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Saturday, October 9, 2010

जनता का सुपर स्टार

एक बार प्रख्यात अभिनेता अमिताभ बच्चन ने कहा था कि देश के असली सुपर स्टार रजनीकांत हैं। फिल्म 'रोबॉट' की असाधारण सफलता ने एक बार फिर इस बात को सही साबित किया है। फिल्म के आते ही रजनीकांत के प्रशंसकों में पागलपन की हद तक पहुंचा जो अद्भुत उत्साह देखा गया, उससे तो यही लगता है कि उनका व्यक्तित्व फिनोमिना का रूप ले चुका है। रोबॉट की सफलता की कामना करने के लिए रजनीकांत के प्रशंसकों ने घुटनों के बल लक्ष्मी नरसिम्हा स्वामी मंदिर की 1,305 सीढ़ियां चढ़ीं। फिल्म रिलीज के मौके पर करीब पांच हजार फैंस ने विशेष पूजा का आयोजन किया। यही नहीं, रजनीकांत के पोस्टरों को 200 लीटर दूध से नहलाया गया। क्या दक्षिण क्या उत्तर, रजनीकांत की पॉपुलैरिटी तो देश की सीमाओं को भी लांघ चुकी है। जापान और मलयेशिया में उनकी फिल्मों को देखने के लिए लोग बेताब रहते हैं।

हालांकि कुछ फिल्मी पंडित अभिनय की कसौटियों पर रजनीकांत को बहुत अच्छा एक्टर नहीं मानते, लेकिन जिसके पीछे करोड़ों लोग पागल हों, उसके लिए इन कसौटियों का क्या मतलब? दरअसल रजनीकांत का मैनरिज्म लोगों को शुरू से आकर्षित करता रहा है। वह लटके-झटके के उस्ताद हैं। वह इन लटकों-झटकों के जरिए दर्शकों को यथार्थ से दूर एक अतिरंजना में ले जाते हैं। यह अतिरंजना समाज के निम्न और निम्न मध्य वर्ग को काफी राहत देती है। रजनीकांत दरअसल आम आदमी के अभिनेता हैं। उनकी सामान्य कद-काठी से कॉमन मैन खुद को बखूबी आइडेंटिफाई करता है।

भारत के सामान्य आदमी के मन में असाधारणता और चमत्कारों को लेकर आकर्षण का भाव रहा है। वह अतिविशिष्ट गुणों से संपन्न एक ऐसे नायक की कल्पना करता है जो अन्याय से लड़े और शोषकों का खात्मा करे। रजनीकांत में उसे ऐसा ही नायक दिखता है। लेकिन पर्दे पर स्पेशल दिखने वाले रजनीकांत अपने वास्तविक जीवन में बेहद साधारण और सहज हैं। वह बॉलिवुड के अभिनेताओं की तरह हर समय अपने ऊपर स्टारडम लादे नहीं रहते। उनका आम आदमी से निरंतर संवाद और आत्मीय रिश्ता बना रहा है। जब उनकी फिल्म 'शिवाजी- द बॉस' रिलीज हुई थी, तो उन्होंने बाकायदा दिशा-निर्देश जारी किए कि लोग खुशी मनाने के लिए सड़क जाम न करें, पटाखे न छोड़ें, तोरण द्वार न बनाएं, राजनीतिक नारे न लिखें। जनता ने उनकी हिदायतों का खुशी-खुशी पालन किया। रजनीकांत की पॉपुलैरिटी केवल इसलिए नहीं है कि वह अच्छे अभिनेता हैं, बल्कि इसलिए है कि वह एक बेहतर इंसान हैं(संपादकीय,नवभारत टाइम्स,दिल्ली,8.10.2010)।

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