इस शुक्रवार हम तुम और घोस्ट रिलीज हुई है। अरशद वारसी,दीया मिर्जा,बोमन ईरानी,जेहरा नकवी और टीनू आनंद की मुख्य भूमिका वाली इस फिल्म का निर्देशन किया है कबीर कौशिक ने और निर्माता हैं अरशद वारसी। गीत जावेद अख्तर का है और संगीत है शंकर-एहसान लॉय का । फिल्म को यू-ए सर्टिफिकेट दिया गया है अर्थात् बच्चे बड़ों के साथ यह फिल्म देख सकते हैं। नवभारत टाइम्स में चंद्रमोहन शर्मा जी ने इस फिल्म को ढाई स्टार देते हुए लिखा हैः
ऐसा लगता है कि ग्लैमर इंडस्ट्री को इन दिनों भूत - प्रेत से कुछ ज्यादा ही लगाव हो गया है। पिछले कुछ अर्से से यह इंडस्ट्री का पसंदीदा सब्जेक्ट बन गया है तभी तो कुछ हफ्तों से ऐसी फिल्मों की लंबी क्यू लग गई है। इसी कड़ी में एक्टर से प्रड्यूसर बने अरशद वारसी की इस फिल्म को भी शामिल किया जा सकता है। लेकिन यह समझ से परे है कि अरशद ने बतौर मेकर अपनी पहली फिल्म में कुछ अलग दिखाने या नया करने के लिए इमेज से हटकर ऐसा सूखा सब्जेक्ट क्यों चुना। माना , अरशद की फिल्म में नजर आने वाले भूत दर्शकों को डराते नहीं बल्कि दर्शकों की सहानुभूति बटोरने में कुछ हद तक कामयाब रहे हैं।
कहानी : फैशन फोटोग्राफर अरमान सूरी ( अरशद वारसी ) और एक मैगजीन की एडीटर गहना ( दीया मिर्जा ) एक दूसरे को चाहते हैं। इस रिश्ते से गहना के पिता ( जावेद शेख ) को भी ऐतराज नहीं। अचानक गहना को लगता है कि अरमान ऐसी बीमारी का शिकार हैं जिसके चलते वह अपनेआप से बातें करता है , मृतकों से अपना रिश्ता जोड़ने लगा है। दरअसल , अरमान में बरसों पहले मर चुके मिस्टर कपूर ( बोमन ईरानी ) का भूत आ जाता है। मिस्टर कपूर की अचानक मौत हुई और उनकी दौलत बेटे ने धोखे से अपने नाम की और पत्नी के इशारों पर मां से किनारा कर लिया। मिस्टर कपूर का भटकता भूत अब धोखे से उनके बेटे द्वारा हथियाई जायदाद को अपनी पत्नी पूजा के नाम कराना चाहता है। अपनी इसी आखिरी ख्वाहिश को पूरा करने के लिए कपूर का भूत अरमान में समाता है। इसके बाद जहां अरमान इस भूत के इशारों पर नाचने को मजबूर है , वहीं गहना उसे दिमागी तौर से बीमार समझने लगती है।
एक्टिंग : फिल्म अरशद ने बनाई है इसलिए ज्यादातर सीन्स में वही दिखाई देते हैं। लगातार कॉमिडी करने के बाद अरशद अब इस अलग रोल में जम नहीं पाते। दीया ने जितनी मेहनत कैमरे के सामने अपनी ब्यूटी दिखाने की , काश मैगजीन एडीटर की अपनी भूमिका में भी उतनी मेहनत करती। बोमन ईरानी खूब जमे हैं।
डायरेक्शन : सहर और चंपू की तर्ज से अलग हटकर इस बार कबीर ने कुछ नया करने की कोशिश तो की है , पर स्क्रिप्ट से लगातार बढ़ती उनकी दूरी फिल्म की कमजोर कड़ी है।
संगीत : शंकर एहसान लॉय के संगीत और जावेद अख्तर के लिखे गानों में ऐसा जादू नहीं कि म्यूजिक लवर्स इन गानों को गुनगुनाएं।
क्यों देखे : इस गोस्ट में इतना दम है कि आपकी हमदर्दी हासिल करने का दम रखता है। वहीं यूके की खूबसूरत लोकेशन और बोमन ईरानी की लाजवाब एक्टिंग के लिए फिल्म देखी जा सकती है।
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नईदुनिया में मृत्युंजय प्रभाकर जी की टिप्पणी भी देखिएः
कबीर कौशिक की फिल्म "हम, तुम और घोस्ट" पूरी तरह अरशद वारसी के ऊपर केंद्रित फिल्म है। अरशद प्रतिभाशाली अभिनेता हैं और उन्होंने इस भूमिका को बेहतर तरीके से निभाया भी है। एक फैशन फोटोग्राफर जिसे भूत की आवाजें सुनाई और दिखाई देती हैं जिसके कारण उसके जीवन में जटिलताएं आती जाती हैं। उनसे मुक्ति के लिए वह भूतों की मदद करता है। भूतों के जो तीन प्रसंग फिल्म में उठाए गए हैं वह भूतों की कम हमारे समाज की समस्याएं ज्यादा हैं और दर्शकों को छूते भी हैं। बोमन ने इस भूमिका में भी अपनी बेहतरीन अदाकारी की है। संध्या मृदुल भी जावेद शेख भी अपनी भूमिकाओं में जंचते हैं पर दिया मिर्जा ग्लैमर डॉल की इमेज से बाहर निकलकर नहीं आ पातीं। फिल्म का संगीत भी याद करने लायक नहीं है।
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हिंदुस्तान में मनीष शुक्ल जी की राय भी देखिए-
ऐसा लगता है कि ग्लैमर इंडस्ट्री को इन दिनों भूत - प्रेत से कुछ ज्यादा ही लगाव हो गया है। पिछले कुछ अर्से से यह इंडस्ट्री का पसंदीदा सब्जेक्ट बन गया है तभी तो कुछ हफ्तों से ऐसी फिल्मों की लंबी क्यू लग गई है। इसी कड़ी में एक्टर से प्रड्यूसर बने अरशद वारसी की इस फिल्म को भी शामिल किया जा सकता है। लेकिन यह समझ से परे है कि अरशद ने बतौर मेकर अपनी पहली फिल्म में कुछ अलग दिखाने या नया करने के लिए इमेज से हटकर ऐसा सूखा सब्जेक्ट क्यों चुना। माना , अरशद की फिल्म में नजर आने वाले भूत दर्शकों को डराते नहीं बल्कि दर्शकों की सहानुभूति बटोरने में कुछ हद तक कामयाब रहे हैं।
कहानी : फैशन फोटोग्राफर अरमान सूरी ( अरशद वारसी ) और एक मैगजीन की एडीटर गहना ( दीया मिर्जा ) एक दूसरे को चाहते हैं। इस रिश्ते से गहना के पिता ( जावेद शेख ) को भी ऐतराज नहीं। अचानक गहना को लगता है कि अरमान ऐसी बीमारी का शिकार हैं जिसके चलते वह अपनेआप से बातें करता है , मृतकों से अपना रिश्ता जोड़ने लगा है। दरअसल , अरमान में बरसों पहले मर चुके मिस्टर कपूर ( बोमन ईरानी ) का भूत आ जाता है। मिस्टर कपूर की अचानक मौत हुई और उनकी दौलत बेटे ने धोखे से अपने नाम की और पत्नी के इशारों पर मां से किनारा कर लिया। मिस्टर कपूर का भटकता भूत अब धोखे से उनके बेटे द्वारा हथियाई जायदाद को अपनी पत्नी पूजा के नाम कराना चाहता है। अपनी इसी आखिरी ख्वाहिश को पूरा करने के लिए कपूर का भूत अरमान में समाता है। इसके बाद जहां अरमान इस भूत के इशारों पर नाचने को मजबूर है , वहीं गहना उसे दिमागी तौर से बीमार समझने लगती है।
एक्टिंग : फिल्म अरशद ने बनाई है इसलिए ज्यादातर सीन्स में वही दिखाई देते हैं। लगातार कॉमिडी करने के बाद अरशद अब इस अलग रोल में जम नहीं पाते। दीया ने जितनी मेहनत कैमरे के सामने अपनी ब्यूटी दिखाने की , काश मैगजीन एडीटर की अपनी भूमिका में भी उतनी मेहनत करती। बोमन ईरानी खूब जमे हैं।
डायरेक्शन : सहर और चंपू की तर्ज से अलग हटकर इस बार कबीर ने कुछ नया करने की कोशिश तो की है , पर स्क्रिप्ट से लगातार बढ़ती उनकी दूरी फिल्म की कमजोर कड़ी है।
संगीत : शंकर एहसान लॉय के संगीत और जावेद अख्तर के लिखे गानों में ऐसा जादू नहीं कि म्यूजिक लवर्स इन गानों को गुनगुनाएं।
क्यों देखे : इस गोस्ट में इतना दम है कि आपकी हमदर्दी हासिल करने का दम रखता है। वहीं यूके की खूबसूरत लोकेशन और बोमन ईरानी की लाजवाब एक्टिंग के लिए फिल्म देखी जा सकती है।
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नईदुनिया में मृत्युंजय प्रभाकर जी की टिप्पणी भी देखिएः
कबीर कौशिक की फिल्म "हम, तुम और घोस्ट" पूरी तरह अरशद वारसी के ऊपर केंद्रित फिल्म है। अरशद प्रतिभाशाली अभिनेता हैं और उन्होंने इस भूमिका को बेहतर तरीके से निभाया भी है। एक फैशन फोटोग्राफर जिसे भूत की आवाजें सुनाई और दिखाई देती हैं जिसके कारण उसके जीवन में जटिलताएं आती जाती हैं। उनसे मुक्ति के लिए वह भूतों की मदद करता है। भूतों के जो तीन प्रसंग फिल्म में उठाए गए हैं वह भूतों की कम हमारे समाज की समस्याएं ज्यादा हैं और दर्शकों को छूते भी हैं। बोमन ने इस भूमिका में भी अपनी बेहतरीन अदाकारी की है। संध्या मृदुल भी जावेद शेख भी अपनी भूमिकाओं में जंचते हैं पर दिया मिर्जा ग्लैमर डॉल की इमेज से बाहर निकलकर नहीं आ पातीं। फिल्म का संगीत भी याद करने लायक नहीं है।
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हिंदुस्तान में मनीष शुक्ल जी की राय भी देखिए-
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