोड़ आता है जब एक एनकाउंटर में अजय को चोट लग जाने के कारण उसके शरीर का एक हिस्सा बुरी तरह घायल हो जाता है। इस बीच अजय को अपने परिवार की चिंता होती हैऔर वह अपने परिवार के लिए ५ करोड़ का बीमा प्राप्त करने के लिए एक प्लान बनाता है। लेकिन इसी बीच घटनाक्रम तेजी से बदलता है और अजय की पत्नी और पुत्र की हत्या हो जाती है। अब विनय अपने दोस्त अजय को की कातिल मानने लगता है लेकिन इस बीच राधिका (कोंकणा) अजय को बेगुनाह मानते हुए उसे बचाने के लिए सामने आती है।
मध्यांतर से पहले फिल्म की रफ्तार धीमी है लेकिन दूसरे भाग में दर्शकों के लिए कहानी में बेहतर बदलाव और मनोरंजन मिलता है। फिल्म की पटकथा दमदार है और पटकथा लेखक से निर्देशक बने नीरज पाठक बेहतर शुरुआत करते हुए दिखलाई पड़ रहें है। कोंकणा और इरफान खान ने अपनी पहचान के अनुसार अभिनय किया है। हालांकि कोंकणा को फिल्म में बहुत कम नजर आती है लेकिन अपने संक्षिप्त अभिनय में छाप छोड़ने में कामयाब रहती है। सन्नी देओल पहले हॉफ में प्रभावी दिखें है लेकिन दूसरे भाग में उनके लिए कुछ खास रोल नहीं था है,हालांकि अजय का पात्र इंसान की लाचारी को दिखाने में सफल बन पड़ा है और यह सन्नी के अभिनय का कमाल है।
फिल्म को आम दर्शकों को ध्यान में रखकर बनाया गया है। लेकिन फिल्म ऐसे सप्ताह में रिलीज हो रहीं है जब आईपीएल टी 20 शुरु हो रहा है, पिछले कुछ सालों का रिकार्ड देखें तो आईपीएल के दौरान बॉक्स ऑफिस पर प्रभाव पड़ता है ऐसे में यह देखने वाली बात होगी कि फिल्म राइट या रांग को देखने के लिए बॉक्स ऑफिस पर कितनी भीड़ उमड़ती है।
निर्माता : कृष्ण चौधरी , नीरज पाठक
बैनर : मुक्ता आर्ट्स एंड आइकॉन फिल्म्स
डायरेक्टर : नीरज पाठक
गीत : समीर
संगीत : मोंटी शर्मा
सेंसर सर्टिफिकेट : यू / ए
अवधि : 123 मिनट
हमारी रेटिंग :
निर्माता कृष्ण चौधरी की पिछली फिल्म ' रोक ' के बाद आई इस फिल्म में भले ही भूत - प्रेत नहीं हैं , लेकिन फिल्म के कई दृश्यों में उन्होंने कुछ खौफ पैदा करने की कोशिश जरूर की है। इस बार उनके पास नीरज पाठक जैसे मंझे हुए राइटर की दमदार स्क्रिप्ट के साथ सनी देओल , इरफान खान , कोंकणा सेन शर्मा जैसे स्टार्स की काबिल टीम भी है , जो अपने दम पर फिल्म को अच्छी ओपनिंग दिलाने का दम रखती है। डायरेक्टर को एहसास था कि सनी देओल मल्टिप्लेक्स की ऑडियंस में ज्यादा हॉट नहीं हैं , तभी तो फिल्म का बड़ा हिस्सा इरफान खान और कोंकणा सेन पर टिका है। ऐसा भी नहीं है फिल्म में सनी का कद कम करने की कोशिश की गई है। ऐसा होता तो फिल्म के फर्स्ट सीन से आखिरी सीन तक सनी अकेले नहीं छाए रहते। फिल्म का टाइटिल भी निर्माता ने दर्शकों की हर क्लास को लुभाने की खातिर कुछ हटकर रखा है।
कहानी : मुंबई पुलिस की क्राइम ब्रांच में तैनात अजय श्रीधर ( सनी देओल ) और विनय पटनायक ( इरफान खान ) जिंदादिली और अपनी जांबाजी के चलते डिपार्टमेंट के स्टार हैं। इन दोनों के लिए अपनी जान पर खेलकर मुजरिम को उसके मुकाम पर पहुंचाना रोज का काम है। अजय का मानना है कि पहली बार छोटा - मोटा क्राइम करने वाले को सुधरने का एक मौका मिलना चाहिए। वहीं , विनय मानता है कि पुलिस का काम मुजरिम को पकड़कर अदालत तक पहुंचाने का है। अजय की खुशहाल फैमिली में खूबसूरत बीवी अंशिता ( ईशा कोप्पिकर ) और दस साल का बेटा यश शामिल है। वहीं , विनय का फिलहाल शादी करने का कोई इरादा नहीं है।
अजय का सौतेला भाई संजू भी यूएसए से वापस आ चुका है। सब कुछ ठीकठाक चल रहा था , तभी एक एनकाउंटर के दौरान अजय बुरी तरह से घायल हो जाता है। डॉक्टर उसे बताते हैं कि पीठ में लगी गोलियों की वजह से उसके शरीर का एक हिस्सा बेकार हो गया है और उसे बाकी जिंदगी वीलचेयर पर गुजारनी होगी। पूरी तरह से टूट चुका अजय अपनी पत्नी अंशिता और सौतेले भाई संजू के साथ मिलकर एक प्लान बनाता है , जिससे उसकी फैमिली को उसके बीमा की पांच करोड़ की रकम मिल सके। इसी प्लान में एक बड़ा उलटफेर तब होता है , जब अंशिता और संजू की हत्या हो जाती है। विनय अब अजय को कातिल समझने लगा है , पर विनय की एडवोकेट बहन राधिका पटनायक ( कोंकणा सेन शर्मा ) की नजरों में अजय बेगुनाह है।
एक्टिंग : इरफान खान पूरी फिल्म में छाए हुए हैं। इंटरवल के बाद इरफान के सामने हर कलाकार बौना लगता है। फिल्म में इरफान के कई ऐसे दमदार दृश्य हैं , जिन्हें देखकर आप उनकी एक्टिंग को सैल्यूट करना चाहेंगे। वहीं , कम सीन होने के बावजूद कोंकणा सेन का जवाब नहीं। कोंकणा ने अपनी दमदार एक्टिंग से सनी की बीवी बनी ईशा कोप्पिकर की लंबी भूमिका पर विराम लगा दिया। बेशक सनी फिल्म का अहम हिस्सा हैं , लेकिन आधी से ज्यादा फिल्म में वीलचेयर पर नजर आए सनी ने जिंदगी से मायूस एक इंसान की बेबसी को कैमरे के सामने जीवंत कर दिया है। अन्य कलाकारों में गोविंद नामदेव और दीपल शॉ ने अपनी मौजूदगी दर्ज कराई।
डायरेक्शन : इससे पहले घई कैंप की ' परदेस ' से लेकर अनिल शर्मा की ' अपने ' तक कई फिल्मों की स्क्रिप्ट लिख चुके नीरज पाठक की बतौर डायरेक्टर यह पहली फिल्म है। पहली फिल्म में पाठक किसी तरह का रिस्क लेना नहीं चाहते थे , इसलिए उन्होंने फिल्म के क्लाइमैक्स में हर क्लास की पसंद का ध्यान रखा। धीमी शुरुआत के बाद फिल्म का सेकंड हाफ दर्शकों को बांधे रखता है।
संगीत : फिल्म की कहानी में गानों या रोमांस के लिए कोई जगह नहीं थी। यही वजह रही कि इंटरवल से पहले सनी और ईशा पर फिल्माया गया पंजाबी स्टाइल का गाना ' तिलेदार दुपट्टा डाले ...' बेवजह ठूंसा गया है। बाद में डायरेक्टर ने समझदारी से काम लिया और बैकग्राउंड का सहारा लेकर ' मेरी आशाओं की डोर ...' गाना रखा , जो कहानी का अहम हिस्सा बन पड़ा।
क्यों देखें : अगर आप इरफान और कोंकणा के फैन हैं और इस बार उन्हें कुछ अलग अंदाज में देखना चाहते हैं , तो फिल्म आपके लिए है। ' हीरो ' के बाद सनी इस बार फिर वीलचेयर पर दिखे , लेकिन सनी के फैन उनके इस बदले लुक को जरूर देखना चाहेंगे।
(नभाटा,दिल्ली,11 मार्च,2010)
---------------------------------------------------------
दैनिक भास्कर मे तीन स्टार के साथ राजेश यादव की टिप्पणीः
फिल्म निर्देशक नीरज पाठक ने अपने दमदार लेखन और निर्देशन के बल पर फिल्म राइट या रॉन्ग का निमार्ण किया है। सन्नी देओल, इरफान खान और कोंकणा सेन जैसे कलाकारों के लाजवाब अभिनय और शानदार पटकथा के चलते फिल्म बेहतर बन पड़ी है। हालांकि फिल्म का गीत- संगीत कमजोर है और इसको फिल्म की सबसे बड़ी कमीं कहा जा सकता है। यूं तो फिल्म में सन्नी देओल बहुत खास भूमिका में है लेकिन फिल्म में इरफान खान का प्रभाव बहुत व्यापक दिखता है और ऐसा लगता है पटकथा में इरफान के चरित्र को उभारने के लिए खासी मेहनत की गई है।
यह फिल्म सच और झूठ के बीच संघर्ष की कहानी कहती है। फिल्म मुंबई पुलिस की क्राइम ब्रांच में तैनात अजय (सन्नी देओल) और विनय (इरफान खान) की कहानी है, दोनों अपने विभाग में अपनी बहादुरी के लिए जाने जातें है। अजय सख्त होने के साथ ही मुजरिम को सुधरने का एक अवसर देनें में विश्वास करने वाला अधिकारीं है तो वहीं विनय का मंत्र है मुजरिम को पकड़ों और अदालत के कठघरे में खड़ा कर दो।
अजय का अपना परिवार है जिसमें एक खूबसूरत बीवी अंशिता (ईशा कोप्पिकर ), पुत्र यश और एक सौतेला भाई संजू है जो यूएसए से वापस इंडिया आ चुका है। विनय पूरी तरह से अपने पेशे से Êाुड़ा है और शादी का इरादा नहीं रखता है, उसकी बहन राधिका (कोंकणा) पेशे से वकील है। फिल्म में उस वक्त मोड़ आता है जब एक एनकाउंटर में अजय को चोट लग जाने के कारण उसके शरीर का एक हिस्सा बुरी तरह घायल हो जाता है। इस बीच अजय को अपने परिवार की चिंता होती हैऔर वह अपने परिवार के लिए ५ करोड़ का बीमा प्राप्त करने के लिए एक प्लान बनाता है। लेकिन इसी बीच घटनाक्रम तेजी से बदलता है और अजय की पत्नी और पुत्र की हत्या हो जाती है। अब विनय अपने दोस्त अजय को की कातिल मानने लगता है लेकिन इस बीच राधिका (कोंकणा) अजय को बेगुनाह मानते हुए उसे बचाने के लिए सामने आती है।
मध्यांतर से पहले फिल्म की रफ्तार धीमी है लेकिन दूसरे भाग में दर्शकों के लिए कहानी में बेहतर बदलाव और मनोरंजन मिलता है। फिल्म की पटकथा दमदार है और पटकथा लेखक से निर्देशक बने नीरज पाठक बेहतर शुरुआत करते हुए दिखलाई पड़ रहें है। कोंकणा और इरफान खान ने अपनी पहचान के अनुसार अभिनय किया है। हालांकि कोंकणा को फिल्म में बहुत कम नजर आती है लेकिन अपने संक्षिप्त अभिनय में छाप छोड़ने में कामयाब रहती है। सन्नी देओल पहले हॉफ में प्रभावी दिखें है लेकिन दूसरे भाग में उनके लिए कुछ खास रोल नहीं था है,हालांकि अजय का पात्र इंसान की लाचारी को दिखाने में सफल बन पड़ा है और यह सन्नी के अभिनय का कमाल है।
फिल्म को आम दर्शकों को ध्यान में रखकर बनाया गया है। लेकिन फिल्म ऐसे सप्ताह में रिलीज हो रहीं है जब आईपीएल टी 20 शुरु हो रहा है, पिछले कुछ सालों का रिकार्ड देखें तो आईपीएल के दौरान बॉक्स ऑफिस पर प्रभाव पड़ता है ऐसे में यह देखने वाली बात होगी कि फिल्म राइट या रांग को देखने के लिए बॉक्स ऑफिस पर कितनी भीड़ उमड़ती है।
No comments:
Post a Comment
न मॉडरेशन की आशंका, न ब्लॉग स्वामी की स्वीकृति का इंतज़ार। लिखिए और तुरंत छपा देखिएः