कलाकार : फारूख शेख , नफीसा अली , सुशांत सिंह , श्रद्धा निगम
निर्माता : साई ओम फिल्म्स
डायरेक्टर : संजय पूरन सिंह
संगीत : एम . एम . करीम
सेंसर सर्टिफिकेट : यू / ए
अवधि : 126 मिनट
हमारी रेटिंग :
निर्माता : साई ओम फिल्म्स
डायरेक्टर : संजय पूरन सिंह
संगीत : एम . एम . करीम
सेंसर सर्टिफिकेट : यू / ए
अवधि : 126 मिनट
हमारी रेटिंग :
क्रिकेट बॉलिवुड मेकर्स का चहेता सब्जेक्ट रहा है। क्रिकेट पर बनी दर्जन भर से ज्यादा फिल्मों में से बॉक्स ऑफिस पर केवल लगान या इकबाल ही हिट रही हैं , लेकिन आज भी मेकर्स क्रिकेट पर फिल्म बनाना फायदे का सौदा समझते हैं। पिछले कुछ अर्से में बॉक्स ऑफिस पर महिला हॉकी पर बेस्ड चक दे इंडिया की रेकॉर्ड कामयाबी , फुटबॉल पर बेस्ड दे दना दन और बॉक्सिंग पर चालू मसाला फिल्म अपने की औसत कामयाबी ने मेकर्स को दूसरे खेलों पर फिल्म बनाने को प्रेरित किया।
' लाहौर ' भारत - पाक के बीच राजनीतिक रिश्तों या बॉर्डर पर तनाव या गुप्तचर एजेंसियों पर बनी फिल्म नहीं है। किक बॉक्सिंग पर बनी इस फिल्म की खासियत यही है फिल्म के डायरेक्टर किक बॉक्सिंग के मंझे खिलाड़ी हैं , इसलिए फिल्म में किक बॉक्सिंग दृश्यों को उन्होंने जीवंत बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी।
इस फिल्म की टैग लाइन में लिखा है ' बियोन्ड बॉर्डर नेशन्स लाइज ए बैटल टु एंड ऑल वॉर ' से साफ है कि फिल्म की कहानी खेल में हार जीत से ऊपर उठकर देश प्रेम के जज्बे और रिश्तों को और बेहतर बनाने की सार्थक पहल है। फिल्म की रिलीज से फिल्म को कई प्रतिष्ठित इंटरनैशनल अवॉर्ड मिल चुके हैं।
कहानी : धीरेंद्र सिंह ( सुशांत सिंह ) और वीरेंद्र सिंह ( अन्नाहाद ) भाई हैं। जहां धीरेंद्र का सपना किक बॉक्सिंग में देश का नाम ऊंचा करना है तो वहीं वीरेंद्र क्रिकेट में अपना अलग मुकाम बनाना चाहता है। मां ( नफीसा अली ) को गर्व है कि बेटों ने अपनी फील्ड में अलग मुकाम बना लिया है। मलयेशिया में हो रहे किक बॉक्सिंग टूर्नामेंट की टीम में धीरेंद्र का सिलेक्शन होता है। धीरेंद्र अपने कोच ( फारूख शेख ) के साथ देश के लिए किक बॉक्सिंग मेडल लाने का सपना लेकर टूर्नामेंट में जाता है।
यहां फाइनल राउंड में धीरेंद्र का मुकाबला पाकिस्तानी टीम के नूरा ( मुकेश ऋषि ) से है जिसे कोच ने सिर्फ यह सिखाया है कि हर हाल में जीतना है। यहीं कुछ ऐसा होता है जिसकी किसी ने कल्पना तक नहीं की। नूरा धोखे से धीरेंद्र की गर्दन पर ऐसा घातक वार करता है कि धीरेंद्र रिंग में ही दम तोड़ देता है। तब छोटा भाई वीरेंद्र क्रिकेट के स्थापित करियर को छोड़ भाई का अधूरा सपना पूरा करने की खातिर किक बॉक्सिंग टीम में अपनी जगह बनाता है और लाहौर में भारत - पाक के रिश्तों को और बेहतर बनाने के मकसद से हो रहे किक बॉक्सिंग टूर्नामेंट में नूरा के सामने है।
ऐक्टिंग : कोच के रूप में फारूख शेख पूरी फिल्म में छाए हुए हैं। राजनीति के धुरंधरों और ब्यूरोक्रेट्स के बीच टीम में बेहतर खिलाड़ियों के लिए संघर्ष करते कोच के रोल को फारूख के लाजवाब अभिनय ने जीवंत कर दिखाया। वहीं , नफीसा , सौरभ शुक्ला , केली दोरजी अपनी भूमिका में जमे हैं। इस फिल्म से बॉलिवुड में डेब्यू कर रही जोड़ी अन्नाहाद और श्रद्धा निगम में बेशक अन्नाहाद ने अपनी ऐक्टिंग से दर्शकों की वाहवाही लूटी है।
डाइरेक्शन : इंटरनैशनल किक बॉक्सिंग में नाम कमा चुके संजय पूरन सिंह चूंकि बॉक्सिंग के साथ बरसों से जुड़े है यही वजह है उनकी फिल्म पर अच्छी पकड़ है। इंटरवल से पहले फिल्म की गति बेहद धीमी है तो वहीं फिल्म का क्लाइमेक्स दिल को छू जाता है।
संगीत : एम . एम . करीम का संगीत फिल्म के माहौल पर फिट है।
क्यों देखें : भारत - पाक रिश्तों को और बेहतर बनाने में खेल को अहम माध्यम बनाती , किक बॉक्सिंग पर नेक मकसद के लिए बनी यह फिल्म आपको निराश नहीं करेगी।
(चंद्रमोहन शर्मा,नवभारत टाइम्स,20 मार्च,2010)
' लाहौर ' भारत - पाक के बीच राजनीतिक रिश्तों या बॉर्डर पर तनाव या गुप्तचर एजेंसियों पर बनी फिल्म नहीं है। किक बॉक्सिंग पर बनी इस फिल्म की खासियत यही है फिल्म के डायरेक्टर किक बॉक्सिंग के मंझे खिलाड़ी हैं , इसलिए फिल्म में किक बॉक्सिंग दृश्यों को उन्होंने जीवंत बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी।
इस फिल्म की टैग लाइन में लिखा है ' बियोन्ड बॉर्डर नेशन्स लाइज ए बैटल टु एंड ऑल वॉर ' से साफ है कि फिल्म की कहानी खेल में हार जीत से ऊपर उठकर देश प्रेम के जज्बे और रिश्तों को और बेहतर बनाने की सार्थक पहल है। फिल्म की रिलीज से फिल्म को कई प्रतिष्ठित इंटरनैशनल अवॉर्ड मिल चुके हैं।
कहानी : धीरेंद्र सिंह ( सुशांत सिंह ) और वीरेंद्र सिंह ( अन्नाहाद ) भाई हैं। जहां धीरेंद्र का सपना किक बॉक्सिंग में देश का नाम ऊंचा करना है तो वहीं वीरेंद्र क्रिकेट में अपना अलग मुकाम बनाना चाहता है। मां ( नफीसा अली ) को गर्व है कि बेटों ने अपनी फील्ड में अलग मुकाम बना लिया है। मलयेशिया में हो रहे किक बॉक्सिंग टूर्नामेंट की टीम में धीरेंद्र का सिलेक्शन होता है। धीरेंद्र अपने कोच ( फारूख शेख ) के साथ देश के लिए किक बॉक्सिंग मेडल लाने का सपना लेकर टूर्नामेंट में जाता है।
यहां फाइनल राउंड में धीरेंद्र का मुकाबला पाकिस्तानी टीम के नूरा ( मुकेश ऋषि ) से है जिसे कोच ने सिर्फ यह सिखाया है कि हर हाल में जीतना है। यहीं कुछ ऐसा होता है जिसकी किसी ने कल्पना तक नहीं की। नूरा धोखे से धीरेंद्र की गर्दन पर ऐसा घातक वार करता है कि धीरेंद्र रिंग में ही दम तोड़ देता है। तब छोटा भाई वीरेंद्र क्रिकेट के स्थापित करियर को छोड़ भाई का अधूरा सपना पूरा करने की खातिर किक बॉक्सिंग टीम में अपनी जगह बनाता है और लाहौर में भारत - पाक के रिश्तों को और बेहतर बनाने के मकसद से हो रहे किक बॉक्सिंग टूर्नामेंट में नूरा के सामने है।
ऐक्टिंग : कोच के रूप में फारूख शेख पूरी फिल्म में छाए हुए हैं। राजनीति के धुरंधरों और ब्यूरोक्रेट्स के बीच टीम में बेहतर खिलाड़ियों के लिए संघर्ष करते कोच के रोल को फारूख के लाजवाब अभिनय ने जीवंत कर दिखाया। वहीं , नफीसा , सौरभ शुक्ला , केली दोरजी अपनी भूमिका में जमे हैं। इस फिल्म से बॉलिवुड में डेब्यू कर रही जोड़ी अन्नाहाद और श्रद्धा निगम में बेशक अन्नाहाद ने अपनी ऐक्टिंग से दर्शकों की वाहवाही लूटी है।
डाइरेक्शन : इंटरनैशनल किक बॉक्सिंग में नाम कमा चुके संजय पूरन सिंह चूंकि बॉक्सिंग के साथ बरसों से जुड़े है यही वजह है उनकी फिल्म पर अच्छी पकड़ है। इंटरवल से पहले फिल्म की गति बेहद धीमी है तो वहीं फिल्म का क्लाइमेक्स दिल को छू जाता है।
संगीत : एम . एम . करीम का संगीत फिल्म के माहौल पर फिट है।
क्यों देखें : भारत - पाक रिश्तों को और बेहतर बनाने में खेल को अहम माध्यम बनाती , किक बॉक्सिंग पर नेक मकसद के लिए बनी यह फिल्म आपको निराश नहीं करेगी।
(चंद्रमोहन शर्मा,नवभारत टाइम्स,20 मार्च,2010)
No comments:
Post a Comment
न मॉडरेशन की आशंका, न ब्लॉग स्वामी की स्वीकृति का इंतज़ार। लिखिए और तुरंत छपा देखिएः