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Sunday, October 3, 2010

हरियाणा में फिल्म प्रोमोशन बोर्ड बनाने का विचार

हरियाणा के मुख्यमंत्री भूपेन्द्र सिंह हुड्डा ने कहा है कि राज्य सरकार प्रदेश में हरियाणवी संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए फिल्म प्रोमोशन बोर्ड स्थापित करने की संभावनाओं पर विचार करेगी।

हरियाणवी फिल्मों को बढ़ावा देने के लिए एक निकाय स्थापित करने का सुझाव, फिल्म निदेशक एवं अभिनेता सतीश कौशिक ने कल चंडीगढ़ में मुख्यमंत्री को अपनी भेंट के दौरान दिया था। सतीश कौशिक ने पत्रकार सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए कहा कि राज्य सरकार रोहतक में फिल्म व टीवी संस्थान स्थापित कर रही है। उन्होंने राज्य सरकार को अपनी तरफ से सभी प्रकार की सहायता देने का आश्वासन दिया। उन्होंने अन्य क्षेत्रीय भाषओं जैसे भोजपुरी, तमिल व पंजाबी फिल्मों की तुलना में हरियाणवी फिल्मों के वर्तमान स्तर पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि हरियाणा में फिल्मों को बढ़ावा देने की महत्ती आवश्यकता है।

कौशिक ने कहा कि वह स्वयं आगामी दो वष्रो के दौरान कम से कम 5 हरियाणवी फिल्मों का निर्माण करेंगे और उनकी पहली हरियाणवी फिल्म एक वर्ष में आने की उम्मीद की जा सकती है। उन्होंने कहा कि वे वित्त के लिए उद्यमियों, प्रतिभाशाली अभिनेताओं और अन्य उन सभी को प्रेरित करेंगे जो हरियाणवी भाष और संस्कृति पर फिल्में बनाना चाहते है।

उन्होंने कहा कि हरियाणवी फिल्म ‘चन्द्रावल’ ने बडी सफलता हासिल की थी और उन्हें पता चला है कि चंद्रावल का दूसरा भाग बनाने की योजना की जा रही है। उन्होंने बताया कि हरियाणवी संस्कृति ने टीवी चैनल्स पर पहले ही अपनी छाप छोड़ी है और कुछ अच्छे अभिनेता हरियाणवी फिल्मों में बेहतर भूमिका निभाने के लिए उपलब्ध हैं। फिल्में हरियाणवी संस्कृति को बड़े स्तर पर बढावा देने में सक्षम है। उन्होंने प्रदेश में सिनेमा हॉलस की दयनीय स्थिति पर चिंता व्यक्त करते हुए बजट थियेटरस की स्थापना का सुझाव भी दिया।

सतीश कौशिक ने हरियाणा के मुख्यमंत्री भूपेन्द्र सिंह हुड्डा को दूरदर्शी और विकासात्मक नीतियां बनाने वाले एक सरल व्यक्ति की संज्ञा दी। उन्होंने हरियाणवी फिल्मों को बढ़ावा देने की रणनीति पर पूछे गए एक सवाल का जवाब देते हुए कहा कि वे सम विचारों वाले व्यक्तियों की तलाश कर रहे हैं तथा वे धनी लोगों को हरियाणवी फिल्मों के लिए अपने विचार दे रहे हैं, ताकि उन्हें फिल्म उद्योग में निवेश के लिए प्रेरित किया जा सके। शुरुआत में वे अपना ध्यान मनोरजंन प्रधान फिल्मों पर केन्द्रित करेंगे तथा बाद वे मुद्दों पर आधारित फिल्मों को बनाने पर विचार करेंगे(दैनिक भास्कर,चंडीगढ़,3.10.2010)।

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